भोपाल, मध्यप्रदेश। प्रदेश में पोषण आहार बनाने पर महिलाओं की स्व सहायता समूहों को 95 फीसदी तक लाभांश मिलेगा। यह राशि महिलाओं के सशक्तिकरण में मील का पत्थर साबित होगी। केवल पांच फीसदी राशि ही पोषण आहार संयंत्रों के मेंटनेंस के लिए सुरक्षित रखा जाएगा।
यह बात बुधवार को पत्रकार वार्ता के दौरान प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने कही। वे मंगलवार को कैबिनेट में प्रदेश के सात पोषण आहार संयंत्रों का संचालन महिला स्व-सहायता समूह के परिसंघों को सौंपने के निर्णय का पड़ने वाले प्रभाव के बारे में जानकारी दे रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए बड़ा कदम उठाते हुए पोषण आहार संयत्रों का संचालन एमपी एग्रो से वापस लेते हुए आजीविका मिशन के तहत गठित महिला स्व-सहायता समूहों के परिसंघों को दे दिया है। सिसोदिया ने कहा कि सरकार के फैसले से प्रदेश में पोषण आहार तैयार कर प्रदायगी से होने वाले मुनाफे से प्रदेश के लाखों समूह सदस्य लाभान्वित होंगे।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा भोपाल में 16 सितंबर को स्व-सहायता समूह संवाद कार्यक्रम में महिलाओं को यह पोषण आहार संयंत्र सौपे जाने का आश्वासन दिया गया था। सिसोदिया ने कहा कि संयंत्रों के संचालन से प्राप्त होने वाले लाभांश में से 5 प्रतिशत का उपयोग संयंत्रों के संधारण के लिए सुरक्षित रखते हुए शेष 95 प्रतिशत लाभांश स्व-सहायता समूहों को मिलेगा। वर्तमान में इन संयंत्रों में प्रतिमाह लगभग 50 से 60 करोड़ रूपये का पोषण आहार तैयार होता है।
उन्होंने बताया कि एकीकृत बाल विकास योजना के तहत संचालित आंगनवाड़ी केंद्रों में 6 माह से 3 वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती, धात्री माताओं एवं किशोरी बालिका योजना के तहत किशोरी बालिकाओं को टेकहोम राशन (टीएचआर) प्रदाय करने का कार्य एमपीएग्रो द्वारा किया जा रहा था। प्रदेश में देवास, धार, होशंगाबाद, मंडला, सागर, रीवा एवं शिवपुरी में टीएचआर संयंत्र स्थापित किए गए थे। वर्ष 2018-19 में यह कार्य स्व-सहायता समूहों को दिया गया था। जिनके द्वारा भोपाल संभाग को छोड़कर प्रदेश के शेष जिलों में टीएचआर प्रदायगी का कार्य किया गया। सिसोदिया ने बताया कि विभाग के तहत मप्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा प्रदेश के लगभग 45 हजार ग्रामों में प्रवेश करते हुए लगभग 3 लाख 33 हजार स्व-सहायता समूहों का गठन किया गया है, जिससे 38 लाख ग्रामीण निर्धन परिवारों को जोड़ा गया है।
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