राज एक्सप्रेस। पिछले 36 दिनों से पुलिस के साथ आंख मिचौली का खेल खेल रहा अमृतपाल आखिरकार पुलिस की गिरफ्त में आ चुका है। खालिस्तान समर्थक संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल सिंह को पुलिस ने मोगा जिले के रोडेवाला गांव के गुरुद्वारे से गिरफ्तार किया है। जहां एक तरह पुलिस उसे गिरफ्तार करने का दावा कर रही है, वहीं अमृतपाल के करीबियों का कहना है कि उसने सरेंडर किया है। ऐसे में आज हम जानेंगे कि इतने दिनों से पुलिस से भाग रहा अमृतपाल आखिर क्यों बाहर आने पर मजबूर हुआ।
पत्नी को विदेश जाने से रोका :
दरअसल 20 अप्रैल को अमृतपाल सिंह की पत्नी किरणदीप कौर लंदन जाने के लिए अमृतसर एयरपोर्ट पर पहुंची थी। लेकिन इस दौरान उसे इमिग्रेशन अफसरों ने रोक लिया। इसके बाद किरणदीप कौर से करीब तीन घंटे तक पूछताछ की गई। हालांकि उसे देश छोड़ने की इजाजत नहीं मिली, जिसके बाद उसे वापस अमृतपाल के घर लौटना पड़ा। ऐसे में पत्नी को रोके जाने से अमृतपाल पर दबाव बना।
पपलप्रीत की गिरफ्तारी :
अमृतपाल साल 2012 के बाद से ही दुबई में ही रह रहा था। वह साल 2022 में ही वापस पंजाब लौटा है। ऐसे में पंजाब में उसके बाद खुद का कोई नेटवर्क नहीं है। वह अब तक अपने करीबी पपलप्रीत के जरिए ही पुलिस को चकमा दे रहा था। लेकिन 10 अप्रैल को पुलिस ने पपलप्रीत को भी गिरफ्तार कर लिया। अमृतपाल के अन्य करीबी भी पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके हैं। ऐसे में अब वह बिल्कुल अकेला हो चुका था।
नहीं मिला समर्थन :
पुलिस ने जब अमृतपाल सिंह के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी, तो उसे उम्मीद थी कि बड़ी संख्या में लोग उसके समर्थन में आ जाएंगे। खासकर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और श्री अकाल तख्त साहिब से उसने समर्थन भी मांगा था। अमृतपाल ने वीडियो संदेश जारी करके बैसाखी पर सरबत खालसा बुलाने की मांग भी की थी। हालांकि अमृतपाल की इन कोशिशों का कोई असर नहीं हुआ। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ने भी अमृतपाल को सरेंडर करने के लिए कहा। ऐसे में अमृतपाल के पद गिरफ्तार होने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था।
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