राज एक्सप्रेस। भारत और चीन की सेना के बीच एक बार फिर एलएसी पर झड़प होने की खबरें सामने आई है। बताया जा रहा है कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच यह झड़प अरुणाचल प्रदेश के तवांग के यांगत्से इलाके में हुई है। इस झड़प में दोनों देशों के कुछ सैनिक घायल भी हुए है। घायल हुए भारतीय सैनिकों को इलाज के लिए गुवाहाटी लाया गया है। वैसे आपको बता दें कि यह पहला मौका नहीं है जब एलएसी पर दोनों देशों के बीच झड़प हुई हो। इससे पहले भी कई बार दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ चुकी हैं।
साल 1962 :
आजादी के बाद भारत और चीन की सेनाओं के बीच पहला बड़ा टकराव साल 1962 में हुआ था। चीनी सैनिकों ने धोखे से भारतीय सेना पर हमला बोल दिया था, जिसके बाद दोनों देशों के बीच युद्ध छिड़ गया था। भारत इस युद्ध के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं था। नतीजन भारत को युद्ध में हार का सामना करना पड़ा।
साल 1967 :
1962 के युद्ध के पांच साल बाद 1967 में दोनों देशों की सेनाएं एक बार फिर से आमने-सामने आ गई थीं। यह टकराव नाथु ला दर्रे पर हुआ था। इस दौरान दोनों देशों की सेनाओं के बीच फायरिंग भी हुई थी। इस हमले में भारतीय सेना ने चीन के हमले का मुंह तोड़ जवाब दिया। इस घटना में भारत के 80 सैनिक शहीद हुए थे जबकि चीन के 300 से 400 सैनिक मारे गए थे।
साल 1975 :
साल 1967 की हार के बाद चीन ने साल 1975 में अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में असम राइफल्स के जवानों की पेट्रोलिंग टीम पर अचानक हमला बोल दिया था। इस हमले में भारत के चार जवान शहीद हो गए थे। वहीं चीन ने इस घटना से इंकार करते हुए कहा था कि, ‘भारतीय सैनिकों ने एलएसी क्रॉस कर चीनी पोस्ट पर हमला किया और पूरी घटना को जवाबी कार्रवाई करार दिया।’
साल 1986 :
साल 1986 में चीन ने ठंड का फायदा उठाकर एलएसी के पास समदोरांग चू के भारतीय इलाके में अपने तंबू गाड़ दिए थे। गर्मी में जब भारतीय सेना वहां पहुंची तो चीन ने हटने से इंकार कर दिया। इसके बाद भारतीय सेना ने विवादित जगह पर अपने सैनिकों को तैनात कर दिया। हालांकि इस दौरान कोई झड़प नहीं हुई और बातचीत के जरिए मामले को सुलझा लिया गया।
साल 2020 :
15 जून 2020 को लद्दाख के गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं। यहां भी चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर हमला बोला था, जिसके बाद भारतीय सेना ने भी उनको मुंहतोड़ जवाब दिया था। इस हमले में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे जबकि चीन के 38 सैनिक मारे गए थे। हालांकि चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी ने पहले किसी भी सैनिक के मारे जाने से इंकार कर दिया था और कई महीनों के बाद 4 सैनिक मारे जाने की बात ही कबूली थी।
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