भोपाल, मध्यप्रदेश। सियासी दृष्टि से काफी अहम मानी जाने वाली राजधानी की मध्य विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला कड़ा होने वाला है। पिछले दो चुनावों में यह सीट भाजपा ने जीती थी, लेकिन 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई। जमीनी नेता के तौर पर उभरे आरिफ मसूद ने यह सीट बीजेपी के खाते से झटक ली थी। लेकिन इस बार बीजेपी महीनों पहले से ही इस सीट पर सियासी समीकरण जमाने में जुट गई है। बीजेपी ऐसे उम्मीदवार की तलाश शुरू कर दी है, जिससे प्रतिष्ठा का प्रश्न बनी मध्य विधानसभा सीट जीतकर कांग्रेस के खाते से बाहर करना है। फिलहाल दावेदारों के तौर पर पूर्व महापौर अलोक शर्मा, बीजेपी के जिलाध्यक्ष सुमित पचौरी और इसी सीट से पहली बार विधायक बने पूर्व विधायक ध्रुव नारायण सिंह, सुरेन्द्रनाथ सिंह के नामों की चर्चा है। इधर नगर निगम चुनावों में सुमित पचौरी ने मध्य विधानसभा में अपने नेटवर्क को काफी मजबूत कर लिया है। नगर निगम के चुनाव में सीएम की सबसे ज्यादा सभाएं पचौरी ने मध्य विधानसभा में ही आयोजित की थीं।
पचौरी ने बढ़ाई सियासी ताकत :
जिलाध्यक्ष पचौरी ने कम समय में ही पार्टी और सियासी मैदान में अच्छी पैठ बना ली है। मध्य विधानसभा में मंडल अध्यक्ष से लेकर कार्यकर्ता उनके सर्मथक हैं। हाल ही में उन्होंने अपने ही सर्मथक और दो मंडल अध्यक्षों पर कार्रवाई करके यह भी बता दिया है, कि वे पार्टी लाइन से बाहर जाने वाले कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई भी कर सकते हैं। पचौरी की जिलाध्यक्ष बनने के बाद सीएम से भी नजदीकियां और बढ़ गई हैं। मध्य विधानसभा के लिए पचौरी और ध्रुव नारायण सिंह के अलावा पूर्व विधायक सुरेन्द्रनाथ सिंह भी चुनाव लड़ने की कवायद में जुट गए हैं। अलोक शर्मा इस विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के मूड में नही है । हांलाकि पूर्व महापौर की पुराने शहर में सभी वर्गो में अच्छी पैठ है। शर्मा की पसंद राजधानी की दूसरी विस सीट है। अलोक शर्मा सीएम के खास भी माने जाते है,इस वजह से उस वक्त क्या समीकरण बनते है फैसला शीर्ष नेतृत्व करेगा।
सियासत के साथ खेल मैदान में सक्रिय सिंह :
पहली बार इस सीट से चुनाव जीते चुके पूर्व विधायक ध्रुव नारायण सिंह इन दिनों सियासी मैदान के अलावा खेल मैदानों में भी सक्रिय नजर आ रहे हैं। पूर्व विधायक सिंह एक बार फिर से विधानसभा में सक्रिय हो गए हैं। उनके सर्मथक और भाजपा कार्यकर्ता आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए क्षेत्र में आम जनता के बीच दिखाई दे रहे हैं। इसके साथ ही उनके बंगले पर कार्यकर्ताओं की भीड़ और पूछ-परख बढ़ने लगी है।
मसूद का फोकस नए शहर पर :
इधर विधायक आरिफ मसूद ने पुराने के साथ ही नए भोपाल में भी अपनी पैठ बनाने में अपने कार्यकाल के चार साल लगा दिए हैं। पुराने की तुलना में नए शहर पर उनका फोकस लगातार बना रहा है। जिससे पार्टी को उम्मीद है कि इस बार नए भोपाल से भी मतदान उनके पक्ष में हो सकता है। फिलहाल यह कहना जल्दबाजी होगा कि ऊंट किस करवट बैठेगा लेकिन यह तय है कि आगामी विधानसभा में इस सीट पर चुनाव रोमांचक और कड़ी टक्कर का होने वाला होगा।
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