राज एक्सप्रेस। अवैध उत्खनन के मामले में प्रदेश भर में कुख्यात हो चुके छतरपुर जिले में मीडिया और सरकार के दबाव में कभी कभार हुईं कार्यवाहियां भी सिर्फ दिखावटी साबित हो रही हैं। जिला प्रशासन ने पिछले चार वर्षों में अलग-अलग खनिज के अवैध उत्खनन पर कई माफियाओं के खिलाफ लगभग डेढ़ सौ करोड़ रूपए के जुर्माने किए हैं, लेकिन जुर्माने की ये फाइलें ले-देकर दबा दी गई हैं। जिला प्रशासन को अब इन खनिज माफियाओं से वसूली करने में पसीना आ रहा है।
एसडीएम न्यायालयों में साठगांठ :
अलग-अलग एसडीएम न्यायालयों में साठगांठ के तहत वसूली के इन मामलों को उलझा दिया गया है और यहींं खनिज माफिया जिले में लगातार अवैध उत्खनन में जुटे हुए हैं। दिलचस्प बात ये है कि, भाजपा सरकार में हुए अवैध उत्खनन के इन जुर्मानों को वसूलने की चिंता न तो तत्कालीन सरकार को रही और न ही वर्तमान कांग्रेस सरकार को है, जबकि अवैध उत्खनन के मुद्दे पर ही कांग्रेस ने प्रदेश में सर्वाधिक ध्यान खींचा था।
200 से ज्यादा मामले, करोड़ों में जुर्माना, वसूली अटकी :
जिला खनिज विभाग से किसी तरह मीडिया को हाथ लगे दस्तावेज चौंकाने वाले हैं। वसूली के प्रकरणों की एक सूची के मुताबिक, 28 फरवरी 2015 से लेकर अगस्त 2019 तक 200 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। इन मामलों में कई खनिज माफिया ऐसे हैं, जिनकी पोकलेन जैसी मशीनों को पकड़कर प्रशासन ने तीन करोड़ से लेकर साढ़े 4 करोड़ तक के जुर्माने प्रस्तावित किए थे, लेकिन इन जुर्मानों को प्रस्तावित करने के बाद जिला प्रशासन इनकी वसूली के लिए ठण्डा पड़ गया। 80 फीसदी मामले लवकुशनगर एसडीएम न्यायालय में चल रहे हैं, जबकि नौगांव, बड़ामलहरा और राजनगर एसडीएम कोर्ट में भी ऐसे मामले धूल खा रहे हैं। कई माफियाओं ने पिछले 4 वर्षों से इन मामलों को फाइलों के नीचे छिपा रखा है। सूत्र बताते हैं कि, समय-समय पर अधिकारियों को नजराना पेश कर इन फाइलों से ध्यान हटा दिया गया है।
डिजियाना, हिलवेज जैसी कंपनियां भी शामिल :
जिन माफियाओं से जिला प्रशासन वसूली नहीं कर पा रहा है, उनमें मामूली ट्रक चालक से लेकर उत्खनन की बड़ी कंपनियां तक शामिल हैं। इनमें उत्तराखण्ड की हिलवेज कंपनी, डिजियाना, बंसल, कृष्णा टेक्नो, कैलाश बंसल, रामेष्टक जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं। रेत माफियाओं के अलावा यह, जुर्माने मुरम और बोल्डर पत्थर पर भी अधिरोपित किए गए थे लेकिन जिला प्रशासन इनसे जुर्माने की वसूली नहीं कर सका। ज्यादातर मामले चंदला क्षेत्र की केन नदी पर स्थित हर्रई, बघारी, मवई घाट, फत्तेपुर, पड़वार, रामपुर घाट पर बनाए गए थे, जिस समय इन खनिज माफियाओं को पकड़ा गया उस समय प्रशासन ने भोपाल में बैठे आला अधिकारियों को रिपोर्ट भेजी और अखबारों में खबरें छपवाने के बाद वाहवाही लूट ली लेकिन धीरे-धीरे प्रशासन ने ही इन मामलों को ठण्डा कर दिया।
हाईकोर्ट जाएंगे, आंदेालन करेंगे :
इस मामले में भाजपा के पूर्व विधायक आरडी प्रजापति ने कहा कि, जिला प्रशासन का यह रवैया बर्दाश्त योग्य नहीं है। वे अक्टूबर में इस मामले को लेकर कलेक्ट्रेट में धरना करेंगे और यदि सरकार ने नहीं सुनी तो हाईकोर्ट जाएंगे, मेरे संज्ञान में मामला नहीं था। कलेक्टर मोहित बुंदस ने कहा कि, यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं था। मैं इसको जल्द ही दिखवाता हूं। ये मामले क्यों अटके हैं इसकी जानकारी लेकर कार्यवाही करूंगा।
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