हाइलाइट्स:
भोपाल नगर निगम मुख्यालय की बिल्डिंग जुलाई तक तैयार हो जाएगी।
मुख्यालय बनाने की कवायद करीब आठ साल पहले शुरू की गई थी।
मौजूदा स्थिति में 60 फीसदी सिविल वर्क पूरा हो चुका है ।
भोपाल, मध्यप्रदेश। शहर में अगले साल से नगर निगम के सभी दफ्तर एक ही छत के नीचे लगेंगे। इसके लिए निगम मुख्यालय की बिल्डिंग जुलाई तक तैयार हो जाएगी। प्रोजेक्ट के लिए फंड की कमी भी नहीं होगी। केंद्र सरकार ने हाल में कैपिटल फंड के तहत इसके लिए 39 करोड़ रुपए मंजूर कर दिए हैं। नगर निगम मुख्यालय बनाने की कवायद करीब आठ साल पहले शुरू की गई थी। तब निगम की माता मंदिर स्थित केंद्रीय कर्मशाला की जमीन पर इसे आकार देने की प्लानिंग की गई। इसे पीएचई ने अपनी जमीन बताते हुए आपत्ति दर्ज कराई। विभाग के कर्मचारियों ने भी काफी विरोध किया और कोर्ट पहुंच गए। ऐसे में निगम को यहां मुख्यालय बनाने का विचार छोड़ना पड़ा। फिर लिंक रोड नंबर 2 पर सेंट मैरी स्कूल के सामने हेडक्वार्टर निर्माण की योजना बनाई गई।
60 करोड़ से बन रहा, बिल्डिंग का 40 फीसदी काम बाकी:
लिंक रोड नंबर 2 पर मार्च, 2022 में मुख्यालय का निर्माण शुरू किया गया। यह करीब 19 हजार वर्गफीट जमीन पर आकार लेगा। मुख्यालय में ग्राउंड प्लस 8 का एक टॉवर और ग्राउंड प्लस 4 के दो टॉवर बनाए जा रहे हैं। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 60 करोड़ रुपए है। केवल बिल्डिंग बनाने पर 23 करोड़ रुपए खर्च होगा। नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि मौजूदा स्थिति में 60 फीसदी सिविल वर्क पूरा हो चुका है और 22 करोड़ रुपए खर्च किया जा चुका है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, बिजली सब स्टेशन, लिफ्ट, सड़क आदि के कार्य चल रहे हैं। अगले साल जुलाई तक बिल्डिंग का फिनिशिंग वर्क भी पूरा हो जाएगा।
इसलिए पड़ी जरूरत...
पुराने शहर के सदर मंजिल से निगम का मुख्यालय माता मंदिर शिफ्ट हुआ। फिर वहां से आईएसबीटी पहुंच गया। ऐसा होने के बाद सभी कार्यालय अलग-अलग क्षेत्रों में बिखर गए। स्थिति यह है कि जलकार्य का दफ्तर आईएसबीटी से छह से सात किमी की दूरी पर श्यामला हिल्स में है। सिविल का कार्यालय गोविंदपुरा में है। बिल्डिंग परमिशन और कॉलोनी सेल के ऑफिस शाहपुरा में हैं। इस तरह दस अलग-अलग स्थानों पर निगम के दफ्तर संचालित हो रहे हैं। इससे आम लोगों के साथ ही अधिकारियों-कर्मचारियों को भी परेशान होना पड़ता है।
यह होगा खास:
बिजली की बचत के लिए मुख्यालय की छत और दीवारों पर सोलर पैनल लगाए जा रहे हैं, इससे बिल्डिंग के लिए जरूरी बिजली में से 40 फीसदी उपलब्ध हो सकेगी
डबल ग्लास तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि गर्मी के दिनों में पर्याप्त लाइट आए, लेकिन तपिश महसूस न हो
दिन में लाइट जलाने की जरूरत नहीं होगी
खास तकनीक जियो एक्सचेंज हीटिंग
कूलिंग सिस्टम से इमारत के कमरों में प्राकृतिक तापमान मेंटेन रखा जाएगा, डक्ट के जरिए बिल्डिंग की गर्म हवा छह से आठ मीटर नीचे ले जाएंगे, डक्ट में कूलेंट और पानी होगा, गर्मियों में यह हवा को ठंडा कर वापस इमारत में भेजेगा, ठंड में गर्म हवा पहुंचाएगा
ग्रीन बिल्डिंग कॉन्सेप्ट पर इसका निर्माण किया जा रहा है, फॉल्स सीलिंग नहीं की जाएगी, लकड़ी का उपयोग भी कम से कम होगा
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