दिग्विजय सिंह जन्मदिन Social Media
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जन्मदिन : दूर-दूर तक चर्चा में नहीं था नाम, जानिए इसके बावजूद कैसे मुख्यमंत्री बने थे दिग्विजय सिंह?

जब दिग्विजय सिंह पहली बार मुख्यमंत्री बने थे तब उनका नाम दूर-दूर तक चर्चा में नहीं था। तो चलिए जानते हैं कि कैसे कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई में दिग्विजय सिंह की किस्मत खुल गई।

Vishwabandhu Pandey

राज एक्सप्रेस। कांग्रेस के दिग्गज नेता, राज्यसभा सांसद और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह आज अपना 76वां जन्मदिन मना रहे हैं। अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहने वाले दिग्विजय सिंह का जन्म 28 फरवरी 1947 को मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ था। दिग्गी राजा के नाम से मशहूर दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि देश के बड़े नेताओं में से एक हैं। वे लगातार दो बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। हालांकि बहुत कम लोग जानते हैं कि जब दिग्विजय सिंह पहली बार मुख्यमंत्री बने थे तब उनका नाम दूर-दूर तक चर्चा में नहीं था। तो चलिए जानते हैं कि कैसे कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई में दिग्विजय सिंह की किस्मत खुल गई।

1993 मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव :

साल 1993 में मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए। चुनाव में कांग्रेस को जनता ने पूर्ण बहुमत दिया। अब ऐसे में कांग्रेस के सामने मध्यप्रदेश का अगला मुख्यमंत्री चुनने की समस्या थी। इसका कारण यह था कि कमलनाथ, माधवराव सिंधिया, श्यामचरण शुक्ल जैसे नेता इस पद के लिए दावेदारी ठोक रहे थे। कांग्रेस विधायक दल की बैठक में श्यामचरण शुक्ल का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे आगे था। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने सुभाष यादव का नाम आगे कर दिया। हालांकि बाद में उन्हें लगा कि सुभाष यादव के नाम पर विधायक सहमत नहीं होंगे तो उन्होंने माधवराव सिंधिया को समर्थन दे दिया।

दिग्विजय सिंह नहीं थे चर्चा में :

उस समय दिग्विजय सिंह के नाम की कोई चर्चा नहीं थी। यहां तक की दिग्विजय सिंह ने तो विधानसभा का चुनाव भी नहीं लड़ा था। वह उस समय सांसद थे। मुख्य मुकाबला कमलनाथ, माधवराव सिंधिया और श्यामचरण शुक्ल के बीच ही था। ऐसे में मुख्यमंत्री का फैसला करने के लिए प्रणब मुखर्जी, सुशील कुमार शिंदे और जनार्दन पुजारी पर्यवेक्षक के तौर पर मध्यप्रदेश पहुंचे।

कमलानाथ हुए बाहर :

विधायक दल की बैठक के दौरान कमलनाथ को जल्द ही यह अहसास हो गया कि उनके नाम पर सहमति नहीं बनने वाली है ऐसे में वह भी दावेदारी से पीछे हट गए। इसी दौरान मुख्यमंत्री के पद के लिए दिग्विजय सिंह की एंट्री हुई। दिग्विजय सिंह ने कमलनाथ को भरोसा दिलाया कि विधायक उनके साथ हैं। इसके बाद कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद के लिए दिग्विजय सिंह का नाम आगे किया।

गुप्त वोटिंग ने बदली किस्मत :

विधायक दल की बैठक में किसी एक नाम पर सहमति नहीं बनने पर गुप्त वोटिंग कराई गई और इसका जो परिणाम आया वह चौकानें वाला था। वोटिंग में दिग्विजय सिंह को 174 में से 100 वोट मिले। इसके बाद परिणाम की जानकारी कांग्रेस हाईकमान को दी गई। जिसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष पीवी नरसिम्हा राव ने प्रणब मुखर्जी से कहा कि जिसे ज्यादा वोट मिले हैं, उसे मुख्यमंत्री बनाया जाए। इस तरह से शुरूआती दावेदारी में नाम नहीं होने के बावजूद भी दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री बने।

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