भोपाल, मध्यप्रदेश। राजधानी स्थित आरटीओ में इन दिनों अजीब स्थिति बनी हुई है जो परिवहन संबधी काम कराने के लिए कई किलोमीटर दूर कोकता तक पहुंचने वाले आवेदकों के लिए सिरदर्द साबित हो रही है। दरअसल यहां दोहरी व्यवस्था के तहत काम हो रहा है, जिसको लेकर अफसर भी ठीक से जबाव नहीं दे पा रहे हैं। गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों में आरटीओ संबधी कई काम ऑनलाइन कर दिए गए हैं। सोमवार से कॉमर्शियल वाहनों का रजिस्ट्रेशन भी वाहन-4 पोर्टल पर शुरू कर दिया गया है। इसके पीछे दलील दी गई थी कि यह सब आवेदकों की सुविधा के लिए किया गया है। लेकिन हकीकत इससे उलट नजर आ रही है।
ऑनलाइन संबधी लगभग सभी काम एनआईसी पोर्टल पर हो रहे हैं। लेकिन दूसरी तरफ परिवहन कार्यों के आवेदनों पर पुरानी व्यवस्था के तहत आरटीओ में मैन्यूअली काम भी चल रहा है। जिससे आवेदकों को दोहरी मेहनत करनी पड़ रही है। यानि जिस काम के लिए ऑनलाइन आवेदन हो जाता है उसी काम के लिए आरटीओ में फाइल भी बन रही है। फिर पुरानी प्रक्रिया के तहत आावेदकों को अफसरों के सामने पेश होना पड़ता है, बाबूओं की टेविलों से गुजरने के बाद जब फाइल पर अफसर के साइन हो जाते हैं, तब कहीं जाकर ऑनलाइन काम पूरा होता है। जबकि ऑनलाइन व्यवस्था में इसकी जरूरत नहीं है। इस दोहरी व्यवस्था के चलते आवेदक परेशान और नाराज नजर आ रहे हैं।
तकनीकी समस्या और समय भी लग रहा है ज्यादा :
आरटीओ संबधी कामों से जुड़े हुए लोग भी इस समस्या की पुष्टि करते हैं। उनका कहना है कि ऑनलाइन व्यवस्था हो जाने के बाद यह दोहरी व्यवस्था समझ से परे है। क्योंकि इसमें आवेदक के काम में समय पहले से भी ज्यादा लग रहा है साथ ही उसे बार-बार आरटीओ के चक्कर काटने पर भी मजबूर होना पड़ रहा है। दूसरी तरफ ऑनलाइन सेवाओं में तकनीकी समस्या लगातार बनी हुई है, जिससे भी आवेदक परेशान नजर आ रहे हैं।
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