जबलपुर, मध्य प्रदेश। जबलपुर स्थित प्रदेश की एकमात्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय अपने लापरवाह रवैये के लिए हमेशा सुर्खियों में रहता है। विश्वविद्यालय के अधिकारियों के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार का खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ता है। हाल ही में ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला सामने आया तो पूरे विश्व विद्यालय में हड़कंप मच गया । विश्वविद्यालय के गोपनीय शाखा के महिला बाथरूम में बीएचएमएस के छात्र-छात्राओं की कॉपियों के बंडल पड़े मिले, मामले ने तूल पकड़ा तो विवि को पुलिस कम्लेंट भी रजिस्टर करानी पड़ी। इस मामले के बाद विश्वविद्यालय के कुलपति और अधिकारियों को फिर से सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।
दरअसल, आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के महिला बाथरूम में बीएचएमएस के छात्र-छात्राओं की कॉपियों के बंडल पड़े मिले, जिसके बाद विवि में हल्ला मच गया तो विवि को पुलिस में शिकायत दर्ज कराना पड़ी। मामले में सवाल यह खड़ा होता है कि गोपनीय शाखा के अंर्तगत आने वाली कॉपियां महिला वॉशरूम में कैसे पहुंची। शुक्रवार को पुलिस विवि पहुंची और सीसीटीवी कैमरे की रिकार्डिंग देखकर मामले की पड़ताल करने की बात कही।
लापरवाही पर लीपापोती के प्रयास शुरू :
नियमानुसार विवि को पिछले तीन साल की कापियां सुरक्षित रखना होती है। विवि में कापियां रखी तो हैं लेकिन संभाली नहीं गई हैं। वॉशरूम में मिली यह कापियां 2019 की बीएचएमएस के विद्यार्थियों की है। विवि का कहना है कि इन कापियों की डिजिटल कॉपी सुरक्षित हैं, इसलिए यह कोई बड़ी बात नहीं है। विवि के अधिकारियों के यह कथन उन नियमों पर ही सवाल खड़ा कर रहा है, जिसके अनुसार कॉपियों को तीन साल सुरक्षित रखना होता है।
अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच तीखी नोकझोंक :
विश्वविद्यालय की लापरवाही सामने आई तो अधिकारियों ने इस पूरे मामले का जिम्मेदार वहां के कर्मचारियों को ठहराया। इससे कर्मचारी भड़क उठे और एकजुट होकर इसका विरोध किया। कर्मचारियों का कहना है कि यह पहला मामला नहीं है जब गलती अधिकारियों की होती है और आरोप कर्मचारियों के ऊपर लगाया जाता है।
इनका कहना है :
विवि में जगह कम है। बीएचएमएस-2019 की कुछ कॉपियां वॉशरूम के बाहर पड़ी अलमारी में रखी हुई थी, किसी ने शरारत कर उसमें से ही कुछ कॉपियां वॉशरूम में रख दी हैं। हमने पुलिस को बुलवाया है, आगे की जांच पुलिस सीसीटीवी और अन्य तथ्यों के आधार पर करेगी। कापियों को तीन साल तक रखने का नियम है। कॉपिया पुरानी हैं, उनका परीक्षा परिणाम भी जारी हो चुका है। कॉपियो में किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ है। विवि में अब डिजिटल रिवोल्यूशन होता है और यह कॉपियां भी स्कैनड हैं।तृप्ति गुप्ता , गोपनीय शाख, डिप्टी रजिस्ट्रार, मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय
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