इंदौर, मध्यप्रदेश। शहर में अपराधों को रोकने के लिए पुलिस का आपरेशन क्राइम कंट्रोल चल रहा है। अब तो पुलिस सड़कों पर भी उतर रही है। संकरी गलियों में भी बाइक से पुलिस अफसर पहुंच रहे हैं। गुंडे बदमाशों के ठीयों पर भी छापे मारे जा रहे हैं, दर्जनों गुंडे बदमाशों को सलाखों के पीछे पहुंचाया जा रहा है लेकिन जब तक बाहरी अपराधियों पर नकेल नहीं कसी जाएगी, उन पर निगरानी के लिए कोई विशेष प्लान नहीं बनेगा तब तक पूरी तरह क्राइम कंट्रोल नहीं होगा। दंगे की साजिश हो या फिर सोशल मीडिया पर आपत्ति जनक संदेश प्रसारित कर माहौल खराब करने की कोशिश में बाहरी अपराधियों का शहर से गठबंधन सामने आता है। इसके साथ ही हत्या, डकैती और ड्रग्स तस्करी में भी इंदौर के बाहर के अपराधियों के सक्रिय होने की बातें सामने आती है। लंबे अरसे से बाहरी अपराधियों के लिए फरारी काटने के लिए इंदौर बेहद सुविधाजनक माना जाता है इसका सबसे बड़ा कारण है कि बाहर से आकर शहर में बसने वालों पर पैनी नजर रखने के मामले में बेहद लापरवाही बरती जाती है। ये लापरवाही कभी भी भारी पड़ सकती है इस बात को भी नजर अंदाज नहीं करना चाहिए।
ड्रग्स और डकैती में भी बाहरी अपराधी :
इंदौर को मुंबई का बच्चा कहा जाता है। यहां पर होने वाले अपराधों को देखकर तो कभी-कभी ऐसा लगता है कि अपराधों के मामले में ये मुंबई का बच्चा नहीं मुंबई का बाप बनता जा रहा है। 70 करोड़ की एमडी ड्रग्स के मामले में अब तक करीब 50 से ज्यादा आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। इन आरोपियों में मंदसौर, राजस्थान, मुंबई, गुजरात, तेलंगाना आदि के अपराधी भी शामिल हैं। इस ड्रग्स रैकेट के पहले बांग्लादेशी बालाओं से जिस्म फरोशी का खुलासा हुआ। उसकी इनवेस्टीगेशन की तो ड्रग्स वाली आंटी सहित कई नशे के सौदागर सामने आए। हाईलिंक सिटी में डकैती की वारदात में भी टांडा-धार की गैंग निकली, इस गैंग के पहले भी कई लूट और हत्या जैसे जघन्य अपराधों में टांडा-धार के ही आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। कई बड़े अपराधियों के बाहरी अपराधियों से संपर्क होना भी नई बात नहीं है। एडवाइजरी से लेकर ठगी के कई मामले सुर्खियों में हैं जिनमें भी बाहरी अपराधी पाए गए। आन लाइन फ्राड के भी कई मामले प्रतिदिन सामने आ रहे हैं और ये सभी आरोपी बाहर के ही हैं।
मजदूर के रुप में हो सकते हैं अपराधी :
शहर में कुछ अपराधी तो मजदूरी के बहाने आ जाते हैं। वे यहां आकर अपराध करते हैं उनका कोई पुराना रिकार्ड शहर में नहीं होने से वे लंबे समय तक पुलिस की नजरों से बच जाते हैंं। कुछ ऐसे अपराधी भी इंदौर में शरण पा लेते हैं जो दूसरे स्थानों पर अपराध कर यहां आ जाते हैं। चोर, नकबजन, धोखेबाज से लेकर शूटर तक इंदौर में पकड़े गए हैं। सिकलीगरों ने तो इंदौर को हथियारों के सौदे करने का बड़ा केंद्र बना रखा है। हाल ही में क्राइम ब्रांच ने 51 अपराध के साथ सिकलीगर को दबौचा और उसके बड़वानी स्थित ठीए पर भी जाकर छापा मारा। इस तरह के कई सिकलीगर पूर्व में भी पकड़े जा चुके हैं।
बाहरी और स्थानीय अपराधियों का गठबंधन :
कुछ बाहरी अपराधियों के तार तो इंदौर के बदमाशों से भी जुड़े रहते हैं। ऐसे हालातों में इन्हें आसानी से आसरा मिल जाता है। अपने बदमाश साथियों के साथ यहां ये लोग रहने लगते हैं। कई मामलों में तो इंदौर के अपराधियों के साथ मिलकर ये बड़ी वारदातें भी कर देते हैं। शहर में संदीप तेल हत्याकांड में जिस तरह बाहरी अपराधियों की भूमिका सामने आई थी इस तरह के अनेक मामले हैं जिनमें बाहरी अपराधी के शहर में वारदात करने के सबूत मिले हैं।
दोस्ती और वारदात के इस तरह जुड़ते हैं तार :
बाहरी अपराधियों और इंदौर के अपराधियों की दोस्ती अकसर जेल में होती है। इंदौर का कोई अपराधी यदि दूसरे स्थान की जेल में जाता है तो उसकी दोस्ती बाहरी बदमाशों से हो जाती है। कोई बाहरी अपराधी इंदौर की जेल में आता है तब भी यहां के अपराधियों से उसकी पहचान हो जाती है। बाद में ये दोस्ती किसी बड़े अपराध का कारण बन जाती है, इस तरह के अपराध के खुलासे में लंबा समय लग जाता है।
शहर के कुछ गुंडे और सफेद पोश लोग बाहरी शूटरों को सुपारी देकर इंदौर में हत्या की वारदातें भी करवाते हैं। संदीप तेल की हत्या भी सुपारी देकर बाहरी अपराधियों से करवाई गई। बड़े अपराधियों के बीच चल रही पुरानी रंजिश के कारण भी बाहरी शूटरों का दखल बढ़ने लगा है। इन किराए के शूटरों को भी इंदौर बुलवाया जाता है। इस तरह के कुछ मामलों में पुलिस ने बाहरी अपराधियों की धरपकड़ भी की है। कई रसूखदारों से संबंधित अपराधों में बाहरी अपराधियों का हाथ होना पाया गया है। कई बड़े गुंडे के संबंध तो अंडरवर्ल्ड से भी जुड़े पाए गए हैं। बाहरी अपराधियों के रिश्तेदार या परिचित इंदौर के रहने वाले होते हैं। ऐसे हालातों में बाहरी अपराधियों को फरारी काटने का इंदौर से अच्छा कोई ठिकाना नहीं मिलता। वे यहां लंबे अरसे तक फरारी काटते रहते हैं।
आसानी से मिल जाता है छिपने का ठिकाना :
मुंबई का बच्चा कहे जाने वाले इंदौर में कई कारण ऐसे हैं जिनसे अपराधियों को छिपने के ठिकाने आसानी से मिल जाते हैं। कुछ अपराधी एक दो दिन फरारी काटकर यहां से ठिकाना बदल लेते हैं तो कई अपराधी तो लंबे अरसे तक फरारी काटते रहते हैं। ड्रग्स के मामले में फरार आरोपी से लेकर कत्ल के मामले के फरार आरोपी भी यहां पर फरारी काटते पकड़े जाते हैं। कई बदमाश तो सालों तक फरारी काटने के बाद गिरफ्तार होते हैं। शहर के बाहरी इलाकों में आसानी से मकान किराए से मिल जाता है। ये लोग पुलिस को किराएदारों की जानकारी नहीं देते,पुलिस भी लापरवाह बनी रहती है। होटलों और लाजों में नियमित चैकिंग नहीं होती, इसका फायदा भी अपराधी उठाते हैं। शहर के दूर दराज के होटलों में आसानी से कमरा मिल जाता है ज्यादा पूछताछ नहीं होती। गलत नाम बताकर भी आसानी से रुम मिल सकता है। दोस्तों या रिश्तेदारों की मदद से छिपने का ठिकाना तलाश ही लेते हैं। रेलवे स्टेशन, बस स्टेंड के आसपास भी यदि ये घूमते रहें तो इनकी पहचान नहीं हो पाती।
वैसे तो बाहरी अपराधियों के मामलों से पुलिस रेकार्ड भरा हुआ है। करीब 50 प्रतिशत से ज्यादा अपराधों में बाहरी अपराधियों की लिंक कहीं न कहीं, किसी न किसी तरह मिली रहती है। ऐसे कई मामले हैं जिनमें बाहरी अपराधी शामिल थे और ये प्रमुख मामले सालों बाद भी नहीं भुलाए जा सके।
पूरे देश को हिला देने वाली चर्चित बैंक डकैतियों का जब खुलासा हुआ तो पता चला कि इसमें बाहरी गैंग का हाथ था।
बंगलादेश की सीमा से पिता-पुत्र का अपहरण करने वाले सेवरखान उर्फ आलम चौधरी, पश्चिम बंगाल के मोमिन पिता अब्दुल मन्नान को गिरफ्तार कर अपहरण कांड का पर्दाफाश किया गया।
स्कीम 114 में किरीट ठक्कर और वर्षा ठक्कर की हत्या बाहरी नौकर ने की, कई स्थानों पर छापे मारने के बाद भी आरोपी अभी तक गिरफ्तार नहीं हुआ है।
बिल्डर को धमकाने के मामले में मूल रुप से रतलाम के रहने वाले सतीश भाऊ गैंग के कुख्यात शूटर शहजाद उर्फ लाला को बंदी बनाया।
बिहार के जीत शर्मा ने स्टेट बैंक यूनिवर्सिटी शाखा का एटीएम तोड़कर 29 लाख 60 हजार चुराए। बिहार से आरोपी को गिरफ्तार कर 29 लाख 20 हजार रुपए जब्त किए। इंदौर के इतिहास में चोरी के माल की ये रेकार्ड तोड़ बरामदगी है।
भोपाल में कार्बाइन के फरार आरोपी कुख्यात अपराधी अर्जुन त्यागी को इंदौर के साथी मनीष पांडे के साथ गिरफ्तार किया। इंदौर के अभिनंदन नगर मेें फरारी काट रहे थे।
नयापुरा के छात्र अब्दुल समद की हत्या करने वाले आरोपी गरोठ के नावेद और मांगूअली को गिरफ्तार किया।
डाक्टर वर्षा वर्मा उसके सहायक राम और नीमच के ज्वेलरी एजेंट कुलदीप की हत्या और लूट के मामले में पन्ना का कुख्यात अपराधी सरमन शामिल निकला।
बाहेती और नागौरी अपहरण कांड में भी बिहार और शिवपुरी की गैंग शामिल थी।
गवली पलासिया में डकैती और हत्या की वारदात यूपी के बावरिया गैंग ने की थी।
देवास के कंजर गैंग द्वारा वाहन चोरी एवं अन्य वारदात तो आम बात हो गई है।
बड़ी नकबजनी की वारदात में गुना के पारदी गैंग के साथ ही आदिवासी अंचल के अपराधियों की गैंग शामिल रहती है।
नकली पुलिस बनकर ठगी की वारदातों में ईरानी गैंग के सदस्य, दर्जनों वारदातों में नहीं मिला सुराग।
राजगढ ब्यावरा, पचौर से आती है गैंग जो बच्चों से करवाती है शादी समारोह में चोरी।
त्योहारों के समय बाहरी चोर महिला गैंग करती हैं कई वारदातें।
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