जलाशयों के पास, पिकनिक स्पॉट पर नहीं सुरक्षा इंतजाम सांकेतिक चित्र
मध्य प्रदेश

Bhopal : बारिश के मौसम में जलाशयों के पास, पिकनिक स्पॉट पर नहीं है सुरक्षा इंतजाम

भोपाल, मध्यप्रदेश : हर साल होते हैं, हादसे, फिर भी ना प्रशासन सबक लेता ना ही लोग। यहां सैकड़ों लोगों की मौतें हो चुकीं हैं, इनमें 80 फीसदी से ज्यादा युवा और किशोर ही हैं।

Shakti Rawat

भोपाल, मध्यप्रदेश। बारिश का मौसम शुरू होते ही लोग और खासतौर पर युवा शहर के आसपास स्थित डेमों और जलाशयों की तरफ पिकनिक मनाने और मौजमस्ती के लिए निकल पड़ते हैं। इस मौसम में यहां हरियाली और पानी लोगों को आकर्षित करते हैं, लेकिन ऐसी जगहों पर जहां जलाशय और पिकनिक स्पॉट नजदीक हैं, या एक ही जगह पर हैं, वहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं है। शहर के आसपास केरवा, कलियासोत, हलाली, महादेव पानी, हथाईखेड़ा और मौत का कुआं समेत कई ऐसे स्पॉट हैं, जहां बारिश के मौसम में छुट्टियों के दिनों के अलावा अन्य दिनों में भी लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। कई लोग जोश और उत्साह में आकर पानी के अंदर भी उतर जाते हैं, लेकिन लापरवाही और सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम ना होने से हर साल इन जलाशयों पर हादसे होते हैं। इस साल भी कुछ ऐसा ही हाल है, एक तरफ इन स्थानों पर लोगों का पहुंचना जारी है, तो वहीं दूसरी तरफ प्रशासन, वन विभाग और अन्य संस्थाओं की तरफ से कोई तैयारी नजर नहीं आ रही है। पिछले महीने मौत के कुंए तक लोगों को पहुंचने से रोकने के लिए वन विभाग ने यहां फेंसिंग कराई थी लेकिन उसके बाद भी यहां लोग धड़ल्ले से अंदर घुस रहे हैं। जबकि यहां सैकड़ों लोगों की मौतें हो चुकीं हैं, इनमें 80 फीसदी से ज्यादा युवा और किशोर ही हैं।

यह होना चाहिये :

  • सभी जलाशयों पर 24 घंटे गोताखोर तैनात होने चाहिये। साथ में नाव और लाइफ जैकेट जैसे जीवन बचाने वाली सुविधाओं की व्यवस्था चाहिये।

  • पुलिस और वन विभाग को लगातार पेट्रोलिंग करके लोगों को सचेत और सावधान करने की जरूरत।

  • सभी जलाशयों और पानी से जुड़े पिकनिक स्पॉटों पर बोर्ड लगाकर संबधित थाने, वन विभाग के अधिकारी या कर्मचारी, गोताखोरों और निक टतम अस्पताल या इंमरजेेंसी सेवा के मोबाइल नंबर लिखने की जरूरत है। ताकि मुसीबत के वक्त लोग मदद मांग सकें।

  • ऐसे पिकनिक स्पॉटों पर चेतावनी के बोर्ड लगाने की जरूरत ताकि जहां खतरा हो वहां लोग ना जाएं।

और हकीकत है यह :

  • एकाध को छोड़कर किसी भी पिकनिक स्पॉट पर चेतावनी के बोर्ड नहीं। लोगों को पता नहीं कहां खतरा और वे सुरक्षित हैं।

  • किसी भी जलाशय से जुड़े पिकनिक स्पॉट पर ना तो स्थायी तौर पर गोताखोर और ना ही बोट व जैकेट की व्यवस्था। हादसा होने पर इन्हें बुलाया जाता है, जिसमें समय लगता है।

  • वन और पुलिस विभाग की नियमित पेट्रोलिंग का आभाव। कुछ जगह दिनभर में एकाध बार, कहीं वह भी नहीं।

  • ज्यातर पिकनिक स्पॉटों पर मदद के लिए गोताखोरों और सरकारी कर्मचारियों के नंबर वाले बोर्ड नहीं। इमरजेंसी में मदद देर से मिलती है।

  • मौत का कुआं समेत ज्यादातर पिकनिक स्पॉटों पर अधिकांश मोबाइल कंपनियों का नेटवर्क नहीं आता। इससे कोई हादसा होने पर मोबाइल से संपर्क करना मुश्किल हो जाता है। काफी दूर मुख्य सड़कों पर आने पर ही मोबाइल लग पाता है। तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।

लोग बरतें यह सावधानी :

  • अगर जलाशय से जुड़े किसी पिकनिक स्पॉट पर परिवार या दोस्तों के साथ जा रहे हैं, तो अपनी और सबकी सुरक्षा के लिए ये सावधानियां जरूर बरतें।

  • जिस इलाके में जा रहे हैं, वहां के संबधित थाने का और कंट्रोल रूम के साथ ही जरूरत पर मदद के लिए कुछ नंबर जरूर साथ रखें।

  • ऐसे पिकनिक स्पॉट पर परिवार या परिचितों को जानकारी देकर ही जाएं। साथ में बीच-बीच में घर व दोस्तों से लगातार संपर्क बनाए रखें।

  • जहां सुरक्षा निर्देश दिए गए हैं, वहां पानी के अंदर बिलकुल ना उतरें। अगर पानी में जा रहे हैं, तो सब एक साथ पानी के अंदर ना उतरें। एक दो लोग पानी से बाहर जरूर रहें।

  • ऐसे स्थान पर कोई गोताखोर, पुलिस कर्मी या फिर वन विभाग का कर्मचारी तैनात है तो उसका मोबाइल नंबर जरूर ले लें।

  • अपने साथ पिकनिक पर जाते हुए मोटी लंबी रस्सी, प्लास्टिक की बड़ी कैन आदि साथ रखें ताकि आपात स्थिति में आपका कीमती समय खराब ना हो।

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