242 करोड़ का था स्मार्ट सड़क का प्रस्ताव, 299 करोड़ में होगा कार्य Raj Express
मध्य प्रदेश

242 करोड़ का था स्मार्ट सड़क का प्रस्ताव, 299 करोड़ में होगा कार्य

ग्वालियर, मध्य प्रदेश : सिर्फ टेण्डर पास कराते हुए 242 करोड़ का कार्य 299 करोड़ 95 लाख 90 हजार का हो गया। आखिर 57 करोड़ 95 लाख अधिक में किस मजबूरी में काम दिया गया।

Author : राज एक्सप्रेस

हाइलाइट्स :

  • एलएनटी कंपनी को 23.95 प्रतिशत एबव में दिया गया है काम

  • नगर निगम के अपर आयुक्त वित्त एवं अमृत योजना के कार्यपालन यंत्री ने जताई थी आपत्ति

  • निर्देशक मण्डल की अनुशंसा के बाद पास किया गया टेण्डर

ग्वालियर, मध्य प्रदेश। स्मार्ट सिटी द्वारा अचलेश्वर चौराहे से महाराज बाड़ा एवं उसके आसपास की 15 किलोमीटर सड़क को स्मार्ट बनाया जाना है। इसके लिए 242 करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार किया गया था जिसके राष्ट्रीय स्तर के टेण्डर किए गए। इसमें एलएनटी सहित कई अन्य बड़ी कंपनियों ने हिस्सा लिया था। एलएनटी कंपनी ने 23.95 प्रतिशत एबव में टेण्डर डाला था और इस कंपनी को ही टेण्डर दिया गया है। टेण्डर के लिए बनाई गई टेक्निकल कमेटी में शामिल सदस्यों ने एबव में टेण्डर देने पर आपत्ति दर्ज कराई थी। लेकिन बाद में निर्देशक मण्डल (बोर्ड) की अनुसंशा पर टेण्डर पास कर दिया गया। अनुबंध के 18 महीने में कंपनी को काम पूरा करना होगा।

नगर निगम द्वारा अचलेश्वर चौराहे के पास थीम रोड़ विकसित की गई थी। यह सड़क बहुत ही खूबसूरत तरीके से बनाई गई थी लेकिन देखरेख के अभाव में सड़क एवं इसके आसपास बनाए गए पार्क खराब हो गए। अब स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन द्वारा इस सड़क से लेकर महाराज बाड़े तक 15 किलोमीटर के मार्गों को स्मार्ट बनाया जायगा। इन सड़कों पर बिजली के पोल नहीं होंगे न ही वाटर एवं सीवर लाईन लीकेज की समस्या होगी। साथ ही सड़कों के आसपास बैठने के बेंच एवं जगह होने पर पार्क भी विकसित किए जायंगे। इसके अलावा गोरखी परिसर में तीन मंजिला अण्डर ग्राउण्ड पार्किंग बनेगी और राजपथ सड़क को भी बेहतर बनाया जायगा। यह सड़क ग्वालियर के लिए रोल मॉडल बनेगी। लेकिन जिस तरह 23.95 प्रतिशत एबव में एलएनटी कंपनी को यह टेण्डर दिया गया है उस प्रक्रिया से सवाल खड़े हो रहे हैं।

अंतिम बैठक से पहले नहीं दिखाए दस्तावेज :

स्मार्ट सड़क के लिए बनाई गई टेक्निकल कमेटी में कुल 6 अधिकारियों को शामिल किया गया था। इन अधिकारियों ने वर्तमान बाजार भाव एवं यूएडीडी के एसओआर को देखते हुए 23.95 प्रतिशत एबव में सड़क सहित अन्य सभी कार्यों का टेण्डर करने पर आपत्ति दर्ज कराई थी। स्मार्ट सिटी अधिकारियों ने बताया था कि अन्य स्मार्ट सिटी में भी एबव में टेण्डर किए गए हैं। जब टैक्निकल कमेटी ने उन स्मार्ट सिटी में किए गए कार्य एवं टेण्डर की जानकारी मांगी तो उपलब्ध नहीं कराई गई। लगभग तीन बैठकों में यही सिलसिल चला और तकनीकी अधिकारियों ने आपत्ति दर्ज कराने हुए टेण्डर स्वीकृत करने से मना कर दिया गया। इसी दौरान तकनीकी समिति में शामिल नगर निगम अपर आयुक्त वित्त देवेन्द्र पालिया को कोरोना हो गया और वह छुट्टि पर चले गए। साथ ही अमृत योजना के कार्यपालन यंत्री आरके शुक्ला अपनी बिटिया की शादी के चलते अवकाश पर थे। इन दोनों अधिकारियों की अनुपस्थित में स्मार्ट सिटी निर्देशक मण्डल (बोर्ड) की बैठक हुई और टेण्डर को पास कर दिया गया।

बैठक में बताए थे दस्तावेज :

स्मार्ट सिटी एवं नगर निगम अधिकारियों के अनुसार तकनीकी समिति ने जो दस्तावेज मांगे थे और जो आपत्ति दर्ज कराई थी उसका निराकरण बोर्ड की बैठक में कर दिया गया था। अधिकारियों के अनुसार फरीदाबाद एवं इंदौर में एबव टेण्डर पर ही कंपनियों ने काम किया है। यही वजह है कि 23.95 प्रतिशत एबव में स्वीकृति दी गई। लेकिन जिस तरह टेक्निकल कमेटी के मुख्य सदस्यों की अनुपस्थिति में स्वीकृति दी गई है उसे लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।

पैसा ठिकाने लगाने एक गिरोह कर रहा काम :

सूत्रों के अनुसार स्मार्ट सिटी के द्वारा जो भी कार्य किए जाने हैं उसमें बड़े स्तर पर झोल चल रहा है। स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन के साथ जो कमेटियां बनाई गई हैं उनमें कुछ ऐसे सदस्यों को शामिल कर लिया गया है जो महाराज के खास है। साथ ही ऐसे सदस्य भी हैं जिनसे कुछ भी कहना संभव नहीं है। यह लोग मनमानी करते हुए अधिकारियों पर हुक्म चलाते हैं और अधिकारी मजबूरी में कई ऐसे काम करते हैं जो नियमानुसार नहीं हो सकते। स्मार्ट सिटी का पैसा ठिकाने लगाने के लिए एक पूरा गिरोह काम कर रहा है जिसका पर्दाफाश होना आवश्यक है।

कंपनी को 57 करोड़ 95 लाख अधिक में दिया गया :

स्मार्ट सड़क का टेण्डर बनाने वाली समिति में बड़े-बड़े इंजीनियर शामिल थे। लेकिन जिस तरह एलएनटी कंपनी को 23.95 प्रतिशत एबव में काम दिया गया है उसने अधिकारियों की योग्यता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या अधिकारियों ने जानबूझकर कम रेट टेण्डर में डाले थे या फिर कंपनी को फायदा पहुचांने के लिए अन्य कमेटियों ने एबव में काम किए जाने की स्वीकृति दी। सिर्फ टेण्डर पास कराते हुए 242 करोड़ का कार्य 299 करोड़ 95 लाख 90 हजार का हो गया। आखिर 57 करोड़ 95 लाख अधिक में किस मजबूरी में काम दिया गया।

इन सवालों का नहीं है जबाव :

नगर निगम सहित अन्य विभागों में 40 प्रतिशत ब्लों में टेण्डर हो रहे हैं। क्या यह टेण्डर गलत हैं?

सड़क, बिजली, अण्डर ग्राउण्ड पार्किंग सहित अन्य सभी कार्यों के रेट एबव में कैसे दिए जा सकते हैं?

क्या बिजली के उपकरण एवं निर्माण मटेरियल की रेट एक है जो सभी में 23.95 प्रतिशत एबव का टेण्डर दिया गया है?

बिजली विभाग में किए जाने वाले टेण्डर भी ब्लो में जाते हैं फिर इस टेण्डर में ऐसा क्या खास है कि एबव में सारे काम किए जायंगे?

तकनीकी कमेटी की पहली तीन बैठकों में अधिकारी दस्तावेज उपलब्ध क्यों नहीं करा पाए?

तकनीकी समिति में शामिल थे यह अधिकारी :

  • देवेन्द्र पालिया, अपर आयुक्त वित्त, नगर निगम

  • राजेश श्रीवास्ताव, अपर आयुक्त, नगर निगम

  • आरके शुक्ला, कार्यपालन यंत्री, अमृत योजना, नगर निगम

  • बीके करहिया, कार्यपालन यंत्री, पीएचई

  • प्रदीप जादौन, सहायक यंत्री, नगर निगम

  • अभिनव तिवारी, प्रभारी सहायक यंत्री, बिजली विभाग, नगर निगम

इनका कहना है :

तकनीकी कमेटी की आपत्तियों का निराकरण बोर्ड की बैठक में कर दिया गया था। इस बोर्ड में दिल्ली एवं भोपाल से आए विशेषज्ञ शामिल हैं और उनके द्वारा की गई चर्चा के बाद ही कार्य स्वीकृत किया गया है।
संदीप माकिन, निगमायुक्त
मुझे कोरोना हो गया है इसलिए मैं अवकाश पर हूं, इस मामले में आप वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा करें।
देवेन्द्र पालिया, अपर आयुक्त वित्त, नगर निगम
तकनीकी समिति में शामिल रहते हुए हमने दस्तावेजों का परीक्षण किया था। इसके बाद मेरी बिटिया की शादी थी इसलिए मैंने अवकाश ले लिया था। इसके बाद किस कमेटी ने टेण्डर की स्वीकृति दी है इसकी जानकारी मुझे नहीं है।
आरके शुक्ला, कार्यपालन यंत्री, अमृत योजना, नगर निगम

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