राज एक्सप्रेस। मध्य प्रदेश के सीहोर जिले की नसरुल्लागंज में परिवहन विभाग की गलती का खामियाजा एक बस मालिक को भुगतना पड़ रहा है और इस मामले में बस मालिक के द्वारा परिवहन अधिकारी पर सुनवाई नही किए जाने एवं रिकार्ड में हुई गलती के संबंध में जानकारी मांगे जाने के बाद भी नहीं दिए जाने का आरोप लगाया है। इस मामले में बस मालिक के ऊपर परिवहन अधिकारी के द्वारा कार्यवाही की गई है। जबकि बस मालिक का मानना है कि यह कार्यवाही पूरी तरह से निराधार है और इसमें परिवहन विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की ही गलती है।
जानकारी के मुताबिक
पिछले दिनों रेहटी के बस मालिक मुकेश मेहता के नाम से परिवहन अधिकारी के द्वारा बस क्रमांक एम.पी.04 8026 को बताकर लगभग 24 लाख रूपये का बकाया टैक्स निकाल दिया और इसी संदर्भ में उनके द्वारा स्थानीय राय साहब भंवर सिंह स्कूल में अनुबंध पर चल रही बस एमपी 43 एफ 1102 को जब्त करने की कार्यवाही भी की गई।
इस मामले में बस संचालक मुकेश मेहता का कहना
परिवहन अधिकारी के द्वारा जिस बस को मेरे नाम से बताया जा रहा है उसे मैंने रेहटी के ही मंगल सिंह चौहान को बेच दी थी और परिवहन विभाग के द्वारा उसका ट्रांसफर भी उसके नाम पर कर दिया गया था। इसके साथ ही मंगल सिंह चौहान के द्वारा भी विगत 17.11.2003 को उक्त बस का पंजीयन निरस्त किए जाने का आवेदन जिला परिवहन अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया गया था और परिवहन विभाग के द्वारा 8 अगस्त 2005 को उस बस का माह सितम्बर तक का टैक्स जमा किए जाने का प्रमाण पत्र भी जारी किया था।
इस मामले संबंधित बस संचालक के द्वारा परिवहन अधिकारी के द्वारा गलत कार्यवाही किए जाने का आरोप लगाया है और परिवहन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की लापरवाही का खामियाजा उसे भुगतना पड़ रहा है। वहीं संबंधित बस मालिक के द्वारा वर्ष 2003 के पंजीयन निरस्त के संबंध में जो जानकारी वर्ष 2018 में दिए गए आवेदन को लेकर मांगी गई थी वह भी परिवहन विभाग के द्वारा उपलब्ध नही कराई गई है। इस संबंध में जब परिवहन विभाग के जिला अधिकार अनुराग शुक्ला से बात करना चाही तो उनका मोबाईल नही उठ पाया।
क्या कहते हैं बस मालिक
इस संबंध में बस मालिक मुकेश मेहता का कहना है कि, परिवहन विभाग के द्वारा की गई गलती का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है। जबकि वह कई वर्ष पहले ही उस बस को बेच चुके हैं और संबंधित दूसरे वाहन मालिक के द्वारा भी पंजीयन निरस्त कराने को लेकर वर्ष 2003 में ही आवेदन देकर परिवहन विभाग का प्रमाण पत्र प्राप्त कर लिया था। उसके बाद भी मेरे नाम पर लाखों रूपये का बकाया टैक्स निकाला गया है।
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