सरकारी अस्पताल के बुरे हाल Raj Express
मध्य प्रदेश

सरकारी अस्पताल के बुरे हाल, स्ट्रेचर नहीं मिला तो कुर्सी पर लिटाकर मरीज को डॉक्टर के कक्ष तक ले गए परिजन

सीहोर, मध्यप्रदेश। मरीज डॉक्टर और दवाइयां नहीं मिलने की शिकायत करते है। मरीज जब सुविधाओं के लिए आवाज उठाते है तो यहां मौजूद सुरक्षाकर्मी उनकी पिटाई तक कर देते है।

Deeksha Nandini

हाईलाइट्स

  • ट्रॉमा सेंटर में तब्दील हुए जिला अस्पताल में लोगों को नहीं मिल रहे स्ट्रेचर।

  • परिजन महिला मरीज को अस्पताल की कुर्सियों पर लिटाकर डॉक्टर के कक्ष की तरफ ले जाने को मजबूर ।

  • मरीज जब सुविधाओं के लिए आवाज उठाते है तो यहां मौजूद सुरक्षाकर्मी उनकी पिटाई तक करते है।

सीहोर, मध्यप्रदेश। राजधानी के नजदीकी जिला सीहोर के जिला अस्पताल में मरीजों का इलाज तो दूर की बात है उन्हें इधर से उधर करने के लिए भी पर्याप्त संसाधन नहीं है। जबकि करोड़ो रुपए की लागत से जिला अस्पताल को ट्रॉमा सेंटर में तब्दील किया गया है। गुरूवार को अस्पताल में मरीजों की दुर्दशा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी वायरल हो रहा है। इस वीडियो में परिजन महिला मरीज को अस्पताल की कुर्सियों पर लिटाकर डॉक्टर के कक्ष की तरफ ले जा रहे है। उन्हें अस्पताल में मरीज ले जाने के लिए स्ट्रेचर भी मुहैया नहीं कराया गया। इस घटना से आप अंदाजा लगा सकते है कि, तहसील और विकासखंड स्तर पर स्थित स्वास्थ्य सेवाओं की क्या स्थिति होगी।

वायरल वीडियो में एक महिला मरीज को उसके परिजन हाथों में उठाकर अस्पताल में भटक रहे है लेकिन उन्हें एक स्ट्रेचर तक उपलब्ध नहीं हो रहा है। इसी दौरान अस्पताल में मौजूद कर्मचारी और एक पुलिस कर्मी उनकी मदद करते है अस्पताल में रखी कुर्सीनुमा बेंच का सहारा लिया जाता है और सब मिलकर इस बेंच पर महिला मरीज को लिटाकर डॉक्टर के कक्ष तक लेकर जाते हुए दिखाई दे रहे है। बताया जा रहा कि, महिला का इलाज पहले से ही चल रहा है उनकी तबियत अधिक खराब होने से डॉक्टर से ट्रीटमेंट लेने के लिए परिजन उन्हें कक्ष तक ले जा रहे थे।

मरीज महिला को कुर्सीनुमा बेंच पर डॉक्टर के कक्ष की तरफ ले जाते परिजन।

अस्पताल में किसी का नियंत्रण नहीं

सरकारी जिला अस्पताल पर (ट्रॉमा सेंटर) पर किसी का नियंत्रण नहीं है। यहां आये दिन मरीज डॉक्टर और दवाइयां नहीं मिलने की शिकायत करते है। मरीज जब सुविधाओं के लिए आवाज उठाते है तो यहां मौजूद सुरक्षाकर्मी उनकी पिटाई तक कर देते है। हालात यह है कि, गरीब मरीज मजबूर होकर सिर्फ इधर से उधर अस्पताल में भटकता रहता है।

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