भोपाल, मध्यप्रदेश। कोरोना की वजह से दो साल से रुके हुए आलमी तब्लीगी इज्तिमा के इस बार आयोजित होने के रास्ते आसान होते दिखाई दे रहे हैं। नवंबर माह में होने वाला ये धार्मिक समागम इस बार चार दिन का होगा। लेकिन शुरुआती तैयारियों में इस बात का फैसला किया गया है कि इस आयोजन में महज देशभर के विभिन्न राज्यों की जमाते ही शामिल होंगी। जबकि विदेशों से आने वाले जमातियों को फिलहाल आमंत्रित नहीं किया जाएगा।
आलमी तब्लीगी इज्तिमा (Alami Tablighi Ijtima) के व्यवस्थापकों में शामिल अतीक उल इस्लाम ने बताया कि, इस साल इज्तिमा नवंबर माह में आयोजित किया जाएगा,18 से शुरू होकर ये चौथे दिन 21 नवम्बर को दुआ ए खास के साथ समाप्त होगा। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 में Covid की गंभीरता के चलते ये निरस्त कर दिया गया था। इसके अगले वर्ष आयोजन समिति ने स्वयं निर्णय लेकर इस समारोह को आयोजित नहीं किया था। उन्होंने कहा कि हालात को देखते हुए और किसी तरह के बीमारी वाले खतरे का कारण न बनने की मंशा के साथ ये आयोजन रोका गया था।
अतीक उल इस्लाम ने बताया-
अब हालात सामान्य हो चुके हैं। जिसके चलते दुनियाभर की अकीदत वाले इस आयोजन को आकार देने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने बताया कि ईंटखेड़ी में आयोजित होने वाले इस धार्मिक समागम के लिए तैयारियों की शुरुआत जल्दी ही कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि आयोजन स्थल पर जरूरी कामों के लिए पीडब्ल्यूडी, पीएचई, बिजली विभाग, नगर निगम आदि को सूचित कर दिया गया है। जबकि व्यवस्था के लिए जिला प्रशासन और सुरक्षा इंतजामों के लिए पुलिस प्रशासन भी अपनी योजना बनाने लग गए हैं। अतीक उल इस्लाम ने बताया कि चार दिन के इस आयोजन में देशभर की हजारों जमाते शामिल होंगी। जिन्हें संबोधित करने के लिए देश के कई बड़े उलेमा हजरात तशरीफ लायेंगे।
आलमी तब्लीगी इज्तिमा के 75 वर्ष में ये पहली बार होगा कि इसमें हिंदुस्तान के अलावा किसी गैर मुल्क की जमात शामिल नहीं होंगी। दुनियाभर में फैली बीमारियों और इनके खतरों से बचाव के लिए इज्तिमा जिम्मेदारों ने ये फैसला लिया है।
आजादी की उम्र का हुआ इज्तिमा
दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम में तीसरा स्थान रखने वाला भोपाल इज्तिमा वर्ष 1947 में मस्जिद शकूर खां में महज 13 लोगों की शिरकत से शुरू हुआ था। इसके अगले वर्ष ताजुल मसजिद के तैयार हो जाने के बाद से इस आयोजन को यहां शिफ्ट कर दिया गया। लंबे समय तक यहां होने वाले आयोजन में बढ़ती जमातियों की तादाद के चलते ईंटखेड़ी पर भेज दिया गया था। करीब डेढ़ दशक से ज्यादा समय से ये इसी स्थान पर आयोजित किया जा रहा है। अब इसमें शामिल होने वालों की संख्या लाखों में पहुंच चुकी है।
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