भोपाल, मध्यप्रदेश। सिमी जेल ब्रेक कांड के बाद सुर्खियों में आया भोपाल जेल एक बार फिर चर्चाओं में है। इस बार वर्षों से जमे अधिकारियों और कर्मचारियों के कारण जेल सुर्खियों में है। जेल में वर्षों से जमे मठाधीशों के कारण ट्रांस्पेरेंसी सिस्टम में धूल जमने लगी है। यहां सालों से जमें अधिकारियों-कर्मचारियों की संख्या एक दो नहीं बल्कि आधा सैकड़ा से अधिक है। इधर, जेल में सेटिंग के दम पर सालों से जमें कर्मचारियों को हटाने के सवाल पर अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं।
जानकारी के अनुसार वर्ष 2016 में सिमी जेल ब्रेक कांड के बाद सरकार और जेल प्रशासन के अधिकारियों ने सिस्टम को सुधारने के लिए लाखों-करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा दिए थे। इस कांड को करीब साढ़े चार साल बीतने के बाद जेल प्रशासन पुराने ढर्रे पर काम करने लगा है। जेल की तमाम जिम्मेदारियों में तैनात कुछ जवान पांच साल से लेकर 30 साल से अधिक समय से इसी जेल में तैनात हैं। वहीं जेल ब्रेक की घटना के बाद तमाम सख्ती यहां की गई थी। बावजूद इसके जेल के भीतर कई बार खूनी संघर्ष की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। कैदियों के बीच होने वाली झड़प में टीन घिसकर हथियार बनाने तथा इसका इस्तेमाल कर एक कैदी का गला रेतकर लहूलुहान करने जैसी बड़ी वारदात हो चुकी हैं। इस पूरे घटनाक्रम में जेल प्रशासन को वारदात से पहले भनक तक नहीं लगी थी। इस वारदात को कुख्यात अपराधी यासीन मजिस्ट्रेड और मुन्ना मजिस्ट्रेड की गैंग ने अंजाम दिया था। इसी के साथ जेल के भीतर सिमी कांड के बाद शादाब उर्फ छोटे कुरैशी एक पुलिसकर्मी की बेरहमी से धुनाई कर चुका है। वहीं कई बार जेल प्रेहरी स्वयं अंदर गुटखा व मादक पदार्थ बिक्री जैसे संगीन आरोपों में घिर चुके हैं।
यह अधिकारी पांच साल से अधिक समय से हैं पदस्थ :
जेल में अंगद के पांव की तरह जमे अधिकारियों में पहला नाम सुपरिंटेंडेंट दिनेश नरगावे का है। 2016 से अब तक नरगावे भोपाल जेल में ही पदस्थ हैं। इसी के साथ डिप्टी जेलर आलोक भार्गव और हरीश आर्य भी पांच साल से अधिक समय से यहीं पदस्थ हैं। इन दोनों की ड्यूटी में समय-समय पर फेर बदल किया जाता रहा है पर लंबे समय से इन्हें अन्य जेल में नहीं पदस्थ किया गया।
जेल में इनकी बोलती है तूती :
सूत्रों का दावा है कि जेल में पदस्थ कर्मचारी रामपाल ने अपनी पूरी नौकरी ही गुजार दी है। इसी के साथ दिनेश और धर्मेंद्र गुर्जर यहां करीब दस साल से अधिक समय से तैनात हैं। नेतराम, परमानंद, हारुन, इरशाद, अशोक चौबे, विमल सिंह, लोकेश उड़े, कृष्णकांत पांडे, अर्जुन भदौरिया, मनमोद सिंह, अजय यादव, दीपक जोशी, बीना तिवारी, राधा गुप्ता, सूफिया और राधा जयसवाल सहित आधा सैकड़ा से अधिक कर्मचारी लंबे समय से यहां जमे हुए हैं।
स्थानांत्रण नीति का असर नहीं :
वर्ष 2019 में सरकार ने स्थानांत्रण नीति को लागू किया था। जिसके तहत एक स्थान पर तीन साल से अधिक समय से जमे अधिकारियों और कर्मचारियों को हटाने का नियम बनाया गया था। बावजूद इसके जेल में वर्षों से जमे अधिकारी कर्मचारी बड़ी संख्या में मौजूद हैं।
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