हाईलाइट्स:
प्रभुराज नायडू अपनी शेख चिल्ली फिल्म प्रोडक्शन कंपनी के मालिक।
फरियादी का बेटा है स्क्रिप्ट राइटर ।
बेटे की कहानी पर फिल्म बनाने का झांसा देकर लगाया चूना ।
भोपाल। मुंबई के एक कथित फिल्म मेकर ने रिटायर्ड डीएफओ को 50 लाख रुपए का चूना लगा दिया। दरअसल फरियादी का बेटा फिल्म की स्क्रिप्ट लिखने में रुचि रखता है। फिल्म मेकर ने झांसा दिया कि वह बेटे की लिखी कहानी पर फिल्म का निर्माण करेगा। फिल्म के निर्माण के आधा पैसा लगाना होगा। फरियादी ने अपने हिस्से के चार लाख रुपए दे दिए थे, लेकिन चार साल गुजर जाने के बाद भी फिल्म मेकर ने फिल्म का निर्माण शुरू नहीं किया। टीटी नगर पुलिस ने धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी है।
पुलिस के मुताबिक एमएलए क्वार्टर जवाहर चौक निवासी दिनेश कुमार दुबे (69) वन विभाग से डीएफओ के पद से सेवानिवृत्त हैं। उनका पुत्र मनुराज दुबे फिल्म की कहानी (स्क्रिप्ट राइटिंग) लिखने में रुचि रखता है। पुत्र के माध्यम से दिनेश दुबे के स्वामित्व वाले ग्लोबल फेल सिटी चूनाभट्टी के मकान में अगस्त 2019 में फिल्म मेकर प्रभुराज नायडू (54) निवासी मलाड वेस्ट मुंबई किराएदार की हैसियत से रहने आए थे। फिल्म मेकर प्रभुराज नायडू अपनी शेख चिल्ली फिल्म प्रोडक्शन कंपनी के मालिक भी हैं। कंपनी का ऑफिस मलाड वेस्ट में है। भोपाल में कंपनी का दफ्तर स्टे्रलिंग ग्लोब ग्रांड रोड होशंगाबाद रोड पर है।
प्रभुराज ने फरियादी दिनेश दुबे के पुत्र मनुराज दुबे को बताया कि वह अपनी फिल्म कंपनी से कई फिल्मों को निर्माण कर चुके हैं। तब मनुराज दुबे ने अपनी लिखी फिल्म की कहानी प्रभुराज नायडू को बताई। इस पर फिल्म मेकर ने दिनेश दुबे से कहा कि वह मनुराज दुबे की कहानी पर आधारित फिल्म का निर्माण करेंगे। फिल्म के निर्माण में करीब एक करोड़ रुपए की लागत आएगी। तय हुआ कि फिल्म निर्माण के लिए आधी रकम दिनेश दुबे लगाएंगे और शेष 50 लाख रुपए शेख चिल्ली फिल्म कंपनी की ओर से निर्माता प्रभुराज नायडू निवेश करेंगे। फिल्म निर्माण के बाद जो भी मुनाफा आएगा वह आधा-आधा बांट लिए जाएगा।
इस बारे में एक अक्टूबर 2019 को एक अनुबंध पत्र भी तैयार कर लिया गया। दिनेश दुबे ने अलग-अलग दिनों में फिल्म मेकर को अपने हिस्से के 50 लाख रुपए का भुगतान कर दिया। अभी समय अच्छा नहीं चल रहा एसआई सुनील रघुवंशी ने बताया कि 50 लाख रुपए का भुगतान करने के बाद भी फिल्म मेकर प्रभुराज ने फिल्म का निर्माण शुरू नहीं किया। फरियादी मोबाइल पर कॉल और व्हाट्सएप चैट के माध्यम से लगातार जानकारी मांगते रहे।
करीब चार साल तक प्रभुराज नायडू टाल-मटौल कर आश्वासन देता रहा। वह कहता था कि अभी समय अच्छा नहीं चल रहा है। फिल्म निर्माण नहीं किया जा सकता। चार साल बाद उसने जवाब देना भी बंद कर दिया। ठगी का आभास होने पर रिटायर्ड वन अधिकारी दिनेश दुबे ने लिखित शिकायती आवेदन टीटी नगर पुलिस को दिया था। जांच के बाद पुलिस ने आरोपी फिल्म मेकर प्रभुराज नायडू के खिलाफ जालसाजी का प्रकरण दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी है।
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