राज एक्सप्रेस। भारत के इतिहास में 24 जनवरी का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। इसी दिन भारत में गणतंत्र के नींव की आखिरी ईंट रखी गई थी। दरअसल 26 जनवरी 1950 को हमारे देश में संविधान लागू होने से पहले 24 जनवरी 1950 को आखिरी बार संविधान सभा की बैठक हुई थी। इस बैठक में तीन बड़े काम हुए थे, जिसने देश को एक नई दिशा दी थी। तो चलिए जानते हैं कि 24 जनवरी 1950 को हुई संविधान सभा की उस आखिरी बैठक के बारे में।
देश को मिला था संविधान :
दरअसल हमारे देश का संविधान बनाने के लिए संविधान सभा का गठन किया गया था। इसका पहला सत्र 9 दिसंबर 1946 को शुरू हुआ था। करीब 2 साल 11 महीने बाद देश का संविधान बनकर तैयार हुआ था। इसी संविधान को 26 जनवरी 1950 को लागू किया जाना था, लेकिन संविधान को अपनाने और लागू करने के समर्थन में संविधान सभा के सभी सदस्यों के हस्ताक्षर जरूरी थे। ऐसे में इस आखिरी मीटिंग में संविधान सभा के सदस्यों ने संविधान लागू करने के लिए मंजूरी दी गई थी।
राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत :
संविधान सभा की आखिरी बैठक में भारत के राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत का चयन भी किया गया था। बैठक में संविधान सभा के चेयरमैन डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने पढ़ा कि ‘जन गण मन’ को राष्ट्रगान बनाया गया है और वंदे मातरम को उसकी बराबरी का दर्जा और सम्मान दिया जाएगा। उनके इस बयान को संविधान सभा के सभी सदस्यों ने स्वीकार किया और इस तरह देश को राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत मिला।
देश का पहला राष्ट्रपति :
अब बारी थी देश के राष्ट्रपति के चुनाव की। इस बैठक में राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिटर्निंग ऑफिसर बनाए गए संविधान सभा के सचिव एचवीआर अयंगर ने बताया कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए सिर्फ एक ही नॉमिनेशन फाइल हुआ है और यह नॉमिनेशन था डॉ. राजेंद्र प्रसाद का। इसके बाद सभी ने सर्वसम्मति से डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नाम पर सहमति जताई। इस तरह डॉ. राजेंद्र प्रसाद देश के पहले राष्ट्रपति बने।
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