भोपाल, मध्यप्रदेश। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) के शिक्षक और अधिकारी संघ (एसएएस) ने विश्वविद्यालय के फंड में लगातार हो रही गिरावट पर चिंता जताते हुए विवि में फैली अव्यवस्थाओं और वित्तीय गड़बड़ी की ओर विवि प्रबंधन को ध्यान केंद्रित करते हुए अधिकारियों के हित में कई मांगे रखी हैं। उनका कहना है कि आरजीपीवी एक सेल्फ फाइनेंस विवि है। यहां आय के संसाधनों में लगातार गिरावट आ रही है। इसे लेकर उन्हें विवि के साथ ही अपनी भी चिंता है। इसलिए एसएएस की बैठक में विवि के मौजूदा हालात पर चर्चा कर विवि के कुलपति से बीते 6 साल की वित्तीय जानकारी मांगी है। संघ ने जानकारी नहीं मिलने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी। लेकिन दो बार रिमांइडर और चेतावनी के बावजूद विवि पर कोई असर नहीं पड़ा है।
दरअसल, शिक्षक एवं अधिकारी संघ (एसएएस)आरजीपीवी, पंद्रह साल पुरानी संस्था है, जो कर्मचारियों के हितों के संरक्षण के लिए कार्यरत है। संघ को विवि में हो रही सभी गतिविधियों की भली-भांति जानकारी है, यही वजह है कि संघ ने कई बिंदुओं को उजागर कर संदेह जताया है। बैठक में उठाए गए मुद्दों को गंभीरता पूर्वक समझा जाए तो यह जानना मुश्किल नहीं है कि वित्तीय संसाधनों का कुप्रबंधन और दुरुपयोग विवि को एक गंभीर संकट की ओर धकेल रहा है। संघ का कहना है कि विवि कैंपस में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है और करोड़ों रुपए का अनावश्यक अनियंत्रित व अनुपातहीन खर्च कर पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा है, जिससे गंभीर वित्तीय अनियमितताओं का होना स्पष्ट होता है।
संघ ने समाचार पत्रों में छपी विवि की अनियमित्ताओं का भी हवाला दिया है। उनका कहना है कि कुप्रबंधन के कारण विवि की जमा पूंजी में पिछले सालों में भारी गिरावट आई है। इसलिए संघ ने विवि से बीते 6 साल की वित्तीय जानकारी मांगी है, लेकिन विवि हमेशा की तरह मौन रहकर टालने का प्रयास कर रहा है, जिससे संघ की चिंता पर स्वत: ही मोहर लग रही है। संघ ने चिंता जताते हुए अधिकारियों के हितों के लिए विशेष प्रावधान व पेकेज रखने की मांग रखी है।
संघ की मांग विवि के बजट में हो विशेष प्रावधान :
समस्त शिक्षकों अधिकारियों एवं कर्मचारियों के वेतन भत्तों हेतु 500 करोड़ रुपए आरक्षित करने के लिए प्रस्ताव विश्वविद्यालय की आगामी कार्य परिषद की बैठक में रखकर राशि आरक्षित की जाए।
केंद्र एवं राज्य के अन्य शिक्षक अधिकारी एवं कर्मचारियों की तरह प्रतिपूर्ति आधारित चिकित्सा सुविधा सुनिश्चित करना और इसके लिए 100 करोड़ रुपए सुरक्षित रखना।
अन्य राज्यों की तरह यदि मप्र सरकार भी पेंशन स्कीम लागू करती है, तो विवि के शिक्षकों अधिकारी एवं कर्मचारी के लिए पेंशन सुनिश्चित करने हेतु 200 करोड रुपए सुरक्षित रखना और विवि के शिक्षक अधिकारी एवं कर्मचारियों को पेंशन सुविधा लागू करने हेतु कार्यवाही की जाए।
विश्वविद्यालय के अधिनियम व परिनियम का पालन सुनिश्चित करते हुए समस्त प्रशासनिक पदों (कुलपति, कुलसचिव, सचिव, वित्त नियंत्रक एवं परीक्षा नियंत्रक को छोडक़र) विवि के शिक्षकों द्वारा भरे जाना सुनिश्चित करें।
एसएएस के सभी शिक्षक अधिनियम अनुसार वरीयता सूची में वर्ग आ में आते हैं, इसलिए समस्त स्कूल के डायरेक्टर, विभागाध्यक्ष और अन्य पद वर्ग आ के शिक्षकों के द्वारा ही भरे जाने की प्रक्रिया सुनिश्चित करें।
इनका कहना है :
संघ एक स्टेक होल्डर संस्था है, उसके पास विवि की आय और व्यय जानने का पूरा अधिकार है। इस नाते विवि से जानकारी मांगी गई है,लेकिन विवि बताने से बचता नजर आ रहा है। जल्द ही विवि प्रबंधन से मिलकर जवाब मांगा जाएगा। जानकारी नहीं मिलती है तो संघ आगे की कार्यवाही करेगा।प्रो. एसएस कुशवाह, कार्यकारी अध्यक्ष शिक्षक एवं अधिकारी संघ, आरजीपीवी, भोपाल
कुलपति नहीं देते जवाब :
मामले में जानकारी के लिए विवि के कुलपति सुनील कुमार को फोन लगाया गया तो उन्होंने हमेशा की तरह फोन रीसिव नहीं किया। इससे पहले भी विवि से जुड़े मामलों में विवि का पक्ष जानने के लिए कई बार कुलपति को फोन लगाया गया लेकिन जवाब नहीं देते हैं, दनके इस रवैये से स्पष्ट होता है कि वह विवि में होने वाली अनियमित्ताओं सहित अन्य गतिविधियों को लेकर गंभीर और सजग नहीं हैं।
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