विभा पटेल ने लगाए सरकार पर आरोप Social Media
मध्य प्रदेश

सीएम साहब सपने दिखाना बंद करें, हकीकत को देखे स्कूलों में जरुरी व्यवस्थाएं कराए : विभा पटेल

भोपाल, मध्यप्रदेश : श्रीमती विभा पटेल ने कहा कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कभी साउथ कोरिया और कभी दिल्ली जैसा एजुकेशन मॉडल लागू करने के दावे किए गए। लेकिन हकीकत इसके उलट है।

राज एक्सप्रेस

भोपाल, मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश में पीएमश्री स्कूल खोलने की बात पर प्रदेश महिला कांगेस अध्यक्ष विभा पटेल ने पहले सरकारी स्कूलों की स्थिति ठीक करने की बात कही है।

श्रीमती पटेल ने कहा कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कभी साउथ कोरिया और कभी दिल्ली जैसा एजुकेशन मॉडल लागू करने के दावे किए गए। लेकिन हकीकत इसके उलट है। सरकारी स्कूलों में शिक्षक, टॉयलेट, लाइब्रेरी, लैब, खेल मैदान, जरुरी स्टॉफ जैसी बेसिक फैसिलिटी भी नहीं है। सुरक्षा भी सरकारी स्कूलों में बड़ा मुद्दा है। लोकसभा में गत 22 जुलाई को दी गई जानकारी के मुताबिक मप्र में करीब 10, 630 लड़कियों ने स्कूल छोडा है। सरकारी स्कूलों में साफ टॉयलेट और सेफ्टी लड़कियों के लिए बड़ी समस्या है।

श्रीमती पटेल ने कहा कि प्रदेश के अनेक स्कूलों में तो बच्चों के बैठने के लिए टाट, बैंच, कुर्सियां, ब्लैकबोर्ड व अध्यापकों के लिए कुर्सियां और मेज तक नहीं हैं। ऐसे में सरकार स्कूली शिक्षा के गिरते स्तर से ध्यान हटाने के लिए पहले सीएम राइज स्कूलों का सपना दिखाया और अब पीएमश्री स्कूल की बात कर रही है। भोपाल में तो पीएमश्री स्कूल के लिए सरोजनी नायडू स्कूल का चयन कर लिया गया है।

विभा पटेल ने कहा कि हकीकत तो ये है कि प्रदेश के 36 हजार स्कूल भवनों में बिजली की व्यवस्था नहीं है, जबकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देना है। स्मार्ट क्लास रूम और कम्प्यूटर शिक्षा को अनिवार्य किया गया है। अब ऐसे में स्कूलों में बिजली की व्यवस्था नहीं होगी, तो स्मार्ट क्लासरूम की कल्पना नहीं की जा सकती है। प्रदेश के 32 हजार 541 सरकारी स्कूलों में बच्चों के खेलने के लिए खेल का मैदान नहीं है। स्कूलों में खेल का मैदान नहीं है तो बच्चे कैसे खेलेंगे। यह प्रश्न स्वाभाविक है। इसी तरह मध्य प्रदेश के 1500 स्कूलों में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है।

विभा पटेल ने कहा कि खुद को प्रदेश के बच्चों का मामा बताने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के शासनकाल में 22,361 में क्षतिग्रस्त क्लासरूम और 11,409 स्कूलों में शौचालय की स्थिति बदहाल है। स्कूल शिक्षा विभाग ने 2022 स्कूल भवनों में लड़कियों के लिए अलग से टॉयलेट की व्यवस्था नही की गई है। 7,634 स्कूलों में लाइब्रेरी नहीं है। ऐसे में स्कूली शिक्षा की स्थिति को समझा जा सकता है।

श्रीमती पटेल ने कहा कि हम स्कूलों में बेहतर व्यवस्था के पक्षधर है, लेकिन तथ्यों को भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि करीब सात महीने पहले स्कूल शिक्षा विभाग ने एक रिपोर्ट जारी करके माना था कि 2,762 गर्ल्स स्कूल में टॉयलेट यूज करने लायक नहीं हैं। इस कारण लड़कियों को बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी है। विभा पटेल ने कहा कि सरकार फर्जी दावे करना छोड़कर मासूम बच्चों के लिए स्कूल भवनों की स्थिति सुधारे। शिक्षकों की कमी को दूर करें। अन्य जरुरी प्रबंध किए जाए।

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