भोपाल, मध्यप्रदेश। दिसम्बर 1984 के यूनियन कार्बाइड हादसे के पीड़ितों के संगठनों ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लंबित सुधार याचिका की सुनवाई की घोषणा का स्वागत किया है। उन्होंने यह भी आशंका व्यक्त की है कि गैस काण्ड की वजह से हुई मौतें और इंसानी सेहत को पहुंचे नुकसान के सही आंकड़ों को सरकारों के द्वारा जानबूझ के कम करके पेश करने की वजह से भोपाल गैस पीड़ितों को उनके उचित मुआवजे के हक़ से वंचित कर दिया है।
गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने कहा- "हम संगठन भी इस मामले में राज्य और केंद्र सरकारों के साथ याचिकाकर्ता है। हम अतिरिक्त मुआवज़े के रूप में 646 अरब रूपए माँग रहे हैं जबकि सरकारें मात्र 96 अरब रूपए माँग रही हैं। अब वक़्त आ गया है कि अपने कानूनी अधिकारों पर हो रहे इस हमले के खिलाफ भोपाल के गैस पीड़ित फिर से सक्रिय हो जायँ " भोपाल ग्रुप फॉर इनफार्मेशन एन्ड एक्शन की रचना ढिंगरा ने कहा, सरकार मौतों के वास्तविक आँकड़ों को पेश नहीं कर रही है और गैस की वजह से 93% पीड़ितों के सेहत को पहुंचे नुकसान को अस्थाई बता रही है।
वैज्ञानिक रिपोर्ट और सरकारी दस्तावेज बताते हैं कि मौत का सही आँकड़ा 23000 से ज्यादा है और गैस लगने की वजह से बहुसंख्यक पीड़ितों के स्वास्थ्य को अस्थाई नहीं बल्कि स्थाई नुकसान पहुँचा है। पिछले कुछ सालों में कम से कम चार मौकों पर राज्य और केंद्र सरकारों के मंत्रियों और अधिकारियों ने यह माना है कि सुधार याचिका में गैस हादसे की वजह से पहुँचे नुकसान के आँकड़े गलत थे और आँकड़ों को सुधारने के लिए वादे भी किए थे," कहते है भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष नवाब ख़ान। "अब सुधार याचिका पर जल्द ही सुनवाई शुरू होनी है पर अभी तक आँकड़ों को सुधारा नहीं गया है। गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव के अनुसार, "यदि राज्य और केंद्र की सरकारें सुनवाई से पहले उनके द्वारा किए गए वादे के अनुसार सुधार याचिका में आँकड़ें नही सुधारती हैं तो उनके जानबूझकर कर सर्वोच्च न्यायालय को गुमराह करने की वजह से गैस पीड़ितों को इन्साफ मिलना नामुमकिन हो जाएगा"
नौशीन खान ने गैस पीड़ितों की अगली पीढ़ी से की ये अपील
कार्बाइड के खिलाफ बच्चे की नौशीन ख़ान ने गैस पीड़ितों के अगली पीढ़ी से अपील की है कि उनके माता पिता को गैस लगने की वजह से उन्हें हुई शारीरिक क्षति के लिए सही मुआवज़ा के कानूनी अधिकार के बारे में जागरूक हों। "कई वैज्ञानिक प्रकाशनों में गैस पीड़ितों की अगली पीढ़ी में बढ़त काम होना, जन्मजात विकृतियाँ होना और रोग प्रतिरोधक तन्त्र के क्षतिग्रस्त होने के बारे में तथ्य प्रकाशित हुए हैं। परन्तु सुधार याचिका में अगली पीढ़ी के मुआवज़े के सवाल पर केन्द्र तथा प्रदेश की सरकारें खामोश हैं। हमें साथ मिलकर इस खामोशी को तोड़ना होगा।
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