राज एक्सप्रेस। छतरपुर जिले में 1990 से लेकर 1992 तक चली आर्थिक मंदी की तरह ही इस वर्ष भी देश भर में आर्थिक मंदी का असर देखने को मिल रहा है। शहर के परंपरागत बाजार धनतेरस के दिन भी सूने पड़े रहे। नोटबंदी और जीएसटी से लड़खड़ाई अर्थव्यवस्था पर अब ऑनलाईन खरीदी का हमला हुआ है जिसके कारण परंपरागत बाजार दीवाली पर भी धराशायी पड़े हैं।
बाजारों की दुकानों में कम रही ग्राहकों की संख्याः
शहर का मुख्य बाजार कहे जाने वाले चौक बाजार एवं रामगली बजरिया में पिछले एक सप्ताह से रौनक नहीं है। धनतेरस के दिन भी ग्राहकों की संख्या कम रही वहीं दुकानों पर इक्के-दुक्के ग्राहक ही नजर आए।
ऑटो सेक्टर में भी गिरावट
हर वर्ष दिवाली के मौके पर ऑटो सेक्टर में अच्छा कारोबार होता था लेकिन इस बार लगभग 80 फीसदी कारोबार चौपट हो गया है। बाईक डीलर्स आश्चर्यचकित हैं कि इस बार बिक्री क्यों नहीं हो रही है तो वहीं चार पहिया वाहनों पर भी मंदी का जबर्दस्त असर है। मारूति शोरूम के मैनेजर श्री त्रिपाठी ने बताया कि हर वर्ष दीवाली पर लगभग 100 चार पहिया वाहन की बिक्री होती थी लेकिन इस वर्ष सिर्फ 30 वाहन ही बेच पाए हैं।
ऑनलाईन शॉपिंग की ओर बढ़ा लोगो का रुझानः
भारत में ज्यादातर खरीददार युवा वर्ग से आते हैं और जिनके पास स्मार्ट फोन मौजूद है। इसी स्मार्ट फोन पर सैकड़ों ऑनलाईन शॉपिग बेवसाईट हैं जिन पर तरह-तरह की सामग्री घर बैठे सस्ते दामों पर बेची जा रही है। बड़ी संख्या में युवा ग्राहक ऑनलाईन शॉपिग की तरफ रूझान कर चुके हैं जिससे परंपरागत बाजार टूट रहे हैं।
इनका कहना-
“इस वर्ष आर्थिक मंदी के कई कारण हैं। एक बड़ा कारण अतिवृष्टि के कारण फसलों की तबाही भी है। किसानों के पास पैसा नहीं है जिससे बाजार नहीं चल रहा।“
(मुकेश सोनी, ज्वैलर्स)“
सरकार को ऑनलाईन शॉपिंग पर रोक लगानी चाहिए, अन्यथा परंपरागत बाजार पूरी तरह तबाह हो जाएंगे। ऑनलाईन शॉपिंग से ग्राहक बाजार में कम आ रहे हैं। इस बार लगभग 70 फीसदी नुकसान हुआ है।“
(कल्लू रावत, बर्तन व्यापारी)
“हमने अपनी उम्र में पहली बार इतनी मंदी देखी है। हमेशा दीवाली के आस-पास बाजार में रौनक आ जाती थी लेकिन इस बार ऑनलाईन शॉपिंग के कारण कई दुकानों में सन्नाटा है।“
(दादा मातेले, जनरल स्टोर कारोबारी)
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