Barkatullah University Bhopal RE-Bhopal
मध्य प्रदेश

BU: जांच रिपोर्ट तय करेगी नौकरी रहेगी या होंगे बर्खास्त, सवालों के घेरे में 163 कर्मचारियों की नियुक्ति

Barkatullah University News: 163 अधिकारी कर्मचारी बिना भर्ती प्रक्रिया अपनाए नियमित रूप से बीते 25 साल से नौकरी पर जमे हुए हैं। इतना ही नहीं ये सभी प्रोमशनस और अन्य वित्तीय लाभ भी ले रहे हैं।

Rakhi Nandwani

भोपाल। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय (Barkatullah University) में एक- दो नहीं पूरे 163 अधिकारी कर्मचारी बिना भर्ती प्रक्रिया अपनाए नियमित रूप से बीते 25 साल से नौकरी पर जमे हुए हैं। इतना ही नहीं ये सभी प्रोमशनस और अन्य वित्तीय लाभ भी ले रहे हैं। इनकी नियुक्ति के समय से ही उस पर सवाल भी उठने लगे थे। मामला विवि के अंदर और बाहर चर्चा में रहा था। इस दौरान कई कुलपति और कुलसचिव आए और चले गए, लेकिन इस मामले में कोई फैसला नहीं लिया। हालांकि अब इस मामले में चल रही जांच रिर्पोर्ट दस दिन में आने वाली है। इसलिए इस बड़े मामले में जल्द ही ठोस फैसला होने की संभावना बन गई है। इस रिर्पोट के आधार पर ही तय होगा कि इनकी नौकरी रहेगी या बर्खास्त होंगे।

कई बड़े पटलों पर उठ चुके सवाल

मालूम हो कि साल बीयू में साल 1997 -98 में कई सीधी भर्तियां हुई थी। जिसकी शिकायतें विभिन्न पटलों पर उठने से मामला बाहर आ गया था। लेकिन तमात शिकायतों, जांचों और आदेशों के बावजूद इनमें ये अधिकांश आज तक नियम विरूद्ध विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं। यहां तक कि विवि के तत्कालिन कुलसचिव पीएन जोशी ने 12 फरवरी 1999 को ही आदेश जारी कर सीधाी भर्ती से 31 मार्च 1998 के बाद नियमित वेतनमान में की गई सभी नियुक्तियों को नियम विरूद्ध बताते हुए निरस्त करने का आदेश भी जारी कर दिया था। इस तरह के कुछ मामले न्यायलय में भी उठाए गए थे और कोर्ट से उनकी नियुक्ति को समाप्त करने का आदेश दिया गया था। विधान सभा में भी तत्कालीन विधायक बाबू लाल गौर ने प्रश्र उठाया था। वहीं इस बड़े भर्ती घोटाले के विरूद्ध एक व्हिसिल ब्लोअर भी निरंतर आवाज उठा रहे हैं। इन तमाम कोशिशों और शिकायतों के बावजूद आज तक इस मामले में निणर्य नहीं हुआ। यह सभी विवि के नियमित कर्मियों के रूप में कार्यरत हैं।

विवि के अधिकारियों की शिकायत के बाद मामले ने पकड़ा तूल

सूत्र बताते हैं कि इस मामले ने तूल तब पकड़ा जब इन कर्मियों ने साल 2019 में टाइम स्केल की मांग को लेकर विवि के अधिकारियों पर दबाव डाला। अधिकारियों ने स्पष्ट कहा कि जब आपके पद स्वीकृत नहीं हैं और विवि में इससे संबंधित डाक्यूमेंटस ही नहीं हैं तो टाइम स्केल का लाभ नहीं दिया जा सकता। तब इनके दबाव बनाने से परेशान होकर अधिकारियों ने राज्यपाल से जांच कराने की मांग की। राजभवन के निर्देश पर विवि प्रबंधन को मजबूरन जांच समिति गठित करनी पड़ी। सेवानिवृत्त न्यायाधीश अनिल पारे की अध्यक्षता में चल रही जांच अब अंतिम चरण में है।

ये हैं जांच के घेरे में

विश्वविद्यालय की जांच के दायरे में आने वाले कर्मचारियों में सहायक अभियंता, शिक्षक, सहायक ग्रेड 2, सहायक ग्रेड 3, निजी सहायक, प्रयोगशाला तकनीशियन, खेल अधिकारी, तकनीकी सहायक, कंप्यूटर ऑपरेटर, सिस्टम प्रोग्रामर और अन्य कर्मचारी शामिल हैं।

इनका कहना है

जांच समिति द्वारा जो भी दस्तावेज मंगाए गए थे, विवि प्रबंधन ने उपलब्ध करा दिए हैं।

- अरुण चौहान, कुलसचिव बीयू

जांच के दौरान कर्मचारियों और विवि को पक्ष रखने का पूरा मौका दिया है। विवि ने बक्सा भर के कागज उपलब्ध कराएं हैं। इनमें से कुछ मूल हैं और कुछ अटेस्टेड हैं। जांच अब फाइनल दौर में है, सप्ताह या दस दिन में रिपोर्ट तैयार हो जाएगी।

- अनिल पारे, अध्यक्ष जांच समिति, सेवानिवृत्त न्यायाधीश

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

SCROLL FOR NEXT