कौन है लाल किले पर झंडा फहराने वाला Syed Dabeer Hussain - RE
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कौन है लाल किले पर झंडा फहराने वाला, उसके परिवार ने छोड़ा गांव

26 जनवरी को हुई ट्रेक्टर रैली हिंसा के दौरान लाल किले पर एक विशेष धर्म का झंडा लगाने जैसी घटना भी घटित हुई। इस घटना को अंजाम देने वाले की पहचान हो चुकी है। उनके माता-पिता को गांव छोड़ना पड़ा।

Author : Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। दिल्ली में 56 दिनों से जारी किसान आंदोलन के बीच ही 26 जनवरी को हुई ट्रेक्टर रैली हिंसा के दौरान लाल किले पर एक विशेष धर्म का झंडा लगाने जैसी घटना भी घटित हुई। इस घटना को अंजाम देने वाले की पहचान जुगराज सिंह नाम से हुई है। जो, पंजाब के तरनतारन के गांव वां तारा सिंह का रहने वाला है। जुगराज सिंह की पहचान होने के बाद उनके माता-पिता को गांव छोड़ना पड़ा है।

झंडा फहराने वाले की पहचान :

दरअसल, लाल किले पर झंडा फहराने वाले जुगराज सिंह एक मध्यमवर्गीय परिवार से है। जुगराज सिंह मैट्रिक पास है। वह ढाई साल पहले चेन्नई स्थित एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था, लेकिन पांच महीनें बाद ही वह वहां से लौट आया था। इसके बाद वह अपने ही गांव में खेती देखने लगा। युवक के परिवार की जमीन सरहद के पास है। टीवी और सोशल मीडिया पर दिखाए जा रहे वीडियो से परिवार और ग्रामीणों ने उसकी पहचान की। जुगराज सिंह की पहचान होते ही पुलिस ने उसके परिवार से पूछताछ शुरू कर दी। हालांकि, अब जुगराज सिंह के पिता बलदेव सिंह, मां भगवंत कौर ने अपनी तीनों बेटियों के साथ गांव छोड़ गए हैं।

क्यों फहराया झंडा ?

खबरों की मानें तो, 24 जनवरी को गांव से दो ट्रैक्टर और ट्रालियां भर कर जो लोग किसान आंदोलन के लिए दिल्ली आए थे। उन्हीं के साथ जुगराज सिंह भी दिल्ली आया था। 26 जनवरी को हुई घटना के बाद जब टीवी पर लगातार खबरें दिखाई जा रही थीं, तब उसके गांव के लोगों को हैरानी हुई। क्योंकि वह लाल किले पर झंडा फहराने वाला युवक जुगराज सिंह उन्हीं के गांव का था। 26 जनवरी की रात को दस बजे पुलिस की टीम जुगराज सिंह के घर पहुंची थी और परिवार से पूछताछ की। पूछताछ से यह बात सामने आई कि, उसने इस घटना को अंजाम घर पर चढ़े कर्ज के चलते दिया था। उसके घर के हालत ठीक नहीं थे और घर वालों पर 4 लाख रूपये का कर्ज था।

जुगराज सिंह के दादा-दादी ने स्वीकारा :

जुगराज सिंह के दादा महिल सिंह और दादी गुरचरण कौर ने बातचीत के दौरान स्वीकार किया कि, 'लाल किले पर झंडा लगाने वाला उन्हीं का पोता है।' उन्होंने बताया कि, 'हमारा परिवार बॉर्डर से सटी कंटीले तार के पास खेती करता है। उनके परिवार का कोई भी सदस्य किसी गैर सामाजिक गतिविधि में शामिल नहीं रहा है। परिवार के पास दो एकड़ जमीन है। तीन भैंसें और एक गाय भी है। ट्रैक्टर कई साल से खराब पड़ा है। परिवार पर चार लाख का कर्ज भी है।' इसके अलावा उसकी दादी गुरचरण कौर ने बताया कि, 'जुगराज गांव के गुरुद्वारों में निशान साहिब पर चोला साहिब चढ़ाने की सेवा करता था। गांव में छह गुरुद्वारा साहिब हैं। यहां पर निशान साहिब पर जब भी चोला साहिब चढ़ाना होता था तो जुगराज सिंह ही यह काम करता था। उसने जोश में आकर दिल्ली के लाल किले पर झंडा चढ़ा दिया होगा।'

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