शिक्षकों ने सरकार के समक्ष उठाया कोरोना योद्धा दर्जा का मुद्दा Deepika Pal-RE
मध्य प्रदेश

भोपाल : शिक्षकों ने सरकार के समक्ष फिर उठाया कोरोना योद्धा दर्जा का मुद्दा

भोपाल, मध्यप्रदेश : बरखेड़ा नाथू में पदस्थ प्रधान अध्यापक की कोरोना से मौत के बाद फिर शिक्षकों ने सरकार के समक्ष योद्धा दर्जा देने देने का मुद्दा उठाया है।

Author : Shahid Kamil

भोपाल, मध्यप्रदेश। राजधानी भोपाल के शासकीय माध्यमिक शाला बरखेड़ा नाथू में पदस्थ प्रधान अध्यापक की कोरोना से मौत के बाद फिर शिक्षकों ने सरकार के समक्ष योद्धा दर्जा देने देने का मुद्दा उठाया है। शिक्षकों का कहना है कि सरकार को इस विषय पर गंभीरता के साथ सोचना होगा।

प्रदेश में शिक्षकों का कहना है कि वह शासन के हर आदेश का पालन करने को तैयार हैं। कोरोना के समय भी जहां ड्यूटी लगाई गई है उसका निष्ठा के साथ पालन किया है। पर चिंताजनक यह है कि अन्य विभागों की तरह शिक्षा विभाग में शिक्षकों को करुणा योद्धा का दर्जा नहीं दिया गया है। इनका कहना है कि ड्यूटी के समय प्रदेश में आए दिन शिक्षक कोरोना पॉजिटिव सो रहे हैं। इस कारण सरकार को भी शिक्षकों के परिवारों का ध्यान रखते हुए योद्धा घोषित करने का निर्णय लेना चाहिए। ताकि यदि शिक्षक की असमय मौत होती है तो कम से कम सरकार की आर्थिक सहायता पर उनके परिवारों को राहत मिल सके।

आधा दर्जन शिक्षकों की हो चुकी प्रदेश में मौत - उपेंद्र कौशल

शासकीय अध्यापक शिक्षक संघ के संयोजक उपेंद्र कौशल का कहना है कि कोरोना में ड्यूटी करते हुए प्रदेश में आधा दर्जन शिक्षकों की मौत हो चुकी है। उन्होंने कहा है कि भोपाल के बरखेड़ा नाथू में पदस्थ प्रधानाध्यापक ईशांत सिंह चंदेल की कोरोना पॉजिटिव होने के चलते मौत हो गई। पिछले सप्ताह ही उक्त शिक्षक कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे और हमीदिया अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। गुरुवार की सुबह इलाज के दौरान इनकी मृत्यु हो गई। उक्त शिक्षक पिछले दो-तीन महीनों से शिक्षा विभाग के हमारा घर हमारा विद्यालय अंतर्गत घर-घर संपर्क, घर घर पढ़ाई एवं मोहल्ला क्लास संचालित कर बच्चों को शिक्षण कार्य करते हुए अपने शिक्षक पद का कर्तव्य निभा रहे थे। शासन के आदेशों का पालन करते हुए यह शिक्षक कब कोरोना पॉजिटिव हो गए इनको खुद ही पता नहीं चल पाया और जब  इन्होंने अपना टेस्ट कराया तो खुद कोरोना पॉजिटिव पाए गए। इन्हें हमीदिया अस्पताल में भर्ती किया गया था। उपेंद्र कौशल का कहना है कि संगठन पिछले कई महिनों से शासन से मांग करता आ रहा है कि शासन की जो विसंगति पूर्ण योजना और कार्यक्रम है इससे शिक्षकों,पालकों तथा बच्चों में कोरोना संक्रमित होने का खतरा है। सरकार से लगातार मांग भी की गई की विषम परिस्थितियों में काम करने वाले शिक्षकों को अन्य कर्मचारियों की भांति कोरोना योद्धा का दर्जा दिया जाए, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया।

शिक्षकों को तत्काल मिलना चाहिए आर्थिक सहायता - नरवरिया

शिक्षक नेता हीरानंद नरवरिया का कहना है कि कोरोना की चपेट में आकर जितने भी शिक्षक शहीद हुए हैं उन्हें शासन द्वारा मिलने वाले समस्त आर्थिक लाभ प्रदान किया जाए। जिससे कि दिवंगत शिक्षकों का  परिवार अपना ध्यान रख सकें। उन्होंने कहा है कि शिक्षक अपनी जान जोखिम में डालकर कार्य कर रहे हैं। जब स्वास्थ्य सहित अन्य विभागों में काम करने वाले कर्मचारियों को कोरोना योद्धा का दर्जा दिया गया है तो आखिर शिक्षकों के साथ भेदभाव क्यों हो रहा है। सरकार को चाहिए कि तत्काल शिक्षकों के प्रति संवेदनशीलता का माहौल दिखाते हुए उन्हें कोरोना योद्धा घोषित करने के आदेश जारी करें। उन्होंने कहा है कि इसके लिए सरकार को लगातार पत्र लिखे जा रहे हैं लेकिन इस दिशा में कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

विसंगति पूर्ण योजनाएं थी भर रही है घातक - दहायत

शिक्षक नेता गिरीश दहायत का कहना है कि विभाग विसंगति पूर्ण योजनाएं और कार्यक्रम बनाकर  शिक्षकों को जबरदस्ती कोरोना महामारी में और मोहल्ला क्लास, घर घर संपर्क और पढाई जैसी योजनाएं संचालित करने के लिए दबाव बना रहा है जिससे कई शिक्षक प्रदेश में कोरोना महामारी के शिकार होकर काल के मुह में समा रहे हैं। लेकिन शासन का इस ओर कोई ध्यान ही नहीं है। इन्हीं परिस्थितियों के चलते राजधानी के एक शिक्षक की भी कोरोना के  चलते मौत हो गई। शिक्षक की मौत से शिक्षकों के विभाग के प्रति आक्रोश है। उन्होंने तत्काल दिवंगत शिक्षक को कोरोना योद्धा का दर्जा प्रदान कर समस्त शासकीय सुविधाओं का लाभ प्रदान करने की मांग की है।

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