हाइलाइट्स :
भोजन का समय होने के कारण मजदूर बाहर खा रहे थे खाना
पूजा करके लौट रही महिला और उनके बच्चे चपेट में आए
भोपाल, मध्यप्रदेश। सूखी सेवनिया थाना क्षेत्र के ग्राम सेमरा सैय्यद में गुरुवार दोपहर सॉस बनाने की फैक्ट्री में धमाका होने से अफरा-तफरी मच गई। धमाका फैक्ट्री के भीतर सॉस बनाने में इस्तेमाल होने वाला बॉयलर में हुआ। अनुमान लगाया जा रहा है कि बॉयलर में भाप का दबाव अधिक होने के कारण प्रेशर कुकर की तरह फट गया। हादसे में फैक्ट्री के सामने से गुजर रही एक महिला और उनकी दो मासूम बेटियों समेत कुल पांच लोग घायल हुए हैं। सभी घायलों को लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटना के समय भोजनवकाश होने के कारण फैक्ट्री में मजदूरी नहीं थे अन्यथा और अधिक गंभीर हादसा हो सकता था। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि जांच में लापरवाही सामने आने पर दोषियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया जाएगा।
थाना प्रभारी विजय बहादुर सिंह सेंगर ने जानकारी देते हुए बताया कि ग्राम सेमरा सैय्यद में टेस्ट इन टेस्ट नाम से टमाटर का सॉस (कैचअप) बनाने की फैक्ट्री है। रोजाना की तरह गुुरुवार को भी फैक्ट्री में काम चल रहा था। भोजन अवकाश होने के कारण दोपहर करीब डेढ़ बजे फैक्ट्री में काम कर रहे कर्मचारी बाहर आकर खाना खाने में व्यस्त हो गए जबकि भीतर बॉयलर में सॉस बनाने की प्रक्रिया चालू थी। इसी दौरान दोपहर करीब पौने दो बजे बॉयलर में जोरदार धमाका हो गया। धमाके के साथ बॉयलर फट गया और पास की दीवार तथा टीन का शेड तितर-बितर हो गया। दीवार के टुकड़े और टीन उछलकर दूर-दूर तक जाकर गिरे। हादसे के दौरान गांव में रहने वाली महिला नीतू सैनी अपने दो बेटियों व दो चचेरी बहनों के साथ खेत के मंदिर से पूजा-पाठ कर घर लौट रही थीं। महिलाओं व बच्चों के फैक्ट्री के सामने पहुंचते ही बॉयलर में ब्लास्ट हो गया था। लिहाजा महिला व बच्चे चपेट में आकर बुरी तरह घायल हो गए। घायलों में नीतू सैनी (25) के अलावा उनकी दो बेटियां रियांशी (2 साल) व चांदनी (6 साल) के अलावा नीतू की दो चचेरी बहनें राखी व सिमरन भी शामिल हैं। घायलों के सिर, हाथ व पैरों में चोटें आई हैं। चिकित्सकों का कहना है कि फिलहाल घायलों की हालत में सुधार है। जल्द ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।
रिहाइशी इलाके में फैक्ट्री का संचालन :
ग्रामीणों का कहना है कि सॉस बनाने की फैक्ट्री में सुरक्षा के पूरे इंतजाम नहीं है। यदि भोजन के समय मजदूर फैक्ट्री के बाहर नहीं आए होते तो वो भी धमाके की चपेट में आ जाते। बॉयलर भी पुराना होने के कारण जर्जर हालत में पहुंच चुका था। तमाम नियम-कायदों को धता बनाकर रिहायशी इलाके में फैक्ट्री की अनुमति देना प्रशासन की सबसे बड़ी लापरवाही है। ग्रामीणों ने पांचों घायलों को उचित मुआवजा देने की मांग की है।
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