बीएमएचआरसी में आधुनिक पद्धति से बाईपास सर्जरी शुरू हुई Social Media
मध्य प्रदेश

Bhopal : बीएमएचआरसी में आधुनिक पद्धति से बाईपास सर्जरी शुरू हुई

भोपाल, मध्यप्रदेश : बीएमएचआरसी में अब आधुनिक तकनीक से हार्ट की बायपास सर्जरी शुरू हो गई है। नई प्रक्रिया से मरीज को दर्द कम होता है, जटिलताएं कम होती हैं ओर रिकवरी जल्दी हो जाती है।

Shahid Kamil

भोपाल, मध्यप्रदेश। भोपाल स्मारक अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र (बीएमएचआरसी) में अब आधुनिक तकनीक से हार्ट की बायपास सर्जरी शुरू हो गई है। इस नई तकनीक में छोटा चीरा लगाया जाता है। जटिलताएं कम होती हैं। दर्द कम होता है और मरीज कम समय में अपनी दिनचर्या की ओर लौट जाता है। बीएमएचआरसी के हृदय शल्य क्रिया विभाग में अब तक पांच मरीजों की इस तकनीक से सर्जरी हो चुकी है।

बीएमएचआरसी में बीते 11 वर्षों से कार्यरत हृदय शल्य क्रिया विभाग के प्रमुख डॉ. संजीव गुप्ता ने बताया कि इस पद्धति को मिनिमली इनवेसिव कोरोनरी आर्टरी सर्जरी (MICAS) कहा जाता है। बाईपास सर्जरी कराने वाले मरीजों के लिए यह तकनीक एक वरदान की तरह है। इस तकनीक के जरिए मरीज की पसली के नीचे करीब 4 इंच का छोटा चीरा लगाया जाता है, जबकि पुरानी तरह की पद्धति से होने वाली बायपास सर्जरी में छाती की हड्डी को काटना पड़ता है और करीब 8 इंच का चीरा लगाया जाता है। नई पद्धति में पसलियों के नीचे चीरा लगाने से छाती की हड्डी को काटने की आवश्यकता नहीं पड़ती। ऑपरेशन के दौरान मरीज को हार्ट-लंग बायपास मशीन पर भी नहीं रखना पड़ता। डॉ. गुप्ता ने बताया कि नई प्रक्रिया भी पुरानी ओपन हार्ट सर्जरी की तरह ही प्रभावी है। छोटा चीरा लगाने व छाती की हड्डी न काटने की वजह से मरीज को ऑपरेशन के बाद दर्द कम होता है। जटिलताएं कम होती हैं। उसे ऑपरेशन के पांच-छः दिन बाद ही अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है और 15 दिनों के भीतर ही अपने रोजमर्रा के काम करने के लायक हो जाता है। अब तक पांच मरीजों का इस प्रक्रिया से सफल ऑपरेशन हो चुका है, जिनमें से दो मरीजों को पिछले हफ्ते ही डिस्चार्ज किया जा चुका है।

बीएमएचआरसी के मेडिकल सुपरिटेंडेंट (प्रभारी) व एनेस्थीसिया विभाग के प्रमुख डॉ. अनुराग यादव और एनेस्थीसिया विभाग में प्रोफेसर डॉ. सारिका कटियार ने बताया कि मरीजों की स्क्रीनिंग के बाद यह तय किया जाता है कि किस मरीज का इस पद्धति से ऑपरेशन किया जाए। नई पद्धति से ऑपरेशन करना तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण होता है तथा मरीज को बेहोश करना भी कठिन होता है।

बीएमएचआरसी के निदेशक डॉ. प्रभा देसिकन ने बताया कि पूरे मध्य प्रदेश में बहुत कम ऐसे अस्पताल हैं, जहां MICAS पद्धति से बाईपास सर्जरी होती है। बीएमएचआरसी उनमें से एक है।

फायदे : परंपरागत सर्जरी के मुक़ाबले MICAS के मुख्य फायदे इस प्रकार हैं।

  1. छोटा चीरा, छाती की हड्डी न काटने से दर्द कम होना।

  2. संक्रमण का कम खतरा और ऑपरेशन के बाद कम जटिलताएं।

  3. कम रक्त का बहना, जिससे ब्लड ट्रांसफ्यूजन की कम आवश्यकता पड़ना।

  4. अस्पताल से जल्दी डिस्चार्ज।

  5. जल्दी रिकवरी होना और दैनिक कार्यकलाप की ओर जल्द लौट जाना।

  6. सर्जरी के छोटे व कम निशान।

क्या होती है बायपास सर्जरी और MICAS :

जिन मरीजों के हृदय की बंद या संकरी धमनियों को एंजियोप्लास्टी से नहीं खोला जा सकता, उनको बाईपास सर्जरी की सलाह दी जाती है। बाईपास सर्जरी में दिल को रक्त पहुंचाने वाली ब्लॉक्ड धमिनियों को काटे या साफ किए बिना, ग्राफ्ट द्वारा एक नया रास्ता बनाया जाता है। इसके लिए एक स्वस्थ ब्लड वेसल (ग्राफ्ट) को छाती, हाथ या पैर से लिया जाता है और फिर प्रभावित धमनी से जोड़ दिया जाता है ताकि ब्लॉक्ड या रोग-ग्रस्त धमनी को बाईपास कर सकें। परंपरागत तौर पर होने वाली बाईपास सर्जरी में शरीर के बीचों-बीच छाती से एक बड़ा चीरा लगाया जाता है और छाती की हड्डी को काटकर सर्जन हार्ट तक पहुंच पाता है। MICAS में पसली के नीचे एक छोटा चीरा लगाया जाता है और हड्डी को काटने की आवश्यकता नहीं पड़ती। बाकी सारी प्रक्रिया वही होती है।

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