हाइलाइट्स :
रविवार को चंद्र ग्रहण समाप्त होने के बाद उज्जैन के मंदिर का शुद्धिकरण किया
महाकाल के मंदिर के पट खोलने से पहले पूरा मंदिर परिसर को धोया गया
भगवान को फल और मिष्ठान का भोग लगाया गया फिर भस्म आरती हुई
उज्जैन, मध्य प्रदेश। देश में इस साल चंद्र ग्रहण शरद पूर्णिमा पर रात से शुरु हुआ। रविवार को चंद्र ग्रहण समाप्त होने के बाद उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर का शुद्धिकरण किया गया, महाकाल के मंदिर के पट खोलने से पहले पूरा मंदिर परिसर को धोया गया। भगवान को फल और मिष्ठान का भोग लगाया गया।
इसके बाद सभी भगवान की प्रतिमाओं का पूजन कर भगवान महाकाल का जलाभिषेक किया। दूध, दही, घी, शक्कर, फलों के रस से बने पंचामृत से पूजन किया। कपूर आरती के बाद भगवान के मस्तक पर भांग, चंदन और त्रिपुंड अर्पित कर गणेश स्वरूप में श्रृंगार किया और भगवान को पुष्प से बनी फूलों की माला अर्पित की। भगवान को फल और मिष्ठान का भोग लगाया गया।
मंदिर परिसर में 'भस्म आरती'
इसके बाद पुजारियों ने मंदिर परिसर में 'भस्म आरती' की। भस्म आरती में बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल का आशीर्वाद लिया। मान्यता है कि भस्म अर्पित करने के बाद भगवान निराकार से साकार रूप में दर्शन देते हैं।
बताते चलें कि, 29 अक्टूबर से कार्तिक माह की शुरुआत हो रही है। इस पवित्र मास में उज्जैन में शिप्रा स्नान, तुलसी शालिग्राम का पूजन, भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों में दीपदान का विशेष महत्व है। वही, कार्तिक मास में करवाचौथ, दीपावली, वैकुंठ चतुर्दशी जैसे अनेक प्रमुख त्योहार मनाए जाएंगे।
महाकालेश्वर मंदिर मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन (Ujjain) जिले में स्थित है। भगवान शिव दुनियाभर में अनेक स्थानों पर ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हैं। यदि भारत की बात की जाए तो, भारत देश मे 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंग है। जिसमें से उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर में विराजमान महाकाल ज्योतिर्लिंग, शिव जी का तीसरा ज्योतिर्लिंग कहलाता है।
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