भोपाल, मध्यप्रदेश। केन्द्र और राज्य सरकार से कोर्ट में सही आंकड़े पेश करने की मांग को लेकर राजधानी के नीलम पार्क में धरने और अनशन पर बैठे गैसपीड़ितों को दूसरे दिन पुलिस ने नजरबंद कर दिया। गैसपीड़ित संगठनों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने धरने में शामिल होने के लिए पीड़ितों को अंदर नहीं जाने दिया गया। दरअसल यहां 10 बुजुर्ग महिलाएं बिना पानी पीए अनशन पर बैठी हैं, तो उनके साथ कई गैस पीड़ित भी हैं। पहले दिन बड़ी संख्या में गैस पीड़ित अनशन में शामिल हुए थे, लेकिन दूसरे दिन शनिवार को पुलिस ने बैरिकेडिंग कर उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। ऐसे में कई गैस पीड़ित बाहर ही धरने पर बैठ गए। इस दौरान पुलिस और गैसपीड़ित संगठनों के पदाधिकारियों के बीच कहासुनी भी हो गई।
गौरतलब है कि गैस पीड़ितों के मुआवजे को लेकर 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होना है। केंद्र और राज्य सरकार कोर्ट में प्रभावितों के सही आंकड़े पेश करे, इसलिए पिछले कई महीनों से गैस पीड़ित भोपाल से लेकर दिल्ली तक आंदोलन कर रहे हैं। दिल्ली में प्रदर्शन करने के बाद गैस पीड़ितों ने शुक्रवार से भोपाल के नीलम पार्क में अनशन शुरू किया है। पहले दिन बड़ी संख्या में गैस पीड़ित शामिल हुए थे। इनमें गैस पीड़ित 10 महिलाएं लीलाबाई ठाकुर, कपूरी यादव, बत्ती बाई रजक, चिरौंजी अहिरवार, विष्णु पंथी, प्रेमलता चौधरी, शहजादी बी, कस्तूरी कसोटे, लक्ष्मी अहिरवार और लक्ष्मी बाई बिना पानी के अनशन पर बैठी हैं। अनशन में शामिल होने के लिए शनिवार सुबह बड़ी संख्या में गैस पीड़ित पहुंचे, लेकिन पुलिस ने बैरिकेडिंग करके उन्हें रोक दिया। अंदर नहीं जाने दिया गया। इसलिए गैस पीड़ित बैरिकेड्स के पास ही धरने पर बैठ गए। पुलिस ने पूरे पार्क को लगभग सील कर दिया है, और यहां अंदर किसी को जाने नहीं दिया जा रहा है। जिसका गैसपीड़ित संगठनों ने विरोध किया है। सूत्रों का कहना है कि अनशन खत्म कराने करे लिए शनिवार देर रात पुलिस कार्रवाई कर सकती है।
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