अयोध्या के फैसले से आम लोगों के जीवन पर पड़ा यह प्रभाव Social Media
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अयोध्या के फैसले से आम लोगों के जीवन पर पड़ा यह प्रभाव

अयोध्या के इस फैसले से आम जनता के जीवन पर कई असर पड़े। जानते हैं आम जनता पर इसका क्या असर हुआ।

Author : Sudha Choubey

हाइलाइट्स :

  • राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर फैसला।

  • फैसले से आम लोगों के जीवन पर पड़े कई प्रभाव।

  • लोगों को प्लान करने पड़े चेंज।

राज एक्सप्रेस। राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने शनिवार को सर्वसम्मति से ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अयोध्या के इस फैसले के प्रभाव से आम जनता के जीवन पर कई असर पड़े। जानते हैं, आम जनता पर इसका क्या असर पड़ा।

शादी की योजना में किए बदलाव :

एक परिवार को अपने बेटे की शादी की योजना में अंतिम क्षणों में बदलाव करना पड़ा, निकाह करने के लिए पटना जाना था। दूल्हा-सैयद दानिश ने बताया कि, "मेरा निकाह आज यानी 10 नवंबर को पटना में होगा। हमने शनिवार को पुणे-पटना ट्रेन में पटना के लिए लगभग साठ टिकट बुक किए थे। हालांकि, हमें शुक्रवार देर रात टिकट रद्द करना पड़ा, मीडिया ने बताया कि, अयोध्या का फैसला शनिवार को सुनाया जाएगा।

परिवार के सदस्य कर रहे थे प्रार्थना :

सभी परिवार के सदस्य शांति के लिए प्रार्थना कर रहे थे, ताकि शादी रस्मों के अनुसार शादी हो। दानिश ने कहा, "परिवार के अधिकांश सदस्य जो हमारे साथ यात्रा करने वाले थे, वे ऐसी तनावपूर्ण परिस्थितियों में यात्रा करने से हिचकिचा रहे थे।" अंतत: करीब एक दर्जन परिवार आज दिल्ली के रास्ते पटना जाएंगे।

दानिश ने कहा, “हमारी योजनाएँ पूरी नहीं हुईं। पहले हमें रेलवे टिकट का नुकसान उठाना पड़ता है, क्योंकि हमें रिफंड नहीं मिल रहा है। वहीं हमें आखिरी समय में एक दर्जन हवाई टिकट खरीदने होंगे, जिसने मेरी जेब खाली कर दिया है। अब मुझे अपनी शादी की योजना में कई बदलाव करने होंगे। मुझे लगता है कि, मेरे टिकट का किराया असाधारण स्थिति के कारण वापस किया जाना चाहिए।

कॉलेज प्रोफेसर को बदलना पड़ा बेटे से मिलने का प्लान :

एक सरकारी कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. अजय गुप्ता ने वीकेंड में अपने बेटे से मिलने के लिए दिल्ली जाने की योजना बनाई थी। गुप्ता जी ने बताया कि, जब मेरी पत्नी को पता चला कि, अयोध्या का फैसला शनिवार को सुनाया जाएगा, तो उसने मुझे सुझाव दिया कि, मैं अपनी यात्रा की योजना को बदल दूं। उन्होंने कहा कि, अब मैं अगले हफ्ते अपने बेटे से मिलने जाऊंगा।

हालांकि, जिन लोगों ने अपनी योजनाओं को अंजाम दिया, वह बहुत ही कठिन था, जब सार्वजनिक परिवहन सेवा उपलब्ध नहीं थी। खाली बसों को भी मुश्किल से निकाला गया, जबकि ट्रेनें खाली सीटों के साथ चलीं।

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