कारगिल विजय दिवस Syed Dabeer Hussain - RE
भारत

कारगिल विजय दिवस : भारतीय सैनिकों की हिम्मत का प्रतीक है आज का दिन, पाई थी कारगिल की चोटियों पर फतह

यह दिन भारतीय सेना के उन सैनिकों को श्रद्धांजलि है जिन्होंने कारगिल युद्ध में अपनी बहादुरी और वीरता का परिचय दिया, और देश के लिए हँसते हुए अपनी जान भी न्यौछावर कर दी।

Vishwabandhu Pandey

हाइलाइट्स :

  • आज देश अपना 24वां कारगिल विजय दिवस मना रहा है।

  • कारगिल का यह युद्ध मई और जुलाई 1999 के दौरान भारत-पाकिस्तान के बीच लड़ा गया था।

  • भारतीय सेना ने पाकिस्तान को धूल चटाते हुए कारगिल की लड़ाई को फतह किया था।

Kargil Vijay Diwas : आज का दिन भारतीय इतिहास का वह सुनहरा दिन है जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान को धूल चटाते हुए कारगिल की लड़ाई को फतह किया था। आज यानि 26 जुलाई को देश अपना 24वां कारगिल विजय दिवस मना रहा है। यह दिन भारतीय सेना के उन सैनिकों को श्रद्धांजलि है जिन्होंने कारगिल युद्ध में अपनी बहादुरी और वीरता का परिचय दिया, और देश के लिए हँसते हुए अपनी जान भी न्यौछावर कर दी। बता दें कि कारगिल का यह युद्ध मई और जुलाई 1999 के दौरान भारत-पाकिस्तान के बीच लड़ा गया था। तो चलिए जानते हैं इस दिन के बारे में विस्तार से।

ऑपरेशन विजय

इस युद्ध की शुरुआत उस वक्त हुई थी जब पाकिस्तान की सेना ने जम्मू-कश्मीर के कारगिल की कई चोटियों पर कब्ज़ा कर लिया था। इनमें से कुछ चौकियां तो इतनी ऊंचाई पर थी कि वहां तक भारतीय सेना का पहुँच पाना भी आसान नहीं था। इस ऑपरेशन को ‘ऑपरेशन विजय’ नाम दिया गया था। जिसका उद्देश्य पाकिस्तान से इन चौकियों को आजाद करवाना था।

कारगिल युद्ध और भारतीय सेना

सबसे पहले पाकिस्तान के द्वारा भारत के करीब 5 सैनिकों को मार दिया गया और साथ ही सेना के गोला-बारूद भंडार को भी निशाना बनाया गया। जिसके जवाब में भारतीय सेना ने हवाई हमले किए। भारतीय सेना के जवान पहाड़ियों के रास्ते होते हुए ऊँची चोटियों की ओर बढ़ने लगे और अपने रास्ते में आने वाली हर मुसीबत को मिटाते रहे। इस दौरान भारतीय सेना ने बटालिक सेक्टर में दो ठिकानों और टाइगर हिल के पास दो प्वाइंटस पर फिर से अपना कब्ज़ा स्थापित किया।

लगातार घंटों तक चलने वाली इस लड़ाई में सेना के कई जवान शहीद हुए, लेकिन सेना ने हिम्मत नहीं हारी और आखिरकार पाकिस्तानी सैनिकों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। कारगिल की प्रमुख चोटियों पर कब्ज़ा होने के साथ ही भारत ने ऑपरेशन विजय की सफलता की घोषणा कर दी, और 26 जुलाई को यह युद्ध समाप्त हुआ।

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