राज एक्सप्रेस। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने गुरुवार को अपनी कैबिनेट में बड़ा फेरबदल किया है। उन्होंने कानून मंत्री (Law Minister) रहे किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) को अपने पद से हटा दिया है। उन्हें अब भू-विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Sciences) दिया गया है। वहीं दूसरी तरफ कानून मंत्रालय की जिम्मेदारी अर्जुन राम मेघवाल (Arjun Ram Meghwal) को सौंपी है। किरेन रिजिजू को अचानक पद से हटाने के पीछे उनकी न्यायपालिका पर टिप्पणी को वजह माना जा रहा है। वह सार्वजानिक तौर पर सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम व्यवस्था पर सवाल खड़े कर चुके हैं। तो चलिए जानते है किरेन रिजिजू के न्यायपालिका को लेकर दिए गए वह पांच बड़े बयान जो सुर्ख़ियों में रहे।
कानून मंत्री रहे हुए किरेन रिजिजू ने कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल उठाते हुए ‘अंकल जज सिंड्रोम’ का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि, ‘अगर कोई प्रभावशाली जज आपकी पहचान का है तो इस सिस्टम के जरिए आप आसानी से जज बन सकते हैं। वहीं अगर आपकी पहचान नहीं है तो इस स्थिति में आप कितने ही अच्छे वकील क्यों ना हो, आपका जज बनना मुश्किल है।’
एक बार किरेन रिजिजू ने सुप्रीम कोर्ट पर संविधान का अपहरण करने के आरोपों का समर्थन करने की कोशिश की थी। दरअसल पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर एस सोढ़ी (सेवानिवृत्त) ने एक इंटरव्यू के दौरान सुप्रीम कोर्ट पर संविधान का अपहरण करने के आरोप लगाए थे। किरेन रिजिजू ने उनके इस इंटरव्यू को साझा करके कहा था कि, ‘यह एक न्यायाधीश की आवाज है।’
किरेन रिजिजू ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए उस पर अपनी असहमति जाहिर की थी। किरेन रिजिजू ने कहा था कि, ‘नियुक्ति की प्रक्रिया पर मेरी असहमति है। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट कोई सरकार नहीं है। मेरे पास जजों को लेकर कई तरह की शिकायतें आती है।’
इसी साल मार्च में किरेन रिजिजू ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि कुछ रिटायर्ड जज भारत विरोधी गिरोह का हिस्सा बन चुके हैं। उन्होंने अपने बयान में कहा था कि, ‘कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीश और कार्यकर्ता यह कोशिश कर रहे हैं कि न्यायपालिका विपक्ष की भूमिका निभाए।’
पिछले साल नवंबर में भी किरेन रिजिजू ने जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर तीखा हमला बोला था। उन्होंने कॉलेजियम सिस्टम को संविधान के लिए विदेशी बताते हुए कहा था कि, ‘जजों को चुनाव लड़ने या सार्वजनिक जांच का सामना नहीं करना पड़ता है।’
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