भोपाल। स्कूल शिक्षा विभाग में दिव्यांगता के आधार पर नौकरी हासिल करने वाले सभी अभ्यर्थियों की दोबारा मेडिकल बोर्ड में जांच करवाई जाएगी। हर जिले में मेडिकल बोर्ड के समक्ष जांच करवाना होगी। इसमें फर्जी मिलने वाले अभ्यर्थियों की नियुक्ति निरस्त की जाएगी। यह कार्य आठ जुलाई तक पूरा करना होगा। इस संबंध में आयुक्त लोक शिक्षम अनुभा श्रीवास्तव ने निर्देश जारी कर दिए है।
कर्मचारी चयन मंडल ने वर्ग तीन के अंतर्गत प्राथमिक शिक्षक के 18 हजार पदों के लिए पात्रता परीक्षा कराई थी। इसमें 1086 पद दिव्यांगों के लिए आरक्षित थे। परिणाम के आधार पर 755 पदों पर आवेदकों का चयन हुआ है। चौंकाने वाली बात ये है कि इनमें से 455 दिव्यांग टीचर सिर्फ मुरैना जिले से चुने गए। खास बात यह भी है कि कर्मचारी चयन मंडल की वर्ष 2018 में आयोजित वर्ग 2 की परीक्षा में करीब साढ़े तीन सौ दिव्यांगों का चयन हुआ है। इसमें भी सिर्फ मुरैना जिले से 202 दिव्यांग अभ्यार्थी है। वर्ग दो की केटेगरी ईडब्ल्यूएस में 79 दिव्यांगों का भर्ती किया है। इसमें 27 फर्जी दिव्यांग है। 27 में से अकेले 25 दिव्यांग जौरा कस्बे के हैं।
एक जिले व एक विधानसभा क्षेत्र से इतनी संख्या में दिव्यांग टीचर बनने का मामला सामने आने के बाद जांच हुई, तो फर्जीवाड़ा भी निकलकर सामने आने लगा। राज एक्सप्रेस में उक्त मामले को बीती 15 जून अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जिसके बाद से मुरैना-शिवपुरी जिला शिक्षा अधिकारियों ने फर्जी दिव्यांगता के आधार पर प्रमाण-पत्र पाने वाले शिक्षकों की बर्खास्तगी की कार्रवाई शुरू हुई। मुरैना जिले में 77 के खिलाफ एफआईआर हो चुकी है। आयुक्त लोक शिक्षण अनुभा श्रीवास्तव ने प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को जारी पत्र में कहा है कि स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक शिक्षकों की नियुक्ति की गई है।
मुरैना जिले से प्रस्तुत दिव्यांग प्रमाणपत्रों की प्रारंभिक जांच में दिव्यांग श्रेणी में नियुक्ति प्राप्त कई अभ्यर्थियों के दिव्यांगता प्रमाण पत्र मुरैना जिले से जारी होना नहीं पाया गया है। प्रशासकीय आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि जिलों में नवनियुक्त ऐसे सभी शिक्षक जिनके द्वारा दिव्यांगता के आधार पर नियुक्ति प्राप्त की गई है, उनकी दिव्यांगता के प्रमाणीकरण हेतु निम्नानुसार कार्यवाही की जाएगी। जिसमें जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को, नवनियुक्त शिक्षक जिनके द्वारा दिव्यांगता के आधार पर नियुक्ति प्राप्त की है, की सूची भेजी जाएगी।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी से चर्चा कर मेडिकल बोर्ड की बैठक तिथि निर्धारित करवाकर सभी शिक्षकों को मेडिकल बोर्ड के समक्ष उपस्थित करवाएंगे। यदि कोई शिक्षक मेडिकल बोर्ड के समक्ष उपस्थित नहीं होता है, तो उसकी नियुक्ति निरस्तीकरण की कार्यवाही की जाएगी। मेडिकल बोर्ड से संबंधितों की दिव्यांगता की पुष्टि करवाएंगे। मेडिकल बोर्ड से 40 प्रतिशत या अधिक स्थायी दिव्यांगता की पुष्टि किए जाने पर उनकी नियुक्ति मान्य की जाएगी। ऐसे अभ्यर्थी जिनकी दिव्यांगता 40 प्रतिशत से कम एवं अस्थायी हो अथवा दिव्यांगता प्रमाणित न हों के संबंध में नियुक्ति निरस्तीकरण हेतु प्रस्ताव भेजा जाएगा। उक्त कार्यवाही आठ जुलाई तक पूरी करना होगी। उक्त कार्य में लापरवाही करने पर अनुशानात्मक कार्यवाही की जाएगी।
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