शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने कागजों में ऐसे-ऐसे आदेश जारी किये हुए है जो सात वर्षो में भी अधूरे है। अंग्रेजी माध्यम का विद्यालय संचालित कर हिन्दी माध्यम से परीक्षाएं आज भी कराई जा रही है, बच्चे खुद असमंजस में है कि वह अंग्रेजी पढे़े या हिन्दी। जिले में बैठे जिम्मेदार सात वर्षों से भोपाल के आदेश की राह देख रहे है, जबकि हजारो छात्रों का भविष्य दांव पर चल रहा है।
अनूपपुर, मध्यप्रदेश। मप्र शासन स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय के आदेशानुसार कार्यालय कलेक्टर (सर्व शिक्षा अभियान) जिला अनूपपुर दिनांक 21/05/2015 को पत्र प्राप्त होता है। पत्र में वर्ष 2015-16 में 05 तथा वर्ष 2016-17 में 05 इस प्रकार से अंग्रेजी माध्यम की माध्यमिक शालाओं की स्थापना के निर्देश जारी किये गए है। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत अनुपपुर की अध्यक्षता में जिला अंग्रेजी माध्यम विद्यालय चयन समिति के अनुमोदन अनुसार जिले अन्तर्गत वर्ष 2015-16 में 05 निम्न विभागीय हाईस्कूल शालाओं में अंग्रेजी माध्यम की कक्षाएं संचालित करने की स्वीकृति प्रदान करते हुए अंग्रेजी माध्यम पहली कक्षा प्रारंभ करने की अनुमति दी जाती थी।
शिक्षक विहीन चारों विकासखंड :
जिले की चारों विकासखंडो में अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय का संचालन भी किया जाता है, लेकिन आज भी शिक्षक विहीन विद्यालय संचालित है। अंग्रेजी के शिक्षक पदस्थ हुए, न ही पठन-पाठन सामग्री उपलबध है और परीक्षाओं का माध्यम तक तय नहीं हुआ है। विकासखंड जैतहरी अंतर्गत शासकीय हाईस्कूल दुलहरा (प्राथमिक शाला) तथा शासकीय हाईस्कूल धनगवां पश्चिमी (प्राथमिक शाला) को प्रस्तावित किया गया था साथ ही विकासखंड अनूपपुर अंतर्गत शासकीय हाईस्कूल बेलियाबडी (प्राथमिक शाला), कोतमा विकासखंड अंतर्गत शासकीय हाईस्कूल केन्द्र कोतमा (प्राथमिक शाला), पुष्पराजगढ विकासखंड अंतर्गत हाई स्कूल पोंडकी (प्राथमिक शाला) को प्रस्तावित किया गया था, लेकिन आज भी हिन्दी माध्यम से संचालित है।
अधर में हजारो छात्रों का भविष्य :
जनपद पंचायत जैतहरी अन्तर्गत शासकीय माध्यमिक विद्यालय धनगवां (पश्चिम) में कक्षा 6 से 8 तक में मात्र 1 शिक्षक पदस्थ है। एक शाला एक परिसर के तहत अध्यापन कार्य कराया जा रहा है। वहीं प्राथमिक शाला में 2 शिक्षक हिन्दी मीडियम में पदस्थ है। जबकि विद्यालय में 67 छात्रों का दाखिला है। शासकीय माध्यमिक विद्यालय दुलहरा में 3 शिक्षक तथा प्राथमिक शाला में 3 शिक्षक हिन्दी माध्यम के पदस्थ है, जबकि लगभग 200 बच्चों का दाखिला है। इसी तरह जिले के अन्य अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय का हाल है।
अंग्रेजी के पद ही नहीं हुए स्वीकृत :
अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय के संचालन के बाद से ही कोई पद स्वीकृत न होने के कारण 7 वर्षों से छात्र/छात्राओं का भविष्य अधर में लटका है। धनगवां (पश्चि.) के प्राथमिक विद्यालय केवल अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय है। इस विद्यालय में हिन्दी माध्यम के प्रवेश नहीं लेते है। गौरतलब है कि विगत 8 वर्षों से पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम से और परीक्षाएँ हिन्दी माध्यम में संपादित की जाती है। कुल मिलाकर शिक्षक और छात्र खुद ही असमंजस में है कि पढ़ाई किस माध्यम से करनी है या करानी है और परीक्षाएं किस माध्यम से होंगी।
भगवान भरोसे डीपीसी :
सर्व शिक्षा अभियान की जिम्मेदारी संभाल रहे जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) हेमंत खैरवार भगवान के भरोसे सब कुछ ठीक होने का इंतजार कर रहे है। बीते सात वर्षों से छात्रों का भविष्य अंधकार की ओर जा रहा है और विद्यालय का संचालन आदेशानुसार नहीं हो रहा है, उसके बावजूद इन्हें ठीक करने की पहल नहीं की गई है। महज कार्यालय में चहेतो और जुगाडूनुमा शिक्षकों को अटैच कर अपनी रोटिया सेंक रहे है। यही कारण है कि आज सर्व शिक्षा अभियान फाईलों में ही दफन हो गया है और भ्रष्टाचार के दस्तावेजों की फेहरिस्त बढ़ती जा रही है।
इनका कहना है :
अंग्रेजी माध्यम के शिक्षक पदस्थ न होने तथा अंग्रेजी विषय के अतिथि शिक्षक भी नहीं मिल रहे है, जिसके कारण हिन्दी माध्यम से संचालित किये जा रहे है, परीक्षाएं भी हिन्दी माध्यम से ली जा रही है। जल्द ही भोपाल पत्र लिखकर हिन्दी माध्यम से संचालित कराएंगे या फिर अंग्रेजी के शिक्षकों की मांग करेंगे, जिससे आदेशानुसार संचालन हो सके।हेमंत खैरवार, डीपीसी, सर्व शिक्षा अभियान, अनूपपुर
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