भोपाल। राज्य में स्थापित किए गए मृदा परीक्षण केन्द्रों में संसाधनों का अभाव होने से किसानों को इनका लाभ नहीं मिल पा रहा है। राज्य विधानसभा में मंगलवार को भाजपा के वरिष्ठ विधायक एवं पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ला ने ध्यानाकर्षण में यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया। विधायक ने मांग की है कि शीघ्र ही व्यवस्थाओं के साथ यह केन्द्र संचालित होना चाहिए। प्रश्नकाल समाप्त होते ही ध्यानाकर्षण में विधायक शुक्ला ने कहा कि मृदा परीक्षण केन्द्रों पर सरकार ने 108 करोड़ रूपए खर्च किए हैं। प्रत्येक केन्द्र पर 41 लाख की राशि व्यय हुई है। 265 प्रयोगशालाएं हैं। जिनमें संसाधनों का अभाव होने से किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि यहां पर तत्काल यंत्र स्थापित हों और अमले की कमी पूरी हो ताकि किसानों को इसका लाभ मिले और खेती लाभ का धंधा बन सके।
विधायक राजेन्द्र शुक्ला द्वारा लाये गये ध्यानाकर्षण पर कृषि मंत्री कमल पटेल ने सदन में अपना वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में स्थापित 50 मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं में किसानों के नमूनों का विश्लेषण किया गया। मृदा में उपलब्ध पोषण तत्वों के स्तर के आधार पर पोषक तत्वों-उर्वरकों की फसल के अनुसार अनुशंसा के साथ किसानों को निरंतर स्वाइल हेल्थ कार्ड उपलब्ध कराये जा रहे हैं। श्री पटेल ने अपने वक्तव्य में कहा कि विकासखंड स्तरी पर 265 नवीन मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाएं अतिरिक्त रूप से स्थापित की जा रही हैं। इन प्रयोगशाला भवनों का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। प्रयोगशाला में यंत्रों की निविदा प्रक्रिया कार्यवाही में है। साथ ही वर्तमान में स्वीकृत अमले से री-डिप्लोयमेंट के आधार पर कार्यवाही भी प्रक्रिया में है।
इधर विधायक भूपेन्द्र मरावी द्वारा लाये गये ध्यानाकर्षण पर खाद्य मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने अपना वक्तव्य देते हुए कहा कि जबलपुर एवं रीवा संभाग में खराब शार्टेज धान की राशि संंबंधित एजेंसियों से वसूल की जा रही है। उन्होंने कहा कि शासन को इससे कोई क्षति नहीं है। जबलपुर एवं रीवा संभाग में ओपन केप में भंडारित धान का आकस्मिक निरीक्षण कराया गया है। जिसमें धान की गुणवत्ता प्रभावित पाई गई। किंतु केप से धान की चोरी संबंधी तथ्यों की पुष्टि नहीं हुई है। समर्थन मूल्य पर उपार्जित गेहूं में से केप में भंडारित गेहंू में कोई नुकसान होना नहीं पाया गया। विधायक मरावी था कि इन दोनों संभागों में धान का ओपन कैप में भंडारण किया जा रहा है। एक प्रायवेट फर्म को नियमों को ताक पर रखकर कार्य दिया गया है। फर्म द्वारा विधिमान्य नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। मंत्री ने अपने वक्तव्य से सदन में पूरी स्थिति स्पष्ट की।
राज्य विधानसभा में मंगलवार को बजट सत्र के दूसरे दिन स्कूलों के निर्माण की खराब गुणवत्ता सहित जवाबदारो की लापरवाही का मुद्दा उठा। दमोह जिले से विधायक धर्मेंद्र भावसिंह लोधी ने यह आरोप लगाया कि खराब गुणवत्ता से निर्मित होने के बाद स्कूल नहीं खोले गये। इसी जिले से विधायक राजेन्द्र पांडेय ने स्कूलों की खराब गुणवत्ता का मुद्दा उठाया।
प्रश्नकाल में विधायक लोधी का आरोप था कि उनके क्षेत्र में करीब आधा दर्जन नवीन स्कूलों का निर्माण हुआ। लेकिन उन्हें आज तक खोला नहीं गया। विधायक ने कहा कि निर्माण में खराब गुणवत्ता का उपयोग भी इसकी एक वजह है। उन्होंने कहा कि प्राथमिक में 128, जबकि माध्यमिक में 103 स्कूल क्षतिग्रस्त हंै। जबकि मरम्मत के लिए मात्र 29 स्कूलों को राशि मिली है। शिक्षा मंत्री इंदरसिंह परमार ने कहा कि इस मामले में निर्माण एजेंसी से जवाब मांगा जा रहा है कि कब कौन से निर्माण कराए गए। उन्होंने कहा कि दोष सामने आने पर निर्माण एजेंसियों पर कार्रवाई होगी। इसी से जुड़ा एक मुद्दा विधायक राजेंद्र पांडे ने भी उठाया। उन्होंने कहा कि जबेरा में लोकार्पण होने के बाद भी स्कूल भवन शुरू नहीं करवाया गया है। इस मामले में मंत्री ने कहा कि लोक निर्माण विभाग की विंग पीआईयू एजेंसी के पास निर्माण की जवाबदारी है। इस मामले में एजेंसी को चि_ी लिखी जा रही है।
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