महापुरुषों को कोसने में लगी भाजपा, इतिहास की कूट रचना न करे : गुप्ता Social Media
मध्य प्रदेश

महापुरुषों को कोसने में लगी भाजपा, इतिहास की कूट रचना न करे : गुप्ता

भोपाल, मध्यप्रदेश : श्री गुप्ता ने बुधवार को पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि कांग्रेस विचार विभाग बीजेपी और आरएसएस द्वारा इतिहास को कुटिलतापूर्वक विकृत करने के षड्यंत्र का पर्दाफाश करेगा।

Author : राज एक्सप्रेस

भोपाल, मध्यप्रदेश। देश में महंगाई को लेकर मंत्री विश्वास सारंग द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को दोषी बताए जाने को लेकर कांग्रेस विचार विभाग के अध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने इसे भाजपा और संघ की कुटिल मानसिकता एवं विकृत षड्यंत्र बताया है साथ ही इसे लेकर पर्दाफाश करने की बात करते हुए मंत्री सांरग को चुनौती दी कि वे 15 अगस्त 1947 को लालकिले से दिए भाषण को देश को सुनवाएं।

श्री गुप्ता ने बुधवार को पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि कांग्रेस विचार विभाग बीजेपी और आरएसएस द्वारा इतिहास को कुटिलतापूर्वक विकृत करने के षड्यंत्र का पर्दाफाश करेगा। इसके लिए कांग्रेस पार्टी ऐतिहासिक तथ्य प्रदर्शन अभियान शुरू कर रही है। कांग्रेस की ऐतिहासिक भूमिका और भाजपा द्वारा खेला जाने वाला निंदा अभियान जनता के सामने रखा जाएगा। गुप्ता ने कहा कि देश को यह जानना चाहिए कि 15 अगस्त 1947 को जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले से कोई भाषण ही नहीं दिया था। भाषण देने की शुरुआत 15 अगस्त 1948 से हुई 15 अगस्त 1947 को जवाहरलाल नेहरू लाल किले पर सिर्फ इसलिए गए थे, क्योंकि अंग्रेजों ने सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज के सैनिकों को वहां बंदी बनाया था। जवाहरलाल नेहरू तथा मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कैलाशनाथ काटजू ने उनका मुकदमा लड़कर उन्हें आजाद कराया था। क्रांतिकारियों की स्मृति को ताजा रखने के लिए उन्होंने लाल किले पर तिरंगा तो फहराया था, लेकिन कोई औपचारिक भाषण ना देकर उन्होंने आकाशवाणी से राष्ट्र के नाम संदेश प्रसारित किया था जो प्रसार भारती के रिकॉर्ड में सुरक्षित है।

गुप्ता ने कहा कि मंत्री जी को पहले तो मैं यह बताना चाहता हूं कि 14-15 अगस्त की मध्य रात्रि को उन्होंने तत्कालीन संविधान सभा, अब भारतीय संसद, में ट्रिस्ट विद डेस्टिनी वाला भाषण दिया था।

दूसरी बात 15 अगस्त 1947 की सुबह पंडित नेहरू ने राष्ट्र के नाम संबोधन दिया था, जो आकाशवाणी से प्रसारित हुआ था। नेहरू जी ने अपने पहले भाषण में खुद को जनता का प्रथम सेवक बताया था, इसी भाषण की नकल कर वर्तमान प्रधानमंत्री ने खुद को अपने पहले भाषण में जनता का प्रधान सेवक बताया।

1947 के राष्ट्र के नाम संबोधन में नेहरू जी महंगाई बढ़ाने के उपाय नहीं बता रहे थे, वे घोषणा कर रहे थे कि जल्द ही जमींदारी प्रथा खत्म कर दी जाएगी, जिससे किसानों का सदियों से होता आ रहा शोषण खत्म हो जाएगा।

गुप्ता ने बीजेपी के मंत्रियों को सलाह दी कि इन लोगों को अगर किसी और की बात नहीं जंचती तो कम से कम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की ही बात सुन लें। पंडित नेहरू के निधन के बाद 29 मई 1964 को संसद में दिए भाषण में तत्कालीन जनसंघ के युवा सांसद वाजपेयी जी ने पंडित नेहरू की तुलना भगवान राम से की थी।

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