साल 1947 में आज के दिन भारत के दो टुकड़े करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी।
आज ही के दिन पाकिस्तान अस्तित्व में आया।
इस विभाजन के चलते करोड़ो लोग प्रभावित हुए और करीब 10 लाख लोग बेमौत मारे गए।
17 अगस्त 1947 को आधिकारिक तौर पर भारत और पाकिस्तान की सीमाओं की घोषणा की गई।
राज एक्सप्रेस। आज का दिन भारत के इतिहास का सबसे दर्दनाक दिन है। साल 1947 में आज के दिन भारत के दो टुकड़े करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी और पाकिस्तान अस्तित्व में आया। इस विभाजन के चलते करोड़ो लोग प्रभावित हुए और करीब 10 लाख लोग बेमौत मारे गए। साल 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभाजन की इस विभीषिका को झेलने वाले लोगों की याद में 14 अगस्त का दिन विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाने के फैसला किया था।
भारत को आजाद करने से पहले अंग्रेजों ने मोहम्मद अली जिन्ना की अलग देश की मांग को मान लिया था। हालांकि इस काम को सही तरीके से करने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं थी। अंग्रेजों ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा निर्धारण के लिए एक अंग्रेज वकील सर सिरिल रेडक्लिफ को नियुक्त किया।
दरअसल अंग्रेज नहीं चाहते थे कि बंटवारे के बाद उनकी निष्पक्षता को लेकर कोई सवाल खड़ा हो। ऐसे में उन्होंने ऐसे व्यक्ति को नियुक्त करने की योजना बनाई, जो बिल्कुल निष्पक्ष हो। रेडक्लिफ इस मामले में खरे उतरते थे। वह पहले कभी भारत आए नहीं थे, तो उनको यहां के लोगों से कोई मतलब भी नहीं था। अंग्रेजो ने रेडक्लिफ को हिंदू-मुस्लिम बहुल एरिया और अन्य तथ्यों के आधार पर दोनों देशों की सीमा तय करने के लिए कहा। इसके लिए रेडक्लिफ के नेतृत्व में बाउंड्री कमिशन का गठन किया, जिसमें कांग्रेस और मुस्लिम लीग के 4-4 नेताओं को रखा गया।
देश का विभाजन भले ही 14 अगस्त 1947 को कर दिया गया, लेकिन यह भी सच है कि उस समय तक दोनों देशों की सीमा भी तय नहीं हुई थी। 17 अगस्त 1947 को आधिकारिक तौर पर भारत और पाकिस्तान की सीमाओं की घोषणा की गई। इसके बाद करीब 1 करोड़ 40 लाख लोगों को पलायन करना पड़ा। इसे इतिहास का सबसे बड़ा पलायन भी कहा जाता है।
बंटवारे के बाद रेडक्लिफ ने कहा कि उन्हें इस काम को करने के लिए महज पांच हफ़्तों का समय दिया गया जबकि मुझे कम से कम 2 से 3 साल मिलने चाहिए थे। हैरानी की बात ये थी कि रेडक्लिफ को उस समय तक यह भी पता नहीं था कि पंजाब और बंगाल नक्शे पर कहां थे। उन्होंने सिर्फ इसलिए हिन्दू बहुल संपत्ति वाला लाहौर पाकिस्तान को दे दिया क्योंकि पाकिस्तान के हिस्से में कोई भी बड़ा शहर नहीं जा रहा था। हालांकि बंटवारे के चलते हुए खून-खराबे से रेडक्लिफ बहुत दुखी थे। वह इसके बाद कभी भारत नहीं आए। उन्होंने बंटवारे के लिए कोई पैसा नहीं लिया। यहीं नहीं उन्होंने इस काम से जुड़े सभी ड्राफ्ट और मैप को भी जला दिया।
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