ईद की खरीदारी का पेटर्न बदला, अब रेडीमेड की खरीदी बढ़ी Atiq Ahmed - RE
मध्य प्रदेश

Bhopal : ईद की खरीदारी का पेटर्न बदला, अब रेडीमेड की खरीदी बढ़ी

भोपाल, मध्यप्रदेश : मौजूदा स्थिति में सिर्फ ईद की तैयारी चल रही है। बच्चे तुर्क टोपी लेना पसंद कर रहे हैं, जबकि पूरे दो साल बाद इत्र की जमकर खरीदारी हो रही है।

Irshad Qureshi

भोपाल, मध्यप्रदेश। जैसे-जैसे ईद करीब आ रही है, बाजार की खरीदारी का पेटर्न बदलता जा रहा है। पहले 10 दिन कच्चे कपड़े की जमकर खरीदारी हुई, लेकिन अब टेलरों ने बुकिंग लेना बंद कर दिया है। फिर बाजार में घर की दूसरे सामान की खरीदारी होती रही। अब बाजार रेडीमेड की तरफ बढ़ गया है। मौजूदा स्थिति में सिर्फ ईद की तैयारी चल रही है। बच्चे तुर्क टोपी लेना पसंद कर रहे हैं, जबकि पूरे दो साल बाद इत्र की जमकर खरीदारी हो रही है।

गौरतलब है कि हर साल रमजान का बाजार अपना तीन बार रूप बदलता है। पहले 10 दिन कच्चे कपड़े की अधिक डिमांड रहती है। क्योंकि अधिकांश लोग ईद पर कुर्ता-पयजामा पहनना पसंद करते हैं। इस दौरान टेलरिंग की दुकानों पर बुकिंग का दौर चलता रहता है। लेकिन इस बार एक सप्ताह में ही बुकिंग फुल हो गई। इसकी एक बजह पूरे दो साल बाद टेलरों की दुकानों पर ईद की बुकिंग आई है। वहीं अगले 10 दिन घरों के दूसरे सामानों की खरीदी का दौर चलता रहा। महिलाओं ने भी इस 10 दिन में अपनी खरीदारी पूरी कर ली। अब आखिरी दस दिनों में हर साल की तरह बाजार में रेडीमेड की डिमांड बढ़ गई है।

खुशबुओं से महका बाजार :

बाजार में इत्र की भी अधिक डिमांड देखी जा रही है। पूरे दो साल बाद रमजान में पूरी क्षमता के साथ बाजार खुले हैं। इसलिए ग्राहक भी जमकर खरीदारी कर रहे हैं। इत्र की अलग-अलग क्वालिटी को चेक करने के दौरान बाजार खूशबुओं से महक रहे हैं। पुराने शहर की गलियों में घुसते ही इन खुशबुओं का एहसास तरोताजा कर देता है। वहीं बच्चे भी तरह-तरह के डिजाईन वाली टोपियां ले रहे हैं। सबसे अधिक बच्चों में तुर्क टोपी की डिमांड है, जबकि बड़े लखनवी टोपी पसंद कर रहे हैं। ऐसे ही रेडीमेड कुर्ता-पयजामे में भी लखनवी की डिमांड है।

ईद के लिए सिवईयां और फैनी से सजे बाजार :

ईद के नजदीक आते ही सिवईयां और दूध फैनी से बाजार सज गए हैं। पुराने शहर के इब्राहिमपुरा से लेकर कॉजी कैम्प, जहांगीराबाद की मेन सड़कों पर आसानी से सिवईयां और फैनी बिकती नजर आ जाएगी। ईद के मौके पर इसकी अधिक डिमांड रहती है। हालांकि पहले हाथ से बनी सिवईयां का महत्व रहता था, लेकिन अब इसकी जगह मशीनों से बनीं सिवईयों ने ले लिया है।

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