फारूक और उमर अब्दुल्ला  RE
जम्मू और कश्मीर

फारूक और उमर अब्दुल्ला ने राम मंदिर और एक देश एक चुनाव पर केंद्र पर साधा निशाना, दिया यह बड़ा बयान...

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि, उन्हें रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण नहीं मिला है। 'एक राष्ट्र एक चुनाव' का नारा बेशक केंद्र सरकार ने दिया है, लेकिन वह इस पर गंभीर नहीं है।

Author : Priyanka Sahu

हाइलाइट्स :

  • फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला ने राम मंदिर और एक देश एक चुनाव सहित कई मुद्दों पर चर्चा की

  • राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण नहीं मिला: उमर अब्दुल्ला

  • फारूक अब्दुल्ला ने कहा, मैंने कभी किसी राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनते नहीं देखा

जम्मू कश्मीर, भारत। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) और उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने आज बुधवार को राम मंदिर और एक देश एक चुनाव सहित कई मुद्दों पर अपनी टिप्‍पणी दी और केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है। पार्टी कार्यकर्ताओं के एक सम्मेलन के बाद पत्रकारों से बातचीत में दिया यह बयान।

इस दौरान उमर अब्दुल्ला ने राम मंदिर को लेकर कहा कि, उन्हें रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण नहीं मिला है। तो वहीं, एक राष्ट्र एक चुनाव पर उन्‍होंने कहा कि, 'एक राष्ट्र एक चुनाव' का नारा बेशक केंद्र सरकार ने दिया है, लेकिन वह इस पर गंभीर नहीं है। अगर वह गंभीर है तो वह प्रयोग के तौर पर जम्मू-कश्मीर में ही लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव करा कर सबके सामने इसका मॉडल पेश कर सकती है।

बीते एक दशक के दौरान मौजूदा केंद्र सरकार के कार्यकाल में कश्मीरी हिंदुओं की कश्मीर वापसी की प्रक्रिया को ठेस पहुंची है। यहां सुरक्षा परिदृश्य में सुधार की अपेक्षा खराबी आई है। बीते कुछ समय से कश्मीर में जिस तरह से हत्याएं हुई हैं, राजौरी पुंछ जैसे वह इलाके जिन्हें हमने आतंकवाद मुक्त बनाया था, वहां फिर से आतंकवाद अपना सिर उठा रहा है। इससे पूरे माहौल पर असर होता है, लोगों में असुरक्षा की भावना पैदा हुई है।
उमर अब्दुल्ला

इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि, "मैंने कभी किसी राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनते नहीं देखा। मैंने केवल एक केंद्र शासित प्रदेश को राज्य बनते देखा है...मेरे समय में ऐसा हुआ था। सचिवालय में भीड़...लेकिन अब, (समस्याओं को) सुनने वाला कोई नहीं है।"

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