हाइलाइट्स :
सिमी कार्यकर्ता 2000 रुपये के अर्थदण्ड से दंडित।
आरोपी मोहम्मद नावेद इरफान को IPC की धारा 153-A के तहत दंडित किया।
सिमी कार्यकर्ता मुसलमान एवं हिंदु समुदायों के बीच कटुता पैदा करने की कर रहा था कोशिश।
इंदौर, मध्यप्रदेश। जिला कोर्ट ने प्रतिबंधित संगठन सिमी के कार्यकर्ता द्वारा आपत्तिजनक पर्चे वितरीत करने वाले आरोपी को 3 वर्ष का सश्रम कारावास की सजा सुनाई हैं। न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, रेखा तिवारी ने थाना खजराना के केस में निर्णय पारित करते हुए आरोपी मोहम्मद नावेद इरफान को धारा 153-A इंडियन पीनल कोड एवं धारा 13 विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम में 3-3 वर्ष का सश्रम कारावास व कुल 2000 रुपये के अर्थदण्ड से दंडित किया है।
अभियोजन के अनुसार , 7 अप्रैल 2008 को थाना खजराना के सहायक उप निरीक्षक पीके प्रधान को मुखबिर से सूचना प्राप्त हुई थी कि, कदर कामानी खजराना में इरफान पिता मो. युनुस जो कि एक बाईक कंपनी में काम करता था वह आजकल प्रतिबंधित सिमी की गतिविधियों में संलग्न होकर फंड इकट्ठा कर रहा है व सिमी के सिद्धांतो से मुस्लिम बाहुल्य इलाके में दो समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने का प्रयास कर रहा है। उसकी पुरी कोशिश है कि मुसलमान एवं हिंदु समुदायों के बीच कटुता पैदा कर दंगे हो।
वह दिन की शाम को इंदौर में इरफान कहीं बाहर जाने वाला था तथा रास्ते में पोस्टर व पर्चे वितरित करेगा एवं एवज में चंदा वसूल करेगा। उक्त सूचना पर कार्यवाही हेतु रवाना हुये थे। कादर कालोनी जाकर आरोपी के मकान की तस्दीक की व वहा से आकर कादर कॉलोनी से मिनी बस स्टॉप जाने वाले रास्ते पर घेरा बंदी करने पर थोड़ी देर में ही कालोनी का अंदर से एक लड़का काली टीशर्ट एवं पेंट पहने हाथ में एक सफेद रंग की पॉलिथिन लिये आता दिखाई दिया। जिसे रोककर पूछताछ करने पर उसने उसका कभी कुछ कभी कुछ बताया था।
पूछताछ करने पर उसने उसका नाम मोहम्मद नावेद इरफान निवासी कादर कॉलोनी खजराना का बताया था। उसके पास पालीथीन की तलाशी लेने पर उसमें से एक उर्दू में छपी पत्रिका मिली व प्रतिबंधित संगठन सिमी से संबंधित कुछ आपत्तिजनक पॉपलेटस मिले थे।
इन धाराओं में हुआ था केस दर्ज:
अभियुक्त को विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 1967 की धारा 10.11, 13 एवं IPC की धारा 153क, 153 ख का दंडनीय अपराध पाये जाने से अभियुक्त से आपतिजनक दस्तावेज जप्त किये गये अभियुक्त को गिरफ्तार कर एवं वापसी पर अपराध कायम किया गया। अभियुक्त से मोबाईल जप्त किया, साक्षीगण के कथन लिये अभियोजन स्वीकृति प्राप्त की। संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया गया, जिस पर से अभियुक्त को उक्त दण्ड से दण्डित किया। प्रकरण में अभियोजन की ओर से पैरवी सहायक जिला लोक अभियोजक सुनील जाट द्वारा की गयी।
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