भोपाल, मध्यप्रदेश। प्रदेश का एकमात्र तकनीकी विश्विद्यालय राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विवि आरजीपीवी हमेशा ही सुर्खियों में बना रहता है, लेकिन इसकी वजह यहां होने वाले अध्ययन-अध्यापन कार्य और नवाचार नहीं बल्कि विवि पर लगने वाले भ्रष्टाचार के आरोप हैं। ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है, जिसमें शिकायतकर्ता ने एक-दो नहीं 27 बिंदुओं को इंगित करते हुए आरजीपीवी में हो रहे अवैधानिक कार्यों और वित्तीय अनियमिता की जांच करने की गुहार प्रधनमंत्री कार्यालय सहित राजभवन, मुख्यमंत्री और तकनीकी शिक्षा विभाग से की है। मामले को संज्ञान में लेते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय ने मध्यप्रदेश के मुख्यसचिव को पत्र लिखकर मामले में यथोचित कार्रवाई करने और शिकायतकर्ता को जवाब भेजने के लिए निर्देशित किया है। इस मामले में विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अभी उनके संज्ञान में मामला नहीं आया है, पता करके यथोचित कार्यवाही करेंगे।
अब उम्मीद जागी है कि जांच नतीजे तक पहुंचेगी :
शिकायतकर्ता डॉ. देवेन्द्र प्रताप सिंह ने विवि पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि उन्होंने छात्र हित में इन जांचों के लिए कई प्रयास किए और सभी जगह आवेदन दिए। सूचना के अधिकार के तहत भी आरटीआई के माध्यम से जानकारी उपलब्ध करने की कोशिश की है, लेकिन उसमें भी उन्हें वांछित जानकारी और दस्तावेज नहीं दिए गए है। इसलिए अब उन्होंने मजबूरन प्रधानमंत्री कार्यालय में याचिका लगाकर कार्रवाई की मांग की है। पीएम आफिस से सेक्शन अधिकारी शिखा शर्मा ने प्रदेश के मुख्यसचिव को पत्र लिखा है, अब उम्मीद जागी है कि जांच की जाएगी और नतीजे तक पहुंचेगी। दोषियों पर कार्रवाई की भी उम्मीद है।
27 बिंदुओं पर आधारित है शिकायत पत्र :
27 बिंदुओं पर आधारित शिकायत पत्र में विवि द्वारा नियम विरूध टीईक्यूआईपी फंड से की गई करोड़ों की खरीदारी सहित आर्थिक अनियमित्ताओं पर सवाल किए हैं। इसके अलावा कुछ प्राफेसरों की डिग्री और नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए बताया गया है कि उनकी नियुक्ति और पदोन्नति गलत है, लेकिन इन मामलों में विवि ने कोई कार्रवाई नहीं की है । इसके अलावा पूर्व के उन मामलों को भी संज्ञान में लाया गया है, जिनमें विभाग द्वारा की गई जांच में दोषी पाए गए अधिकारियों पर विवि को कार्रवाई करने के आदेश दिए थे। उन मामलों में कुलपति द्वारा दोषियों पर कार्रवाई करने की जगह दोबारा से विवि स्तर पर नियम विरूद्ध टीम गठित कराकर जांच कराने और दाषियों को बचाने का आरोप लगाया गया है । शिकायतकर्ता ने कहा है कि विभाग की जांच पर जांच बिठाना विभाग की कार्रवाई पर भी प्रश्न खड़ा करना है। विवि से पूछा है कि विभाग की जांच रिपोर्ट आने के बाद जांच कराने का आधार क्या है।
फोन रिसीव नहीं करा :
राजएक्सप्रेस के संवादाता ने जानकारी के लिए विवि के कुलपति सुनील कुमार गुप्ता को फोन किया, लेकिन उन्होंने फोन रीसिव नहीं किया।
इनका कहना है :
सांच को आंच कहां होती है, इसलिए विवि और कुलपति को खुद आगे आकर शिकायत से संबंधित सभी बिंदुओं के दस्तावेज विवि की साइट पर सार्वजनिक कर देना चाहिए। ताकि तकनीकी शिक्षा विभाग शिकायती आवेदन के सभी बिंदुओं पर पारदर्शी और खुली जांच करा सके।डॉ. देवेन्द्र प्रताप सिंह, शिक्षाविद एवं व्हिसिल ब्लोअर
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