ग्वालियर। मोबाइल फोन की घंटी बजती है तो पहले फोन पर उसका नाम देखते है उसके बाद ही लोग फोन रिसीव करते है। टेक्नॉलोजी का जमाना है, लेकिन इसी टेक्नॉलोजी के जमाने में लोग ठगी के शिकार हो रहे हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया, जिसमें एजीडी पुलिस के नाम से मोबाइल कर कई पुलिस निरीक्षकों को शिकार बनाया गया लेकिन मजबूरी के कारण पुलिस निरीक्षकों ने मुंह नहीं खोला, क्योंकि अगर वह इस मामले को लेकर मुंह खोलते तो उनके लिए ही मुश्किल हो सकती थी ओर लोग भी हंसते।
इस मामले की पोल उस समय खुली जब एक मामले में सिख समाज के व्यक्ति से अभियुक्त को गिरफ्तार करने की एवज में 50 हजार रुपए मांगे तो उन्होंने उसे फोन पे केमाध्यम से भेज भी दिए, लेकिन जब गिरफ्तारी नहीं हुई तो वह एडीपी के पास पहुंचा तब माजरा सामने आया कि ठग का शिकार हो गए। सिख समाज की धार्मिक अस्था को चोट पहुंचाने के मामले में सिख समाज ने इंदरगंज थाने में समाज के ही एक व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कराया था।
इस मामले में फरियादी नरेन्द्र सिंह कंग थे जबकि गवाह समाज के ही अन्य लोग थे। इस मामले को लेकर सिख समाज पुलिस प्रशासन पर दवाब बना रहा था कि आरोपी को गिरफ्तार किया जाए। इसी दौरान 21 जून को मोबाइल नंबर 8126024143 से एक व्यक्ति के पास कॉल आया तो मोबाइल के टू कॉलर पर नाम एडीपी भोपाल देखा तो उन्होंने फोन रिसीव किया। फोन रिसीव करते हुए दूसरी तरफ से कहा गया कि में एडीपी बोल रहा हूं, राजू भाटिया से क्या विवाद है, उसकी कोई डिटेल हो तो भेज दो मैं उसे जल्द गिरफ्तार कराता हूं। इसके बाद संबंधित व्यक्ति ने पूरी डिटेल उस मोबाइल के वॉट्सएप नंबर पर भेज दी। इसके बाद 24 जून को उसी नंबर से वॉट्सएप कॉल आता है ओर कहा जाता है कि इंदरगंज थाने में जिसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था, उस आरोपी की लोकेशन ट्रेेस हो गई है।
25 जून शाम को एक बार फिर कॉल आता है ओर कहा जाता है कि आरोपी की लोकेशन वेंदाता में मिली है, उसे गिरफ्तार करने के लिए दो गाडिय़ां भेजी जा रही है ओर अगर आपको साथ जाना है तो बताओ। इस पर संबंधित व्यक्ति ने कहा कि मैं नहीं जा सकता। इस पर दूसरी तरफ से कहा गया कि अगर आप नहीं जा सकते हो तो दो गाडिय़ों व साथ जाने वाले पुलिस जवानों का खर्चा आपको देना होगा ओर वह खर्च 50 हजार रुपए आता है। इस पर संबंधित व्यक्ति ने दो बार में फोन-पे के माध्यम से 50 हजार रुपए भेज दिए। 14 जून को इंदरगंज थाने में सिख समाज के धार्मिक ग्रन्थों के साथ बेअदवी को लेकर एक मामला दर्ज किया गया था जिसमें जो आरोपी था उसकी गिरफ्तारी के एवज में सिख समाज ने 51 हजार रुपए का इनाम घोषित किया था ओर उसी राशि में से 50 हजार रुपए आरोपी की गिरफ्तारी को लेकर फोन पे कर दिए थे।
अब मोबाइल एजीपी के नाम से आ रहा था तो विश्वास हो ही जाता है। जब भोपाल थे श्रीनिवास तब उनका यह पर्सनल नंबर था एडीजी श्रीनिवास वर्मा जब भोपाल में पदस्थ थे, उस समय उनके पास 8126024143 नंबर पर्सनल था। बाद में उन्होने क भी अपना नंबर बदला होगा तो यह नंबर किसी अन्य व्यक्ति के पास पहुंच गया, लेकिन उस नंबर से अगर कोई कॉल आता है तो मोबाइल के टूकॉलर पर नाम एजीपी भोपाल ही लिखकर आता है ओर इसका लाभ संबंधित व्यक्ति ने उठाना शुरू कर दिया।
जिसके पास नंबर वह दमोह का, नौकरी करता है मेरठ में....
पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने के बाद कार्यवाही की तो मेरठ में जाकर उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर लाया गया। बताया गया कि उक्त व्यक्ति का नाम ओमप्रकाश साहू है जो दमोह का रहने वाला है, जबकि मेरठ में गार्ड की नौकरी करता है। पुलिस ने जब संबंधित व्यक्ति से पूछताछ की तो उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया है, लेकिन यह नहीं बताया कि उसमें कितने ओर लोगों को इसी मोबाइल नंबर से ठगा है।
कई निरीक्षक बन चुके शिकार
विभागीय सूत्र का कहना है कि उक्त मोबाइल नंबर से अंचलभर के दर्जनों निरीक्षकों के पास फोन आना बताया गया है। यहां तक बताया गया है कि पोस्टिंग-तबादले के साथ ही जांच समाप्त करने के नाम पर कुछ निरीक्षकों से उक्त व्यक्ति ने राशि भी वसूल क ी, लेकिन प्रशासनिक भय के कारण कोई भी अभी तक इसको लेकर सामने नही आया। इसके पीछे कुछ कारण यह भी रहे कि जब किसी एक निरीक्षक को ठगा तो उसने सोचा कि अगर किसी को बताऊंगा तो लोग हसेंगे इसलिए वह शांत रहे।
इनका कहना
हां जब मैं भोपाल था तब 8126024143 नंबर मेरे पास था, लेकिन उसे मैंने काफी समय पहले बदल दिया था। अब टू कॉलर वह किसी के नाम से सेट रहता है तो उसी नाम से सामने दिखता है। वैसे यह मामला मेरे संज्ञान में आया तो मामला दर्ज कराया गया ओर संबंधित व्यक्ति को जिसमें 50 हजार रुपए की वसूली की है उसे मेरठ से गिरफ्तार कर लिया गया है।
श्रीनिवास वर्मा, एडीजीपी, ग्वालियर जोन
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