रांची। झारखंड सरकार ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों को 'स्कूल ऑफ एक्सीलेंस' में परिवर्तित कर राज्य के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की दिशा में एक ठोस कदम उठाया है। राज्य के सभी जिलों के प्रस्तावित 80 स्कूलों को पहले चरण में स्कूल ऑफ एक्सीलेंस (उत्कृष्ट स्कूल) में तब्दील किया जा रहा है। इसके लिए शिक्षा विभाग ने टेंडर जारी कर दिया है। विभाग द्वारा शुरुआत में 27 स्कूलों के लिए टेंडर जारी किया गया है और शेष 53 स्कूलों के लिए जल्द ही टेंडर निकाला जाएगा।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विजन के अनुसार लगभग पांच हजार सरकारी स्कूलों को क्रमवार आधुनिक शिक्षा सुविधाओं से लैस किया जाएगा। इसका प्रारंभिक उद्देश्य 2022-23 शैक्षणिक सत्र की शुरुआत तक 80 जिलास्तर के उत्कृष्ट स्कूलों के लगभग दो लाख छात्रों को लाभ पहुंचाना है।
हेमंत सरकार ने सभी 'स्कूल ऑफ एक्सीलेंस' को विश्वस्तरीय शिक्षा प्रणाली से जोडऩे की योजना बनाई है। स्कूल निर्बाध बिजली आपूर्ति, स्वच्छ वातावरण और स्मार्ट बोर्ड जैसी अन्य सुविधाओं से सुसज्जित होंगे। इन स्कूलों का विकास निजी स्कूलों के मॉडल पर किया जा रहा है और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि गरीब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा निजी स्कूलों के समतुल्य मिल सके। इसे देखते हुए हर स्कूल में अलग-अलग लैब, लाइब्रेरी और एसटीईएम लैब की स्थापना की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा, ''हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाने का अधिकार है और सरकार राज्य की संपूर्ण शिक्षा प्रणाली को बदलने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा लक्ष्य हर बच्चे के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुविधा प्रदान करना है। राज्य भर के लगभग 5,000 स्कूलों को 'उत्कृष्टता के स्कूल' में बदला जाएगा। वह दिन दूर नहीं जब हमारे बच्चे जगमगाती आँखों और उज्ज्वल भविष्य के सपने लेकर स्कूल से बाहर निकलेंगे।''
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