राज एक्सप्रेस। किसी देश, प्रदेश या क्षेत्र का समग्र विकास तब तक संभव नहीं है जब तक उसकी राजनैतिक और संस्कृति का विकास न किया जाए। यहां समग्र विकास से अर्थ है, उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, पानी और रोजगार के अवसर से। इस तरह के विकास से देश का एक हिस्सा लद्दाख बीते 71 साल से लगभग अछूता ही रहा। दर्द इतना कि अब तक रह-रह कर टीस उठती है, यहां के जनप्रतिनिधि कहते हैं कि गुनाह हमने किया नहीं और पाप हम धोते रहे। उनका तत्पर्य कश्मीर के साथ लद्दाख के जुड़े रहने से है क्योंकि कश्मीर में आंतकवाद ने जिस तरह से पूरे क्षेत्र को बदनामी दी है, उससे लद्दाख ने भी बहुत कुछ झेला है। अब धीरे-धीरे ही सही यहां विकास की गाड़ी चल पड़ी है। लद्दाख के दोनों जिलों लेह और करगिल में इसकी तस्वीरें भी दिखाई देने लगी हैं। जम्मू-कश्मीर से अलग कर केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) बनाए जाने के बाद पिछले तीन सालों में लद्दाख में क्या-क्या बदला है, इस पर लद्दाख के युवा सांसद जमयांग सेरिंग नामग्याल से राज एक्सप्रेस की खास बातचीत।
तीन साल में आप क्या बदलाव देख रहे हैं?
लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बने तीन साल होने जा रहे हैं, इस दौरान यहां राजनैतिक, संस्कृति, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, और पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं पर बहुत काम हुआ है। लेह और करगिल में अस्पताल बनकर तैयार हैं, डिग्री कॉलेज शुरू हुए हैं। सबसे बड़ी यहां सुरक्षा को लेकर अब अधिक कार्य किए जा रहे हैं, बॉर्डर पर रहने वालों के लिए उनकी जरूरत के अनुसार सुविधाएं देना का काम किया जा रहा है, जिससे बॉडर पर रहने वाले लोग सेना की अधिक मदद कर रहे हैं। बदलते महौल ने यहां के लोगों का जीवन भी बदला है।
लेह में काफी शांति है फिर भी पर्यटक कम क्यों आते थे?
यही तो दर्द था हमारा। बीते 71 सालों में हमारे लद्दाख का दर्द समझा ही नहीं गया। कश्मीर में हो रहे आंतकवाद और पत्थरबाजी का सीधा असर यहां भी होता रहा। कश्मीर आने वाले पर्यटकों के मोबाइल फोन पर संदेश आते थे कि प्रदेश के इन क्षेत्रों में आप नहीं जा सकते। उसमें लद्दाख के लेह जिले का नाम भी रहता था, जबकि यहां सबसे अधिक शांति रहती है। इस दौरान यहां के लोगों ने कई तरह से देश -विदेश के लोगों तक यह बात पहुंचाने के कई प्रयास किए कि यहां कश्मीर के आतंकवाद और पत्थरबाजी का असर नहीं है, लेकिन सुना ही नहीं गया, गुनाह हमने किया नहीं और पाप धोते रहे। जब से केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) बना है तब से जरूर पर्यटकों की संख्या बढ़ना शुरू हुई है। इस साल सितंबर माह तक ही साढ़े चार लाख से ज्यादा पर्यटक यहां आ चुके हैं।
राजनैतिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में क्या अंतर आया?
पहले जब लद्दाख जम्मू-कश्मीर राज्य का हिस्सा हुआ करता था तो हमारी विधानसभा में चार एमएलए और दो एमएलसी मिलाकर छह सीटें थीं। कश्मीर से अलग होकर केंद्र शासित राज्य बनने के बाद छह सीटें जरूर समाप्त हुई हैं, लेकिन पंचायत स्तर तक जनप्रतिनिधि तैयार हो गए हैं, वहीं लेह और करगिल में नगरीय संस्था में अध्यक्ष कार्य कर रहे हैं। इस तरह ग्रास रूट तक प्रदेश में राजनैतिक गतिविधियां शुरू हो गई हैं। इसी तरह पहले सांस्कृतिक आयोजनों के लिए भी हमें कश्मीर सरकार की तरफ देखना पड़ता था, उधर से अनुमति मिलती तो आयोजन होते थे। अब हम स्वयं निर्णय लेकर सांस्कृतिक आयोजन कर रहे हैं, हमारी संस्कृति की वजह से अलग पहचान बनती जा रही है।
उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य के संसाधनों की क्या स्थिति है?
देखिए किसी भी प्रदेश का विकास उसकी शिक्षा, स्वास्थ्य और आवागमन के साधनों पर भी निर्भर करता है। बीते 71 सालों में यहां उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य के संसाधन न के बराबर थे। यहां के बच्चे देश के अलग-अलग राज्यों में जाकर पढ़ाई करते थे। बीते तीन सालों में यहां विश्वविद्यालय, डिग्री कॉलेज और स्कूल भी शुरू हुए हैं। इसके अलावा गांव के स्तर तक स्वास्थ्य केंद्र बनाए गए या बनाए जा रहे हैं, कहीं भी अब डॉक्टरों की कमी नहीं है। इसके अलावा टेलीकॉम सेक्टर में भी तेजी से कार्य किया जा रहा है, जल्द ही यहां भी कई टेलीकॉम कंपनियां संचार सुविधाएं देने लगेंगी।
क्या यूटी बनने के बाद बजट में इजाफा हुआ?
केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले लेह और करगिल जिलों को सिर्फ 55-55 करोड़ रुपए का ही बजट मिलता था। जम्मू-कश्मीर सरकार केंद्र से पैसा तो एरिया के हिसाब से लेती थी, लेकिन जब वितरण होता था तो जनसंख्या के हिसाब से किया जाता था। इस लिहाज से लद्दाख को काफी पीछे छोड़ देते थे। यहां 55 सरकारी विभाग हैं और 45 हजार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में यह बजट बहुत कम था। अब यूटी बनने के बाद केंद्र से हमें सीधा 500 करोड़ रुपए का बजट प्रतिवर्ष मिल रहा है।
लद्दाख को लेकर आपका क्या विजन है?
उपराज्यपाल आरके माथुर से जब लद्दाख का नए सिरे से विकास करने पर चर्चा चल रही थी, तब मैंने कहा था कि हमें ऐसा खाका तैयार करना चाहिए, जिसमें 2050 तक लद्दाख पर्यावरण, संस्कृति और शांति के मामले में दुनिया में मॉडल बनाना शामिल हो। इस प्रस्ताव को नीति आयोग के साथ साझा किया जाए। कार्बन न्यूट्रल लद्दाख का विजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखा है। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए पर्यटन को बढ़ावा देंगे। लद्दाख एक मॉडल केंद्र शासित प्रदेश बनेगा।
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