मध्य प्रदेश। मां दुर्गा की उपासना का पर्व चैत्र नवरात्र 22 मार्च से शुरू हो गया है। इस नवरात्र माता के मंदिरों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिल रही है। इस दौरान देशभर से भक्त प्रदेश के प्रसिद्ध देवी स्थलों पर पहुंचकर माता के दरवार में हाजरी लगा रहे हैं और अपनी परेशानियों को दूर करने के लिए मन्नत मांग रहे हैं। इस पावन अवसर पर हम आपको मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध माता मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां आप नवरात्र में दर्शन करने के लिए रुख सकते हैं। यहां चमत्कारी माता के दर्शन मात्र से भक्तों की सारी मन्नतें पूरी होती हैं। आईए जानते हैं आखिर इन देवी स्थल के बार में क्या हैं ऐतिहासिक मान्यताएं...
मध्यप्रदेश के सतना जिले के मैहर शहर में विंध्य पर्वत श्रृंखला की त्रिकूट पहाड़ी पर स्थित मैहर माता मंदिर भारत के सबसे दिव्य और 52 शक्तिपीठों में से एक है। यह प्राचीन मंदिर माँ शारदा देवी की पूजा अर्चना और उनके चमत्कारों के लिए जाना जाता है। मैहर माता मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यह भारत का एक मात्र देवी शारदा का मंदिर है। इस जगह का नाम 'माई का हार' से अभ्रंस होकर मैहर हो गया। इस चमत्कारी मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां आल्हा-उदल 900 साल से आज भी जीवित है और देवी को प्रतिदिन जल और पुष्प चढ़ाने के लिए आते हैं।
आगर मालवा जिले के नलखेड़ा में लखुन्दर नदी के तट पर पूर्वी दिशा में मां बगलामुखी मंदिर स्थित है। बताया जाता है कि महाभारत काल में यहीं से पांडवों को विजय श्री का वरदान प्राप्त हुआ था। कहा जाता है कि महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण ने पांडव को विपत्ति काल से निकलने के लिए मां बगलामुखी की उपासना करने के लिए कहा था। मान्यता है कि पांडवों ने इस त्रिगुण शक्ति स्वरूपा की आराधना कर विपत्तियों से मुक्ति पाई और अपना खोया हुआ राज्य वापस पा लिया। यहां बगलामुखी की मूर्ति स्वयंभू है। मां बगलामुखी के दाएं ओर धनदायिनी महालक्ष्मी और बाएं ओर विद्यादायिनी महासरस्वती विराजमान हैं। यहां लोग चुनाव में जीत, शत्रु का नाश और कोर्ट केस जैसी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विशेष पूजन और अनुष्ठान करवाते हैं।
सीहोर जिले में रेहटी क्षेत्र के सलकनपुर में माता बिजासन का भव्य मंदिर है। कहा जाता है कि 300 साल पहले बंजारों ने अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर विंध्याचल पहाड़ी पर माता रानी का विशाल और भव्य मंदिर बनवाया था। सलकनपुर का देवीधाम एक हजार फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, जहां पहुंचने के लिए 1400 से अधिक सीढिय़ां चढऩीं पड़ती हैं, हालांकि अब यहां सड़क मार्ग और रोप-वे से श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच पाते हैं। नवरात्र के दौरान यहां देशभर से लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
माँ पीताम्बरा शक्तिपीठ दतिया शहर के बीचो बीच स्थित है। बताया जाता है कि यहां पीताम्बरा माता दिन के तीनों प्रहरों में अलग-अलग स्वरूपों में दर्शन देती हैं। इस मंदिर की स्थापना सिद्ध संत स्वामीजी ने साल 1935 में करवाई थी। माँ पीताम्बरा शक्तिपीठ में आस्था रखने वाले भक्तों का मानना है कि माता के दर्शन मात्र से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं साथ ही शत्रुओं का नाश होता है। राजसत्ता की कामना रखने वाले लोग यहां आकर माता की गुप्त रूप से विशेष पूजा करवाते हैं।
देवास जिले में स्थित देवी वैशिनी पहाड़ी पर टेकरी मंदिर है, जहां देवी तुलजा भवानी, चामुंडा माता और कालिका माता का मंदिर है। मुख्य रूप से देवी के दो मंदिर हैं जिन्हें छोटी माता (चामुंडा माता) और अन्य बड़ी माता (तुलजा भवानी माता) कहा जाता है। एक मान्यता के अनुसार यहाँ देवी माँ के दो स्वरूप अपनी जागृत अवस्था में हैं, जो भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं।
उज्जैन स्थित हरसिद्धि मंदिर में सालभर में तीन बार नवरात्र का पर्व मनाया जाता है। यहां गुप्त नवरात्र, चैत्र नवरात्र और कुंवार माह की नवरात्र का पर्व मनाया जाता है। नवरात्र के दौरान माता हरसिद्धि 9 दिन भक्तों को अलग-अलग रूप में दर्शन देती हैं। हरसिद्धि दुर्गा मंदिर का निर्माण राजा विक्रमादित्य द्वारा किया गया था। इस मंदिर में 51 फीट ऊंचे 1100 दीपों के दो दीप स्तम्भ हैं। यह मंदिर क्षिप्रा नदी के पूर्वी तट और महाकाल ज्योतिर्लिंग से मात्र 200 मीटर की दूरी पर स्थित है।
ग्वालियर का चमत्कारी मंदिर शीतला माता मंदिर
ग्वालियर से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित माँ शीतला मंदिर एक प्राचीन देव स्थान है। इस चमत्कारी मंदिर क्षेत्रीय लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। नवरात्र के समय में हजारों श्रद्धालु ग्वालियर शहर से पैदल चलकर माँ शीतला के दर्शन करने आते है।
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