मुख्यालय में वाहन चालक नियमों को तोड़ते हुए चल रहे हैं जिससे अक्सर घटनाएं हो रही हैं और विवाद का रूप ले रही हैं। मुख्य मार्गों में यातायात नियमों का पालन न करने से बड़ी घटनाएं हो रही हैं। सड़क पर हर रोज नियम टूटते हैं और घटना के बाद कभी सड़क को तो कभी बड़े वाहनों को या दूसरे वाहन चालक को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है, लेकिन हकीकत यह भी है कि वाहन खरीदने के बाद जो उपयोग कर रहे हैं उनमें गाड़ी चलाने का पूरा ज्ञान ना होना और सड़क यातायात नियमों की परख ना होना भी है।
अनूपपुर, मध्यप्रदेश। जिले के मार्गों में अनफिट वाहन दौड़ रहे हैं लेकिन इन वाहनों की जांच नहीं हो रही है। ऐसे वाहन सड़क हादसों का कारण बन रहे हैं। आए दिन हो रहे सड़क हादसों के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। जिले में हुए अधिकांश दुर्घटनाओं में शामिल वाहन फिटनेस की प्रक्रिया में अनफिट रहे हैं। खराब वाहन मानक पूरा किए बगैर दौड़ रहे सड़क पर-मोटर यान अधिनियम में वाहनों की फिटनेस को लेकर जो नियम लागू किए गए हैं उसका पालन वाहन मालिक एवं चालक द्वारा नहीं किया जा रहा। इनकी निगरानी करने वाले भी ध्यान नहीं दे रहे हैं जिससे खराब अनफिट वाहन सड़क पर दौड़ रहे हैं। नियमित रूप से जांच वाहनों की ना होने के कारण एवं फिटनेस ना कराने वाले वाहनों की कोई जानकारी नहीं ली जाती। बस, ट्रक, ट्रैक्टर ट्राली, जीप, पिकअप वाहनों की जांच इंजन से लेकर पूरी बॉडी की होनी चाहिए लेकिन कागजों को देखकर ही फिटनेस में वाहन का टेस्ट पास कर दिया जाता है।
दिखावे में औपचारिकता हो पूरी :
फिटनेस के लिये वाहनों की लाइट, इंडिकेटर, साइड ग्लास, साइड लाइट, पार्किंग लाइट, हैड लाइट आदि की जांच की जानी चाहिए लेकिन सड़क पर खड़े वाहनों की फोटो खींचकर औपचारिकता पूरी कर ली जाती है। फिटनेस जांच का जिम्मा परिवहन विभाग का है जो इस काम में लापरवाही बरत रहा है।
ट्रक व डंपरों की नहीं होती जांच :
परिवहन विभाग जिला मुख्यालय से गुजरने वाले वाहनों की जांच तक सिमट कर रह गया है जबकि खनिज विभाग के अंतर्गत के्रशर में गिट्टी, पत्थर का परिवहन करने वाले वाहन। रेत खदानों से रेत का परिवहन करते हाईवा, कालरी से कोयला लेकर चलने वाले वाहन इसी तरह बॉक्साइट, मालवाहक वाहनों की फिटनेस खत्म हो चुकी है लेकिन इन वाहनों को लेकर अब तक कोई अभियान नहीं चलाया जा रहा है। मोटरयान अधिनियम में एक निश्चित समय पर वाहनों के फिटनेस की जांच का प्रावधान है लेकिन इसके लिए तैयार मानकों की अनदेखी हो रही है।
सड़कों पर दौड़ रहे ओवरलोड ऑटो :
मुख्यालय से आसपास के ग्रामीण इलाकों से प्रतिदिन ऑटो ओवरलोड सवारियां लेकर आते है। सुबह सवारी लाते समय उसमें ओवरलोडिंग का नजारा हैरान कर देने वाला रहता है। फुनगा, जैतहरी, पिपरिया व आधा दर्जन मार्गों में बेखौफ ओवरलोड वाहन चलते है। रात में वापस लौटते समय भी अधिकांश ऑटो ओवरलोड रहते है। इन मार्गों में पुलिस की चेकिंग भी शून्य है।
ट्रैक्टर ट्राली से बढ़ रही दुर्घटनाएं :
जिले में पिछले कई वर्षों के अंतराल में बस और कृषि कार्य में उपयोग मे लाए जाने वाले ट्रैक्टर-ट्राली हादसों की वजह बने हैं। जिले के किरर घाट में कई बस अनियंत्रित होकर पलट चुके हैं, अन्य मार्गों में भी कई बस दुर्घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इसी तरह ट्रैक्टर का प्रयोग गैर कानूनी तौर पर कामर्शियल परपज के लिए ही हो रहा है जबकि नए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत ट्रैक्टर ट्राली पर सवारी लेकर जाना भी मना है। नए नियम में बीमा और फिटनेस सर्टिफिकेट ट्रैक्टर ट्राली के लिए अनिवार्य हो गया है। यदि वाहन की हालत सही नहीं है तो भारी जुर्माना निर्धारित किया गया है और यदि कोई दुर्घटना होती है तो जेल भी होगी और जमानत भी नहीं है।
वाहन दे रहे दुर्घटना को आमंत्रण :
सड़क आने जाने के लिए बनाई जाती है लेकिन सड़क का इस्तेमाल पार्किंग के लिए हो रहा है। आंतरिक मार्गों या जिला मुख्य मार्ग या फिर स्टेट हाईवे, एनएच, जिला मुख्यालय अनूपपुर में ही अमरकंटक तिराहा से तुलसी कॉलेज जैतहरी मार्ग तक सड़क पर बेतरतीब वाहन घेरे खड़े रहते हैं। नगरपालिका, पुलिस व यातायात विभाग ऐसे वाहनों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं कर रहा जिससे अक्सर सड़क पर वाहन चलते समय खड़े वाहनों को ठोकर मार देते और घटना हो जाती है।
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