वैसे भी अपना संभाग व जिले का नाम कुपोषण के मामले में अव्वल दर्जे में माना जाता है वहीं दूसरी ओर संभागायुक्त के द्वारा मामले को गम्भीरता से लेते हुए सख्त चेतावनी दी गई थी कि कुपोषण के मामले में लापरवाही कतई बर्दाश्त योग्य नहीं है। लेकिन शासन-प्रशासन के लिखित/मौखिक आदेशों को धता मानते हुए मनमर्जी के कायदे को चलाया जाता है।
करपा, मध्यप्रदेश। पुष्पराजगढ़ ब्लॉक अन्तर्गत संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र करपा जेब भरने का केंद्र बन चुका है, जहां पर कुपोषित बच्चों का निवाला छीना जाता है। पोषण पुनर्वास केंद्र करपा के हालात सुधरने का नाम नही ले रही है, आये दिन किसी न किसी मामले को लेकर सुर्खियों में बने रहना अच्छा लगता है। खबरों पर नजर डाली जाये तो रविवार 20 अक्टूबर 2020 की रात्रि के दौरान केंद्र करपा में भर्ती कुपोषित बच्चे व उनकी माताएँ शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताडित होकर बिन बताये अस्पताल से गायब हो गये थे।
बच्चों को नहीं दिया जाता नाश्ता :
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र करपा, पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चों को नियमत: 15-15 दिन के अन्तराल में भर्ती कराया जाता है। जिनके साथ कुपोषित बच्चों के साथ माँ भी रहती हैं। जिन्हें 15 दिन रहने के पैसों के साथ बच्चों के भरपूर डाईट के माप दण्ड व बजट भी पारित किए गये हैं। लेकिन यहाँ पर सिर्फ अमूल्य गोल्ड देकर कुपोषण को मात देने की बात कही जा रही है। 15 सितम्बर दिन-बुधवार समय 9 बजे 42 मिनट 40 सेकण्ड तक भर्ती कुपोषित बच्चों को नाश्ते में कुछ भी नहीं दिया गया था। भर्ती हितग्रहियों से राज एक्सप्रेस के संवाददाता अवतार सिंह मरावी के द्वारा बात करने के दौरान बताया गया कि अभी तक सिर्फ बच्चों को अमूल्य गोल्ड दूध ही दिया गया है।
स्टॉक रूम में लटकता रहा ताला :
पोषण पुनर्वास केंद्र करपा में सुबह 9:42 बजे तक ताले लटकते नजर आये, इन तालों की रखवाली के बीच रात्रि कालीन सेवा देने वाले कर्मचारी ही नजर आते रहे। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक स्टॉक रूम की चाबी के साथ जिम्मेदारी डायटीशियन व ए एन एम की रहती है। जहां पर बच्चों के खिलौने से लेकर पूरक पोषण आहार सम्बन्धी फल व अन्य आवश्यक सामग्री रखी जाती है और मनमानी की चाबी से ताला खोला जाता है।
एनआरसी पर संकट के बादल :
जिले दूरस्थ अंचल पुष्पराजगढ़ के करपा केंद्र के अलावा कर्मचारियों पर संकट के बादल घिरते नजर आ रहा है। पोषण पुनर्वास केंद्र करपा में टेण्डर वर्क पर-कार्यरत कर्मचारी कु. श्रीवती सारीवान केयर टेकर, यशोदा मार्को केयर टेकर, दशोदा महोबिया कुक्क, तारावती सफाई कर्मी एवं चंद्रवती जेएस वाई कुक्क को कोरोना कॉल के दौरान भीषण संकट के बीच जीवन-यापन करने को मजबूर हैं। खबर है कि आठ महीने से एक रुपये इन कर्मचारियों को वेतन के रूप नहीं दिया गया है, जिसकी लिखित शिकायत मुख्य चिकत्सा अधिकारी से लेकर विधायक पुष्पराजगढ़ फन्देलाल सिंह मार्को एवं कलेक्टर तक लिखित रूप में समस्याओं से अवगत कराया गया है, इसके बावजूद समस्या का निराकरण न होने की वजह से मीडिया के समक्ष अपनी बात रखते हुए कहा गया कि अगर सात दिवस के अन्दर वेतन का भुगतान नहीं कराया जाता है तो अस्पताल के समाने भूख हड़ताल की जायेगी, जिसकी जवाबदेही शासन-प्रशासन की होगी।
मीनू चार्ट की उड़ी धज्जियां :
पोषण पुनर्वास केंद्र करपा में कुपोषण से जंग डाइट के साथ गाइड लाइन का भी पालन करना अनिवार्य है तभी तो हम कुपोषण से जंग जीत पायेंगे। लेकिन यहां पर डाइटीशियन व ए एन एम के द्वारा समय को ध्यान में न रखते हुए सुबह 7 बजे दूध, 8 बजे नाश्ता, फिर बच्चों को स्वल्पाहार और दोपहर के 12 बजे खाना के साथ-साथ फल देने का भी प्रावधान है। इसके उलट एक फल के चार टुकडे कर कुपोषित बच्चों को दिया नहीं बल्कि बांटा जाता है, जब सच्चाई से पर्दा उठाया जाता है तो जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते नजर आते हैं।
इनका कहना है :
बजट से संबंधित समस्या की जानकारी मिली थी, मैं इसकी विस्तृत जानकारी लेकर, जांच के निर्देश देता हूं और व्यवस्था को दुरूस्त करवाता हूं।डॉ. एस.सी. राय , मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, अनूपपुर
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