हाइलाइट्स :
पैरा एशियाई चैंपियनशिप में दो गोल्ड और एक सिल्वर मैडल जीता।
शीतल ने 2024 पेरिस पैरा ओलंपिक गेम्स के लिए किया क्वालीफाई।
जन्म से ही शीतल फोकोमेलिया नाम की बीमारी से हैं पीड़ित।
जम्मू कश्मीर। मेहनत इतनी खामोशी से करो कि सफलता शोर मचा दे। जी हां, ऐसा ही कुछ कारनामा शीतल देवी ने कर दिखाया है। शीतल वही खिलाड़ी हैं, जो बिना हाथों के तीरंदाजी करती है और पैरों से तीर चला कर निशाना साधती हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा शीतल को अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया। अर्जुन अवार्ड प्राप्त करने वाली वह जम्मू - कश्मीर की पहली पैरा - तीरंदाज़ बनी हैं। शीतल ने 2024 में होने वाले पेरिस पैरा ओलंपिक गेम्स के लिए भी क्वालीफाई कर लिया है।
कौन है शीतल देवी?
शीतल देवी जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के लोई धार गांव की रहने वाली हैं। उनके पिता मान सिंह किसान हैं और मां शक्ति देवी गृहिणी हैं। शीतल जम्मू की माता वैष्णो देवी तीरंदाजी अकादमी में ट्रेनिंग लेती हैं। शीतल देवी फोकोमेलिया नाम की बीमारी से जन्मजात पीड़ित हैं। हालांकि, इस बीमारी को शीतल ने कभी अपनी कमज़ोरी नहीं बनने दी। उनका और उनके परिवार का जीवन चुनौतियों से भरा था।
उन्हें सऊदी अरब में एशिया की बेस्ट खिलाड़ी के तौर पर एशियाई पैरालंपिक कमिटी द्वारा सम्मानित किया गया था। जुलाई महीने में चीन में आयोजित हुए पैरा एशियाई गेम्स में तीन गोल्ड मैडल जीते और थाईलैंड के बैंकाक में आयोजित पैरा एशियाई चैंपियनशिप में दो गोल्ड और एक सिल्वर मैडल जीता था। शीतल देवी ने 2024 पेरिस पैरा ओलंपिक गेम्स के लिए भी क्वालीफाई कर लिया है।
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