राज एक्सप्रेस। हर व्यक्ति के लिए 'माँ' पूरी दुनिया है, ऐसे में अगर माँ का निधन हो जाए तो यह बच्चों के लिए काफी असहनीय और अपूरणीय क्षति होती है। एक मां ही होती है जो कई संघर्षो के साथ सादगी भरा जीवन व्यतित कर अपने बच्चों को अच्छा जीवनयापन और शिक्षा देने का भाव रखती है, तो कुछ इसी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन मोदी (Heeraben Modi) है, जो संघर्षपूर्ण जीवन भारतीय आदर्शों की प्रतीक है। उनका जीवन बहुआयामी रहा था।
सादगी भरा रहा है हीराबेन मोदी का जीवन :
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके परिवार के लिए आज 30 दिसंबर का दिन अत्यंत दुःखद और मुश्किल समय है, क्योंकि आज उनकी मां 'हीराबेन मोदी' अपनी शतायु पूर्ण कर भौतिक शरीर को त्याग, दुनिया को अलविदा कह चली है। PM मोदी का मां हीराबेन के प्रति प्रेम जगजाहिर है और वे अक्सर अपनी मां की बातों को याद भी करते हुए देखें गए है। उनकी मां का जीवन सादगी भरा रहा था, अपने बच्चों का पालन पोषण के लिए उन्होंने कितना कष्ट उठाया, इसकी कल्पना करना बेहद असहनीय होगा। हीराबेन ने अपने बच्चों के पालन पाेषण और एक होनहार व्यक्ति बनाने के लिए दूसरों के घरों में बर्तन साफ करने, पानी भरना, मजदूरी करके जीवन का गुजारा किया। हीराबेन मोदी की जब शादी हुई, उस वक्त उनकी उम्र महज 15-16 साल की थी। आर्थिक और पारिवारिक स्थिति कमजोर होने के कारण वे पढ़ लिख तो नहीं सकी, लेकिन अपने बच्चों को शिक्षा देने के लिए उन्होंने पूरी मेहनत की है।
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दरअसल, हाल ही में हीराबेन मोदी ने अपनी 100वी वर्षगांठ पूर्ण की थी। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक भावुक ब्लॉग भी आया था, जिसमें उन्होंने मां हीराबेन के बारे में यह बताया था- उनकी मां हीराबेन को सुबह 4 बजे ही उठने की आदत हमेशा रही है। सुबह-सुबह ही वो बहुत सारे काम निपटाती थीं। गेहूं पीसना हो, बाजरा पीसना हो, चावल या दाल बीनना हो, सारे काम वो खुद करती थीं। इसके साथ ही वे अपनी पसंद के भजन भी गुनगुनाती रहती थीं। साथ ही यह भी कहा था कि, ''मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि मेरे जीवन में जो कुछ भी अच्छा है और मेरे चरित्र में जो कुछ भी अच्छा है, उसका श्रेय मेरे माता-पिता को जाता है। कैसे उनकी मां नारीत्व और सशक्तिकरण की सच्ची प्रतीक रही हैं।''
तो वहीं, एक बार PM मोदी ने खुद भावुक होकर यह बताया था कि, ''मेरे पिताजी के निधन के बाद मां हमारा गुजारा करने और पेट भरने के लिए दूसरों के घरों में जाकर बर्तन साफ करती थीं और पानी भरती थीं। कैसे उनकी मां ना केवल घर के सभी काम खुद करती थीं, बल्कि परिवार पालने के लिए दूसरों के घरों में काम भी करती थीं।''
हीराबेन के स्वस्थ जीवन का राज :
100 साल की उम्र में भी हीराबेन के स्वस्थ जीवन का राज यह है कि, उन्होंने हमेशा सादा भोजन कर एवं सकारात्मक विचार के साथ रही है। जल्दी सोना और जल्दी उठकर भजन, पूजा-पाठ करना यह सब उनके दैनिक कार्यो में शुमार था।
बता दें कि, मां हीराबेन का जन्म गुजरात के मेहसाणा जिले के विसनगर के पालनपुर में हुआ था। हीराबेन का विवाह दामोदरदास मूलचंद मोदी से हुआ था, हीराबेन और दामोदरदास की 6 संतानें हुईं, जिसमें से PM नरेंद्र मोदी तीसरे नंबर की संतान है।
100वें जन्मदिन पर हीराबेन ने मोदी को दी थी यह सीख :
दुनिया को अलविदा कहने से पहले जब हीराबेन का 100वां जन्मदिन था, तब वे प्रधानमंत्री को यह सीख भी दे कर गई। इस बारे में आज उन्होंने ट्वीट करके जानकारी दी और बताया कि, ''मैं जब उनसे 100वें जन्मदिन पर मिला तो उन्होंने एक बात कही थी, जो हमेशा याद रहती है कि काम करो बुद्धि से और जीवन जियो शुद्धि से।''
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