नेट जीरो लक्ष्य को हासिल करने के लिए बजटीय सहायता जरूरी : आईओसीएल सांकेतिक चित्र
मध्य प्रदेश

नेट जीरो लक्ष्य को हासिल करने के लिए बजटीय सहायता जरूरी : आईओसीएल

आईओसीएल ने हरित हाइड्रोजन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से रिफाइनरियों के लिए बजटीय सहायता की मांग करते हुए आज कहा कि नेट जीरो लक्ष्य को हासिल करने में यह समर्थन बड़ा कदम साबित होगा।

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मुंबई। सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी तेल विपणन कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) ने हरित हाइड्रोजन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से रिफाइनरियों के लिए बजटीय सहायता की मांग करते हुए आज कहा कि नेट जीरो लक्ष्य को हासिल करने में यह समर्थन बड़ा कदम साबित होगा।

आईओसीएल के अध्यक्ष श्रीकांत माधव वैद्य ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ महाराष्ट्र उद्योग की बजट के बाद की वार्ता में कहा कि हरित हाइड्रोजन नीति में अंतरराज्यीय ट्रांसमिशन चार्ज की लेवी और शुल्क को समाप्त करने का प्रावधान किया गया है ताकि बिजली की खपत लागत को कम किया जा सके।

उन्होंने कहा, "हरित हाइड्रोजन के व्यवसाय में बहुत बड़ी पूंजी का निवेश करना होता है। तेल रिफाइनर आने वाले दिनों में हाइड्रोजन के सबसे बड़े उपभोक्ता होने जा रहे हैं और हम हरित हाइड्रोजन अभियान को एक बड़ी सफलता दिलाएंगे। यदि हरित हाइड्रोजन की खपत के लिए विशेष रूप से रिफाइनिंग क्षेत्र को कुछ बजटीय समर्थन दिया जाता है तो यह नेट जीरो लक्ष्य की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।"

श्री वैद्य ने कहा कि जहां तक ऊर्जा का सवाल है, भारत इस समय एक बहुत ही अनोखी स्थिति में है और पारंपरिक ईंधन की मांग भी बढ़ रही है। आज पेट्रोल की मांग कोविड पूर्व स्तर की तुलना में 10-15 प्रतिशत अधिक और एलपीजी की मांग 15 प्रतिशत अधिक है वहीं डीजल की मांग पांच से सात प्रतिशत कम है। इसलिए एक कंपनी के रूप में हम पारंपरिक ईंधन में भी निवेश कर रहे हैं क्योंकि इसकी जरूरत है। ऐसे में नेट जीरो लक्ष्य को हासिल करने में बजटीय समर्थन एक बड़ा कदम होगा।

उल्लेखनीय है कि इस वर्ष 17 फरवरी को सरकार ने हरित हाइड्रोजन नीति के पहले चरण की शुरआत की, जो हरित अमोनिया और हरित हाइड्रोजन के विकास और इसके इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए निवेशकों को कई तरह के प्रोत्साहन प्रदान करती है। इसके तहत सरकार ने वर्ष 2030 तक 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन के उत्पादन का लक्ष्य रखा है।

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